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फैक्ट चेक: कश्मीर की 4 साल पुरानी तस्वीर दिल्ली हिंसा से जोड़कर वायरल

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें एक सुरक्षाकर्मी एक आदमी को लात मारता दिख रहा है. तस्वीर के साथ कैप्शन में तंज करते हुए लिखा गया है कि दिल्ली पुलिस मुसलमानों से इस तरह शांति की अपील करती है.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
मुस्लिम युवक को लात मारते हुए दिल्ली पुलिस की तस्वीर.
सच्चाई
यह तस्वीर कम से कम चार साल पहले कश्मीर में खींची गई थी.
अर्जुन डियोडिया
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 8:59 PM IST

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें एक सुरक्षाकर्मी एक आदमी को लात मारता दिख रहा है. तस्वीर के साथ कैप्शन में तंज करते हुए लिखा गया है कि दिल्ली पुलिस मुसलमानों से इस तरह शांति की अपील करती है.

फेसबुक यूजर “Naween Kumar Sah” ने इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा है, “दिल्ली पुलिस मुसलमानों से शांति की अपील करते हुए!!” स्टोरी लिखे जाने तक यह पोस्ट 350 से ज्यादा बार शेयर की जा चुकी है. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

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फेसबुक पोस्ट

यह तस्वीर ट्विटर पर भी दिल्ली में हुई हिंसा से जोड़कर वायरल हो रही है.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा गलत है. यह तस्वीर कम से कम चार साल पुरानी है और कश्मीर की है.

हमें कोई ऐसी न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली जो इस वायरल तस्वीर के बारे में कोई विस्तृत जानकारी दे सके. हालांकि, हमने पाया कि यही तस्वीर फेसबुक पर मार्च 2016 में बांग्ला भाषा में कैप्शन के साथ अपलोड की गई थी. इस तस्वीर पर किसी सोफी एहसान का कॉपीराइट हस्ताक्षर भी है.

फेसबुक पोस्ट

इंडिया टुडे ने सोफी एहसान के बारे में इं​टरनेट पर सर्च किया तो इसी नाम के एक पत्रकार के बारे में पता चला जो कश्मीर से हैं. सोफी एहसान वर्तमान में 'इंडियन एक्सप्रेस', चंडीगढ़ में कार्यरत हैं. हमने सोफी से संपर्क किया तो उन्होंने पुष्टि की कि यह तस्वीर कुछ साल पहले श्रीनगर में एक प्रदर्शन के दौरान उन्होंने ही खींची थी.

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सोफी ने कहा, “यह तस्वीर कश्मीर की है. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि यह तस्वीर कश्मीर की है, क्योंकि मेरे पास इन अर्धसैनिक बलों की और भी तस्वीरें हैं जिनमें वे ऐसी ही कार्रवाई करते दिख रहे हैं. मैंने इसे कुछ साल पहले खींची थी जब मैं श्रीनगर में एक विरोध प्रदर्शन की कवरेज कर रहा था. हालांकि, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि तस्वीर में जो व्यक्ति दिख रहा है, वह प्रदर्शनकारी नहीं था. अगर उसकी पहचान की जानी है तो उसे इस तरह नहीं पहचाना जाना चाहिए.”

सोफी ने हमें प्रदर्शन की इस घटना की अन्य तस्वीरें भी भेजीं जिसमें पीले कुर्ते में वही आदमी दिख रहा है जो वायरल तस्वीर में दिख रहा है.

पीले कुर्ते में शख्स

इस तरह से पड़ताल से स्पष्ट है कि वायरल पोस्ट में किया गया दावा गलत है. यह तस्वीर दिल्ली की नहीं, बल्कि कश्मीर की है और चार साल पुरानी है.

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