सैनिक यूनिफॉर्म पहने, हाथ में एक मेडल लिए एक जवान की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इसे शेयर करते हुए कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि तस्वीर में दिख रहा ये शख्स भारतीय सेना का जवान बिष्णु श्रेष्ठ है, जिसने अकेले ही बड़ी बहादुरी से 40 लुटेरों का सामना किया और एक लड़की का बलात्कार होने से बचाया.
वायरल तस्वीर में लिखा है, "भारतीय सेना के गोरखा रेजिमेंट के बिष्णु श्रेष्ठ अकेले सिर्फ चाकू ले कर 40 लुटेरों से भिड़ गए थे. जिसमे 8 को घायल और 3 को मार गिराया था. बाकी भाग गए थे. इन्होने एक लड़की का रेप होने से बचा लिया." इसके साथ ही कैप्शन में इस घटना के बारे में विस्तार से बताया गया है. कैप्शन में लिखा है, 2 सितंबर 2010 को बिष्णु श्रेष्ठ ने एक खुखरी की मदद से चलती ट्रेन में डकैतों का सामना किया. कैप्शन में ये भी बताया गया है कि बिष्णु श्रेष्ठ ने एक महिला का बलात्कार होने से बचाया था. ये पोस्ट फेसबुक पर काफी वायरल है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AWFA) ने पाया कि ये वायरल पोस्ट आधी सच्चाई बताती है. दरअसल, तस्वीर में दिख रहा भारतीय सेना का जवान बिष्णु श्रेष्ठ नहीं बल्कि ब्रिटिश सेना के गोरखा रॉयल रेजिमेंट के एक जवान दीपप्रसाद पुन हैं. हालांकि, पोस्ट में भारतीय सेना के जवान बिष्णु श्रेष्ठ की बहादुरी को लेकर जो कहानी सुनाई जा रही है, वह सच है.
AWFA की पड़ताल
रिवर्स सर्च की मदद से हमें जवान की ये तस्वीर ‘डेली मेल’ की एक न्यूज़ रिपोर्ट में मिली. रिपोर्ट में बताया गया है कि ये गोरखा फौजी दीपप्रसाद पुन हैं, जो ब्रिटिश आर्मी के गोरखा रॉयल रेजिमेंट का हिस्सा हैं. 2 जून, 2011 की इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि दीपप्रसाद पुन ने अफ़ग़ानिस्तान में 30 से ज्यादा तालिबानियों का अकेले मुकाबला किया था. दीपप्रसाद की इस बहादुरी के लिए ब्रिटिश महारानी एलिज़ाबेथ ने उन्हें मेडल देकर सम्मानित किया था.
दरअसल, गोरखा हिमालय और उसके आसपास रहने वाला एक समुदाय है. आम तौर पर इन्हें नेपाली माना जाता है. गोरखा अपनी असाधारण बहादुरी के लिए जाने जाते हैं. वे केवल नेपाल सेना में ही नहीं बल्कि ब्रिटिश और भारतीय सेनाओं में भी सेवाएं देते हैं. दीपप्रसाद पुन भी ब्रिटिश आर्मी की रॉयल गोरखा रेजिमेंट का हिस्सा थे, जिन्हें उनकी वीरता के लिए सम्मानित किया गया था.
क्या है बिष्णु श्रेष्ठ की कहानी?
खोजने पर हमने पाया कि बिष्णु श्रेष्ठ एक भारतीय सैनिक थे जिन्होंने चलती ट्रेन में 30 से ज्यादा लुटेरों का मुकाबला किया था. 2 सितंबर, 2010 को गोरखा राइफल्स के सिपाही बिष्णु श्रेष्ठ, मौर्य एक्सप्रेस ट्रेन में सफर कर रहे थे. सफर के दौरान करीब 30-40 डाकू ट्रेन में घुसे और यात्रियों को लूटना शुरू कर दिया. खबर में ये भी बताया गया है कि लुटेरों ने एक 18 वर्षीय लड़की के साथ उसके माता-पिता के सामने ही दुष्कर्म करने का प्रयास किया. बिष्णु को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और अपनी खुखरी लेकर डाकुओं पर टूट पड़े. उन्होंने तीन डाकुओं को मार गिराया और बाकी आठ को गंभीर रूप से घायल कर दिया. इस तरह बिष्णु ने लड़की के साथ ट्रेन में बैठे सारे यात्रिओं को भी बचाया. बिष्णु को उनकी वीरता के लिए दो पदक भी मिले थे.
एक खबर के मुताबिक, बॉलीवुड संगीत निर्देशक, गायक, अभिनेता हिमेश रेशमिया ने मौर्य एक्सप्रेस ट्रेन डकैती और बिष्णु श्रेष्ठ की वीरता के आधार पर एक बायोपिक बनाने का ऐलान भी किया था.
पड़ताल में ये साफ़ हो जाता है कि वायरल तस्वीर भारतीय सैनिक बिष्णु श्रेष्ठ की नहीं बल्कि ब्रिटिश आर्मी के दीपप्रसाद पुन की है. हालांकि, भारत के बिष्णु श्रेष्ठ और ब्रिटिश के दीपप्रसाद पुन- दोनों ही गोरखा हैं और दोनों अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते हैं.
(सोनाली खट्टा के इनपुट के साथ)