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फैक्ट चेक: महात्मा गांधी की इस जानी-पहचानी​ तस्वीर के साथ जुड़ गई है झूठी कहानी

महात्मा गांधी की इस तस्वीर के बारे में गूगल सर्च करने पर कई ऐसे रिजल्ट आते हैं, जिनमें बताया गया है कि गांधी की यह तस्वीर 1930 में ऐति​हासिक दांडी मार्च के दौरान की है.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
पोते कनु गांधी के साथ महात्मा गांधी की फोटो 1930 के दांडी मार्च की है.
सच्चाई
यह तस्वीर 1937 में मुंबई के जुहू बीच पर खींची गई थी.
बालकृष्ण/अर्जुन डियोडिया
  • नई दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 5:09 PM IST

महात्मा गांधी की एक सुपरिचित तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें एक बच्चा लाठी का एक सिरा पकड़ कर उनके आगे चल रहा है. लाठी का दूसरा सिरा महात्मा गांधी पकड़े हुए हैं.

इस तस्वीर को ऐसे समय शेयर किया जा रहा है जब राजनीतिक आंदोलन में बच्चों को शामिल किए जाने का मामला चर्चा में है. दिल्ली के शाहीन बाग में हो रहे विरोध प्रदर्शन में एक बच्चे की मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए नाराजगी जताई है.

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गांधी की इस तस्वीर के बारे में गूगल सर्च करने पर कई ऐसे रिजल्ट आते हैं, जिनमें बताया गया है कि गांधी की यह तस्वीर 1930 में ऐति​हासिक दांडी मार्च के दौरान की है और उनके साथ जो बच्चा है वह गांधी के पोते कनु रामदास हैं.

लेकिन इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) की पड़ताल में सामने आया कि कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने इस तस्वीर को दांडी मार्च से जोड़ा है जो कि गलत है. यह तस्वीर 1937 में मुंबई के जुहू बीच पर खींची गई थी, जब गांधी बीमारी के बाद स्वास्थ्य लाभ के लिए जुहू के आरडी बिड़ला बंगले में ठहरे थे.

2016 में जब कनु गांधी का देहांत हुआ, इस तस्वीर के साथ “डेली मेल ”, “हिंदुस्तान टाइम्स ” और “नवभारत टाइम्स ”  ये गलत सूचना प्रकाशित की.

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हाल ही में पत्रकार Kamalika Ghosh ने इस फोटो को ​ट्वीट करते हुए कैप्शन में लिखा, “किस तरह की मां एक बच्चे को विरोध प्रदर्शन में ले जाती है?” मार्च-अप्रैल 1930 के ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी के आगे छड़ी पकड़ कर चलते हुए उनके पोते कनु रामदास गांधी जो उस समय बच्चे थे.

इस तस्वीर के बारे में यही गलत सूचना फेसबुक पर भी वायरल हो रही है.

AFWA की पड़ताल

हम यहां एक नहीं, बल्कि पांच ऐसे सबूत पेश कर रहे हैं जिनसे यह साबित होता है कि वायरल हो रही तस्वीर दांडी मार्च की नहीं, बल्कि उसके सात साल बाद जुहू बीच की है.

पहला सबूत

रिवर्स इमेज सर्च की मदद से यह तस्वीर हमें “Getty Images ” पर मिली, जहां कैप्शन में लिखा है, “महात्मा गांधी बॉम्बे (भारत) के जुहू बीच पर अपने पोते के साथ मस्ती करते हुए”.

दूसरा सबूत

संबंधित कीवर्ड्स की मदद से AFWA को इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स की वेबसाइट से आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की बहुमूल्य सूचनाएं मिलीं. यहां ‘महात्मा- लाइफ ऑफ मोहनदार करमचंद गांधी’नाम की किताब में इस वायरल तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है और इसके बारे में बताया गया है कि यह 1937 में मुंबई के जुहू बीच पर खींची गई थी.

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तीसरा सबूत

8 नंवबर, 2016 को कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने यह ऐतिहासिक तस्वीर ट्वीट की और कैप्शन में लिखा, “1937 में बॉम्बे के जुहू बीच पर महात्मा गांधी अपने पोते कनुभाई गांधी के साथ”.

चौथा सबूत

बापू के मुंबई प्रवास को समर्पित म्युजियम मणि भवन गांधी संग्रहालय की वेबसाइट  भी यही कहती है कि यह फोटो 1937 में जुहू बीच पर खींची गई थी.

इस वेबसाइट ने गांधी के 1915 से लेकर 1948 के बीच मुंबई के दौरे का क्रोनोलॉजिकल स्केच तैयार किया है. यह स्पष्ट तौर पर कहती है कि 7-13 दिसंबर, 1937 में गांधी बॉम्बे (मुंबई) में थे और इस दौरान वे बीमार थे.

पांचवां सबूत

फोटो की प्रामाणिकता को और अधिक जांचने के लिए हम नई दिल्ली में नेशनल गांधी म्युजियम एंड लाइब्रेरी के निदेशक ए अन्नामलाई के पास पहुंचे. उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की कि यह तस्वीर जुहू बीच पर खींची गई थी और तस्वीर में दिख रहा बच्चा कनु रामदास हैं.

यह भी गौर किया जाना चाहिए कि कनु रामदास गांधी 1928 में पैदा हुए थे और दांडी मार्च 1930 में हुआ था. इस समय कनु गांधी मात्र दो साल के थे. तस्वीर को देखकर समझा जा सकता है कि गांधी के आगे चल रहा बच्चा दो साल का नहीं है.

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दांडी मार्च अथवा नमक सत्याग्रह गांधी के नेतृत्व में चला सविनय अवज्ञा आंदोलन था जो कि ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर भारी टैक्स लगाने के विरोध में था.

हालांकि, आगे खोजबीन करने पर हमने पाया कि बापू के दूर के रिश्ते के एक और पोते (grandnephews) का नाम कनु गांधी था. इन कनु गांधी की वेबसाइट के मुताबिक, इन्होंने 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लिया था. तब वे 15 साल के थे और इसके लिए उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. लेकिन इस ऐतिहासिक तस्वीर में ​जो बच्चा दिख रहा है वह गांधी के परपोते कनु गांधी नहीं, बल्कि गांधी के पोते कनु गांधी हैं.

इस तरह AFWA की पड़ताल से स्पष्ट है कि वायरल हो रही तस्वीर 1930 के दांडी मार्च की नहीं है. यह तस्वीर 1937 में मुंबई के जुहू बीच पर खींची गई थी.

क्या आपको लगता है कोई मैसैज झूठा ?
सच जानने के लिए उसे हमारे नंबर 73 7000 7000 पर भेजें.
आप हमें factcheck@intoday.com पर ईमेल भी कर सकते हैं
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