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फैक्ट चेक: मथुरा रेलवे स्टेशन पर 10 रुपये देकर बैग सैनिटाइज करवाना नहीं हुआ अनिवार्य

सोशल मीडिया पर कुछ लोग कह रहे हैं कि मथुरा रेलवे स्टेशन पर यात्रियों से उनका सामान सैनिटाइज करवाने के एवज में जबरन 10 रुपये वसूले जा रहे हैं. ऐसा कहने वाले लोग एक फोटो भी शेयर कर रहे हैं, जिसमें एक व्यक्ति के हाथ में एक रसीद नजर आ रही है.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन पर लोगों से जबर्दस्ती बैग सैनिटाइज करने के दस रुपये लिए जा रहे हैं.
सच्चाई
मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन पर 10 रुपये के एवज में बैग सैनिटाइज करने की सुविधा वैकल्पिक है. हर किसी के लिए बैग सैनिटाइज करवाना अनिवार्य नहीं है.
ज्योति द्विवेदी
  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 8:28 PM IST

प्रधानमंत्री मोदी ने 25 फरवरी 2021 को कहा कि निजीकरण आज की जरूरत है और इसे लोगों के पैसों का सही इस्तेमाल करने के लिए लागू किया जा रहा है. प्रधानमंत्री का ये बयान आने के बाद से ही कुछ लोग सोशल मीडिया पर ‘#निजीकरण_बंद_करो’ जैसे हैशटैग्स ट्रेंड करा रहे हैं और निजीकरण को देश के आम लोगों के लिए नुकसानदायक बता रहे हैं.

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इस बीच सोशल मीडिया पर कुछ लोग कह रहे हैं कि मथुरा रेलवे स्टेशन पर यात्रियों से उनका सामान सैनिटाइज करवाने के एवज में जबरन 10 रुपये वसूले जा रहे हैं. ऐसा कहने वाले लोग एक फोटो भी शेयर कर रहे हैं जिसमें एक व्यक्ति के हाथ में एक रसीद नजर आ रही है जिस पर लिखा है, ‘मथुरा रेलवे स्टेशन बैग सैनिटाइजिंग 10 रुपये’.  

इस फोटो को शेयर करते हुए एक फेसबुक यूजर ने लिखा, “निजीकरण का फायदा उठाती प्राइवेट कम्पनियाँ !! मात्र बैग सैनेटाइज करने का शुल्क 10 रूपये ? पेशाब का भी शुल्क जल्द देना होगा। जब नागरिक आपदा मे हो तो सरकार के लिए अवसर बन गया है। ये पहली बार हुआ है। मास्क के चालान की लूट के बाद ये नया तरीका.”

 

इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

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इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन पर 10 रुपये लेकर बैग सैनिटाइज करने की व्यवस्था अनिवार्य नहीं बल्कि वैकल्पिक है. यहां जबरन लोगों के बैग सैनिटाइज करवाए जाने की बात गलत है.

ये दावा पिछले कई महीनों से सोशल मीडिया पर वायरल है. एक फेसबुक यूजर ने सितंबर 2020 में इस बारे में लिखा, “मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन पर बैग सैनिटाइज करने के 10 रुपये प्रति बैग जबर्दस्ती ले रहे हैं. जबकि दिल्ली मेट्रो में यही सब नि:शुल्क है. और अगर दस रुपये की रसीद नहीं ली तो आपको आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा.”

एक ट्विटर यूजर ने अक्टूबर 2020 में लिखा था, “आखिर मथुरा रेलवे स्टेशन पर लोगों को बैग सैनिटाइज करने के लिए मजबूर क्यों किया जाता है और दस रुपये प्रति बैग का शुल्क क्यों वसूला जाता है ? जबकि लोग अपना बैग खुद ही सैनिटाइज करके लाते हैं.”

क्या है सच्चाई?

हमने पाया कि वायरल दावे से जुड़े एक ट्विटर पोस्ट पर कमेंट करते हुए रेलवे के सीनियर डीसीएम, आगरा ने 24 फरवरी 2021 को बताया कि ये सुविधा वैकल्पिक है. साथ ही, एक नोटिस और एक पोस्टर की फोटो भी पोस्ट की. नोटिस पर लिखा है, “बैग सैनीटाइज कराना वैकल्पिक व्यवस्था है, जिसके लिए यात्री बाध्य नहीं है. शुल्क- रु 10 प्रति यात्री”. पोस्टर पर कई टैगलाइंस लिखी हैं, जैसे ‘कोरोना किलर’ और ‘वैकल्पिक स्वेच्छानुसार’.

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‘आजतक’ के संवाददाता अरविंद शर्मा से बात करते हुए एसके श्रीवास्तव, मंडल वाणिज्य प्रबंधक, उत्तर मध्य रेलवे, आगरा मंडल ने बताया, “कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए पिछले साल आगरा कैंट और मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों का सामान सैनिटाइज करने की सुविधा शुरू की गई थी. इस सुविधा के एवज में 10 रुपये लेने का प्रावधान है. किसी से जबर्दस्ती करने का प्रावधान नहीं है.” एसके श्रीवास्तव का पूरा बयान नीचे देखा जा सकता है.

 

नॉर्थ सेंट्रल रेलवे ने पिछले साल अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर जानकारी दी थी कि 29 अगस्त 2020 को कोविड-19 महामारी को देखते हुए आगरा कैंट स्टेशन पर यात्रियों का सामान सैनिटाइज करने और उस पर कवर चढ़ाने की सुविधा शुरू की गई थी. साथ ही, ये भी बताया था कि ये सुविधा मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन में भी शुरू की जा रही है.

इस जानकारी के साथ नॉर्थ सेंट्रल रेलवे ने बैग सैनिटाइज करने वाली मशीन का एक वीडियो भी पोस्ट किया था.

यानी, मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन में यात्रियों से सामान सैनिटाइज करवाने के एवज में दस रुपये वसूले जाने की बात सच है, पर ये अनिवार्य नहीं है.

(सौरभ भटनागर के इनपुट के साथ)

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