क्या चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों को ईवीएम हैक करने की खुली चुनौती दे दी है? सोशल मीडिया पर कुछ लोग ऐसा ही दावा कर रहे हैं.
दरअसल, हालिया विधानसभा चुनावों में पांच में से तीन राज्यों में बीजेपी की जीत के बाद कई विपक्षी नेताओं ने ईवीएम मशीन में गड़बड़ी के आरोप लगाए. इंडिया गठबंधन ने तो इस संबंध में एक प्रस्ताव भी पास किया और चुनाव आयोग को इससे संबंधित ज्ञापन सौंपा. इन सबके बीच अब एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसे शेयर करते हुए कुछ लोग कह रहे हैं कि चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को ईवीएम हैक करने का खुला चैलेंज दिया है.
ये वीडियो असल में आजतक के ही किसी न्यूज बुलेटिन का एक हिस्सा है. इसमें डॉ. नसीम जैदी नाम के व्यक्ति ईवीएम हैकिंग चैलेंज के बारे में बता रहे हैं. वो कहते हैं कि आगामी 3 जून से सभी राजनीतिक पार्टियों को मौका दिया जाएगा कि वो ये साबित करें कि हाल के चुनावों में इस्तेमाल की गई मशीनों से छेड़छाड़ की गई थी. साथ ही, वो ये भी बताते हैं कि पार्टियों को ये भी साबित करना होगा कि क्या चुनाव आयोग की कस्टडी में रखी मशीनों को हैक किया जा सकता है."
एक एक्स यूजर ने इस वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा, "इलेक्शन कमीशन ने EVM को "हेक" करने कि "चुनौती" दे दी है. चमचै, दरबारी, दल्ले, नल्ले और चरणचुंबक पत्रकारो इस बार "मौका" हाथ से जाने मत देना. EVM को "हेक" करके दिखाओ."
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
"आजतक फैक्ट चेक" ने पाया कि ये वीडियो साल 2017 की एक रिपोर्ट का है. हाल-फिलहाल में चुनाव आयोग ने इस तरह का कोई ऐलान नहीं किया है.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
पहली बात, चुनाव आयोग की वेबसाइट या सोशल हैंडल्स पर हाल-फिलहाल में राजनीतिक पार्टियों को ईवीएम हैक करने का चैलेंज देने जैसी कोई जानकारी नहीं है. अगर ऐसा सचमुच होता, तो इसके बारे में यकीनन सभी जगह खबरें छपी होतीं, लेकिन हमें ऐसा कुछ भी नहीं मिला.
दूसरी बात, वायरल वीडियो में मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में डॉ. नसीम जैदी नजर आते हैं. चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, डॉ. जैदी 19 अप्रैल, 2015 से 5 जुलाई, 2017 तक मुख्य चुनाव आयुक्त थे. वर्तमान में ये पद राजीव कुमार के पास है. इससे हमें लगा कि ये वीडियो 19 अप्रैल, 2015 से 5 जुलाई, 2017 के बीच का हो सकता है.
इसके बाद कीवर्ड सर्च के जरिये तलाशने पर हमें पता लगा कि ये वीडियो असल में "आजतक" की साल 2017 की एक वीडियो रिपोर्ट का हिस्सा है. ये रिपोर्ट 20 मई, 2017 को फेसबुक पर अपलोड की गई थी.
दरअसल, साल 2017 में यूपी, पंजाब, गोवा और मणिपुर में हुए चुनावों के बाद आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी समेत कुछ अन्य दलों ने ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया था. इसी के बाद चुनाव आयोग ने ईवीएम मशीन को फुलप्रूफ बताते हुए उसे हैक करने की खुली चुनौती दी थी.
बाद में चुनाव आयोग ने बयान दिया था कि किसी भी पार्टी ने इस चैलेंज में हिस्सा लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. खबरों के मुताबिक इसमें सिर्फ एनसीपी और सीपीएम ने हिस्सा लिया था लेकिन उन्होंने भी हैकिंग में हाथ नहीं आजमाया. साफ है, एक पुरानी खबर के वीडियो को अभी का बताकर लोगों में भ्रम फैलाया जा रहा है.