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फैक्ट चेक: इंडिया गेट पर शहीदों के लिखे नाम पर ओवैसी के दावे का सच

आजादी की लड़ाई में मुसलमानों के योगदान का जिक्र करते हुए पिछले दिनों मुंबई की एक रैली में ओवैसी ने दावा किया. ओवैसी का कहना है कि इंडिया गेट पर 95300 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखे हैं जिनमें 61945 मुसलमान हैं.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
इंडिया गेट पर 95,300 नाम खुदे हैं जिसमें 61945 मुसलमानों के नाम हैं
सच्चाई
इंडिया गेट पर सिपाहियों के नाम लिखे हैं जो विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना की ओर से शहीद हुए और उनकी कुल संख्या 13220 हैं न कि 61945
चयन कुंडू
  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 7:58 PM IST

आजादी की लड़ाई में मुसलमानों के योगदान का जिक्र करते हुए पिछले दिनों मुंबई की एक रैली में एआईएमआईएम पार्टी के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक दावा किया. ओवैसी का कहना है कि इंडिया गेट पर 95300 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखे हैं जिनमें 61945 मुसलमान हैं. 

पीएम नरेंद्र मोदी और आरएसएस पर हमला करते हुए ओवैसी कहते हैं कि इंडिया गेट पर लिखे नामों में 65 फीसदी मुसलमान हैं.

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फेसबुक और ट्विटर पर भी यही दावा किया गया है.

क्या है ओवैसी के दावे की सच्चाई

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रुम ने पाया कि ये दावा भ्रामक है. इंडिया गेट पर जिन शहीदों के नाम दर्ज हैं वो दरअसल ब्रिटिश सेना के सिपाही थे और उन्होंने विश्व युद्ध में अपनी शहादत दी थी न कि भारत की आजादी के आंदोलन में.

सोशल मीडिया पर वायरल

फेसबुक पर इस दावे के साथ ये वीडियो वायरल है, कई यूजर्स जैसे “I Support Aimim Party” और रेणु आनंद  ने दावे के साथ लिखा  'क्रांतिकारी जय भीम

दिल्ली के इंडिया गेट पर कुल 95,300 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम हैं....

जिनमें मुसलमान -61395 सिक्ख – 8050 पिछड़े वर्ग के - 14480

दलित -10777 सवर्ण – 598 संघी मतलब आरएसएस वाले - 00

मतलब फिर भी कुछ बेशर्म भगवाधारी लोग मुसलमानों को गद्दार और दलितों को देशद्रोही बोलते हैं जबकि खुद उनके बाप दादाओं की जिंदगी अंग्रेजों की दलाली, मुखबिरी और चड्डी धोने में बीत गई और उनके बनावटी देशभक्त हमलोगों को देशभक्ति का सर्टिफिकेट बांटते हैं और अपने दोगले इतिहास कि झूठी शान बघारते है.”

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पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है

दावे का फैक्ट चेक 

A इंडिया गेट का इतिहास

दिल्ली पर्यटन विभाग के मुताबिक इंडिया गेट की नींव ड्यूक ऑफ कनॉट ने 1921 में रखी गई, इसका डिजाइन इडविन लुटियन ने किया था और 10 साल बाद वायसराय लॉर्ड इरविन ने इसका उद्घाटन किया.

विश्व युद्ध के दौरान हजारों भारतीयों ने ब्रिटिश फौज की ओर से जंग लड़ी. इंडिया गेट एक युद्ध स्मारक है जो विश्व युद्ध के दौरान मारे गए 70000 भारतीयों की याद में बनाया गया था.

इंडिया गेट के शिलालेख पर क्या खुदा है

इंडिया गेट के टॉप पर ‘INDIA’ शब्द खुदा है. उसके दोनों तरफ रोमन में ताऱीखें लिखीं हैं (1914) और (1919) on the right.  साथ ही ये भी लिखा है.

भारतीय सेनाओं के शहीदों के लिए, जो फ्रांस और फ्लैडर्स मेसोपोटामिया फारस पूर्वी अफ्रीका गैलीपोली और निकटपूर्व एवं सुदूरपूर्व की अन्य जगहों पर शहीद हुए और उनकी पवित्र स्मृति में भी जिनके नाम दर्ज़ हैं और जो तीसरे अफ़ग़ान युद्ध में भारत में या उत्तर-पश्चिमी सीमा पर शहीद हुए.

 कौन थे शहीद

कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन के मुताबिक इंडिया गेट पर 13220 भारतीयों के नाम दर्ज हैं. कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन ये एक ऐसी संस्था है जो दुनिया भर में युद्ध शहीदों का रिकॉर्ड रखती है. कमीशन के वेबसाइट पर लिस्ट भी मौजूद है.

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इस लिस्ट में मुसलमानों के साथ साथ कई दूसरे भारतीय और ब्रिटिश सिपाहियों के भी नाम हैं.

मगर कमीशन के नियमों के मुताबिक इसमें कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता.

निष्कर्ष

आजादी की लड़ाई में कई मुसलमानों ने अपनी जान दी लेकिन असद्दुदीन ओवैसी और कुछ और लोगों का ये दावा गलत है कि इंडिया गेट पर आजादी के सिपाहियों के नाम खुदे हैं.

इंडिया गेट पर सिपाहियों ने नाम लिखे हैं जो विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना की ओर से शहीद हुए. इनकी कुल संख्या 13220 है न कि 95300 जैसा कि दावा किया जा रहा है.

क्या आपको लगता है कोई मैसैज झूठा ?
सच जानने के लिए उसे हमारे नंबर 73 7000 7000 पर भेजें.
आप हमें factcheck@intoday.com पर ईमेल भी कर सकते हैं
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