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फैक्ट चेक: सीरिया के शरणार्थियों की तस्वीर के साथ फ्रांस में मुस्लिमों पर हमले का दावा

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है. तस्वीर के साथ मुसलमानों पर तंज करते हुए दावा किया गया है कि फ्रांस में मुस्लिमों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा जा रहा है.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
तस्वीर में देखा जा सकता है कि कैसे फ्रांस में मुसलमानों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा जा रहा है.
सच्चाई
ये तस्वीर 2015 में सीरिया और तुर्की के बॉर्डर के पास खींची गई थी, जब सीरिया के लोग संघर्ष से बचने के लिए बॉर्डर के रास्ते तुर्की में घुस रहे थे.
अर्जुन डियोडिया
  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 6:40 PM IST

फ्रांस में कट्टरपंथी हिंसा में चार लोगों के मारे जाने के बाद से देश में आक्रोश है. इन घटनाओं को लेकर फ्रांस में इस्लामिक अलगाववाद और कट्टरवाद का मुद्दा गरमा चुका है. इसी के मद्देनजर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है.

तस्वीर के साथ मुसलमानों पर तंज करते हुए दावा किया गया है कि फ्रांस में मुस्लिमों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा जा रहा है. तस्वीर में एक मैदानी इलाके में महिलाओं और बच्चों सहित कुछ लोगों को अपना सामन लेकर भागते हुए देखा जा सकता है.

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तस्वीर के साथ सोशल मीडिया यूज़र्स कैप्शन में लिख रहे हैं, "फ्रांस में शांतिदूतों के विरुद्ध अब ईसाइयों का गुस्सा फूट पड़ा है। बकरा दाढ़ी वालों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा जा रहा है ,आप भी तैयार रहे आपको भी अपने देश में एक ऐसी लड़ाई लड़ने की आवश्यकता पड़ेगी.. #utho_or_pratighat_karo".

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल पोस्ट भ्रामक है. ये तस्वीर 2015 में सीरिया और तुर्की की बॉर्डर के पास ली गई थी.

इस भ्रामक पोस्ट को फेसबुक और ट्विटर पर काफी शेयर किया जा रहा है. वायरल पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.

क्या है सच्चाई?

इस तस्वीर को Tin Eye टूल पर खोजते समय हमें ये तस्वीर Getty Images की वेबसाइट पर मिली. तस्वीर के साथ दिए गए कैप्शन के मुताबिक, ये तस्वीर को 10 जून 2015 को तुर्की के सनलीउर्फा (Sanliurfa) प्रान्त में खींची गई थी. उस समय सीरिया के लोग रास-अल-ऐन (Ras al-Ayn) क्षेत्र में चल रहे संघर्ष से बचने के लिए बॉर्डर के रास्ते तुर्की के अकाकले (Akcakale) शहर में घुस रहे थे.

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तुर्की के सनलीउर्फा में आने वाला अकाकले शहर तुर्की और सीरिया के बॉर्डर पर बसा हुआ है. उस समय रास-अल-ऐन में शुरू हुए  तनाव के बाद सीरिया के कई लोगों ने बॉर्डर पार कर तुर्की में शरण ली थी. सीरिया में ये तनाव इस्लामिक स्टेट और कुर्द लड़ाकों के बीच चल रहा था.

मिडिल ईस्ट मॉनिटर नाम की एक वेबसाइट के आर्टिकल में भी इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था. इस आर्टिकल में भी तस्वीर के साथ यही जानकारी दी गई है.

इन तथ्यों से साफ है कि कि वायरल पोस्ट भ्रामक है. तस्वीर पांच साल से ज्यादा पुरानी है और तुर्की-सीरिया बॉर्डर के नजदीक की है. फ्रांस को लेकर इसी तरह का एक और भ्रामक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल है. इसमें एक वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि फ्रांस में एक आदमी ने बुर्का पहने एक महिला पर हमला किया. इंडिया टुडे ने ने इस दावे का भी खंडन करते हुए सच्चाई सामने रखी है.

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