झारखंड में मॉब लिंचिंग का शिकार हुए तबरेज अंसारी को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट जमकर वायरल हो रही है. पोस्ट में दो तस्वीरें हैं और दावा किया जा रहा है कि झारखंड के 1600 हिंदू परिवारों ने कहा है कि अगर तबरेज को इंसाफ नहीं मिला तो वो इस्लाम कबूल लेंगे. तस्वीरों में सड़क पर भारी भीड़ नजर आ रही है जिसमें कुछ लोगों के हाथों में लाल झंडे भी हैं.
पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, 'झारखंड के 1600 हिंदू परिवारों ने कहा कि तबरेज को इंसाफ नहीं मिला तो एक हफ्ते में 1600 परिवारों के 8000 लोग एक साथ इस्लाम #कुबूल करेंगे.'
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में पाया कि ये तस्वीरें झारखंड की नहीं, बल्कि राजस्थान के कोटा की हैं. इन तस्वीरों का धर्म परिवर्तन से भी कोई लेना देना नहीं है.
खबर लिखे जाने तक फेसबुक पर इस पोस्ट को पांच सौ से भी ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं.
पड़ताल में सबसे पहले हमने पता लगाया की भीड़ में दिख रहे लाल रंग के झंडे किस संस्था के हैं. भारत की राजनीतिक पार्टियों के झंडे देखने पर सामने आया कि ये झंडा Social Democratic Party of India (SDPI) का हैं.
SDPI का फेसबुक पेज खंगालाने पर हमें पत्रिका अखबार में छपी एक खबर का स्क्रीन शॉट मिला जिसमें पहली वायरल तस्वीर इस्तेमाल की गई थी. तस्वीर के नीचे कैप्शन में लिखा गया है, 'झारखंड में मुस्लिम युवक की हत्या के विरोध में रैली निकालते समुदाय के लोग'. खबर के अनुसार 28 जून को राजस्थान के कोटा में SDPI के लोगों ने तबरेज अंसारी की हत्या की घटना के विरोध में प्रदर्शन किया था.
SDPI Kota के फेसबुक पेज पर वायरल तस्वीर के साथ ही इस प्रदर्शन की अन्य तस्वीरें भी देखी जा सकती हैं.
पोस्ट की दूसरी तस्वीर भी इसी प्रदर्शन की है. इस तस्वीर में उपर की तरफ कुछ दुकानें नजर आ रही हैं, जिनमें से एक दुकान के बाहर लगे बोर्ड पर 'CMP' लिखा दिख रहा है. गूगल पर 'CMP kota' खोजने पर हमें एक 'CMP Traders' नाम की एक दुकान का पता और फोन नंबर मिला. जब हमने CMP Traders से संपर्क किया तो उन्होंने पुष्टि की कि कुछ दिनों पहले उनकी दुकान के सामने से SDPI कार्यकर्ताओं की तबरेज अंसारी की हत्या के विरोध में रैली निकली थी.
इंटरनेट पर खोजने पर हमें ऐसी कोई न्यूज रिपोर्ट भी नहीं, मिली जिसमें तबरेज अंसारी के लिए हिंदू परिवारों का इस्लाम कबूलने की बात का जिक्र हो. पड़ताल में यह स्पष्ट हुआ कि ये तस्वीरें कोटा, राजस्थान की हैं और पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है.