किसान आंदोलन के चलते सोशल मीडिया पर बुजुर्ग महिला की एक तस्वीर काफी चर्चा में है. तस्वीर में एक बुजुर्ग महिला हाथ में किसान यूनियन का झंडा लिए चलते हुए नजर आ रही हैं. तस्वीर में उनके साथ कुछ अन्य महिलाएं भी हैं. सोशल मीडिया पर बताया जा रहा है कि ये महिला अभी चल रहे किसान आंदोलन से जुड़ी हैं. बुजुर्ग महिला का आंदोलन के प्रति जज्बा और जुनून को लेकर खूब तारीफ हो रही है.
लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि ये दादी वही महिला हैं जो दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन में बैठी थीं. कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ये भी कह रहे हैं कि ये बुजुर्ग महिला पैसे लेकर कभी शाहीन बाग में आंदोलन करती है तो कभी किसान आंदोलन में पहुंच जाती है. ट्विटर पर बॉलीवुड अदाकारा कंगना रनौत ने भी इस बुजुर्ग महिला को लेकर कुछ इसी तरह का दावा किया था.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल पोस्ट भ्रामक है. ये बुजुर्ग महिला शाहीन बाग वाली दादी नहीं हैं. इनका नाम महिंदर कौर है और ये पंजाब के बठिंडा के एक गांव की रहने वाली हैं. महिंदर कौर की ये तस्वीर भी एक महीने से ज्यादा पुरानी है.
सोशल मीडिया पर इस तरह के भ्रामक पोस्ट को जमकर शेयर किया जा रहा है. शाहीन बाग वाली बिलकिस दादी (बिलकिस बानो) और महिंदर कौर की तस्वीर को पोस्ट करते हुए लोग लिख रहे हैं, "शाहीन बाग वाली दादी अब किसान बन गई". इसकी सच्चाई आने के बाद कंगना रनौत ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था.
कैसे पता चली सच्चाई?
खोजने पर हमें 'भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहां' का एक फेसबुक पोस्ट मिला. इस पोस्ट में भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसान नेता सुखदेव सिंह का नंबर था. इस पोस्ट को लेकर सुखदेव से हमारी बात हुई और उन्होंने हमें 'भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहां' की महिला विंग की नेता हरिंदर कौर बिंदु से संपर्क करने को कहा. हरिंदर कौर ने हमें बताया कि सोशल मीडिया पर इस बुजुर्ग महिला के बारे में झूठ फैलाया जा रहा है. हरिंदर के मुताबिक महिला का नाम महिंदर कौर है और ये बठिंडा के बहादुरगढ़ जांदीआं गांव की रहने वाली हैं. हरिंदर की मदद से हमारी बात धर्मपाल सिंह से हुई जो इस बुजुर्ग महिला के देवर हैं.
धर्मपाल ने भी हमें बताया कि ये महिला उनकी भाभी महिंदर कौर हैं, ना कि शाहीन बाग वाली बिलकिस दादी. धर्मपाल का कहना था कि ये तस्वीर एक महीने से ज्यादा पुरानी है जब महिंदर कौर ने बटिंडा के पास किसान आंदोलन में हिस्सा लिया था. धर्मपाल के मुताबिक वायरल तस्वीर बठिंडा जिले में स्थित ESSAR के एक पेट्रोल पंप के पास खींची गई थी. हमें भी पड़ताल में कुछ ऐसे फेसबुक पेज मिले जहां वायरल तस्वीर 13 अक्टूबर को शेयर की गई थी. जानकारी पुख्ता करने के लिए धर्मपाल ने हमें महिंदर कौर की कुछ तस्वीरें और आधार कार्ड की कॉपी भी भेजी.
इसके साथ ही धर्मपाल ने हमें महिंदर कौर का एक वीडियो भी भेजा जिसमें वो अपने बारे में जानकारी दे रही हैं. धर्मपाल का कहना था कि इस उम्र में भी महिंदर कौर खेतों में काम करने जाती हैं. इन तस्वीरों और वीडियो से साबित हो जाता है कि वायरल तस्वीर महिंदर कौर की ही है.
वायरल पोस्ट को लेकर हमारी बात शाहीन बाग आंदोलन का चेहरा बनीं बिलकिस बानो के बेटे मंजूर अहमद से भी हुई. मंजूर ने भी इस बात की पुष्टि की कि वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा झूठा है और वायरल तस्वीर उनकी मां बिलकिस बानो की नहीं है. मंजूर का कहना था कि ये सच है कि उनकी मां भी किसान आंदोलन में जाने वाली थीं लेकिन कुछ कारण से वो नहीं जा पाईं. बता दें कि बिलकिस बानो TIME मैग्जीन की 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में जगह बना चुकी हैं.
यहां स्पष्ट हो जाता है कि वायरल पोस्ट में जिन दो महिलाओं की तस्वीर इस्तेमाल की गई है, वे दोनों एक ही नहीं हैं. किसान यूनियन का झंडा लिए चल रही महिला का नाम महिंदर कौर है जो बठिंडा की रहने वाली हैं. वहीं बिलकिस बानो दिल्ली के शाहीन बाग में रहती हैं.
नोट: खबर लिखे जाने के अगले दिन बिलकिस बानो किसानों के समर्थन में सिंधु बॉर्डर पहुंची थीं लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें आंदोलन में हिस्सा लेने से रोक दिया.