अगर गाय पर चर्चा न हो तो लोकसभा चुनाव अधूरा ही रहेगा. फेसबुक पर तमाम यूजर उन पार्टियों की आलोचना कर रहे हैं, जिन्होंने गौरक्षा के नाम पर वोट मांगे. फेसबुक पेज 'Ravish Kumar - The Fearless Reporter' ने डंपर में लदी हुई गायों की एक विचलित कर देने वाली तस्वीर पोस्ट की है. तस्वीर के साथ टिप्पणी में लिखा गया है, “यही है गौ सेवा की असलियत. राजस्थान में भूख से मरी सैकड़ों गाय. कहां गए गाय के नाम पर वोट लेने वाले”.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत और गुमराह करने वाला है. हालांकि, राजस्थान की कई गोशालाओं में गायों की मौत की खबरें मीडिया में छपती रही हैं, लेकिन इस पोस्ट में जिस तस्वीर को पोस्ट करके वायरल कराया गया है, यह राजस्थान की न होकर पूर्वी अफ्रीका के केन्या की है.
इस तस्वीर को 'Ravish Kumar - The Fearless Reporter' नाम के फेसबुक पेज से 78000 लोगों ने शेयर किया है. पिछले साल यही तस्वीर 'Shehla rashid Fan ' नाम के पेज से शेयर की गई थी. पिछले ही साल यह तस्वीर 'I support Ravish kumar NDTV' नाम के पेज से भी शेयर की गई थी. इन दोनों पोस्ट को भी इसी टिप्पणी के साथ साझा किया गया था.
गूगल रिवर्स इमेज सर्च में जाकर खोजने के बाद हमने पाया कि 2014 में 'Eating my Ethics' नाम की वेबसाइट पर एक लेख छपा है. यह वायरल तस्वीर उस लेख में भी इस्तेमाल हुई है, जिसके कैप्शन में लिखा है, “मरी हुई गायों को आथी नदी के किनारे दफनाने के लिए उतारता हुआ ट्रक. केन्या मीट कमीशन में कटने के लिए लाई गईं सैकड़ों गायों की मौत हो गई. फोटो/ABEL MOSINGISI/The East African (2011)”
यह खबर कई अफ्रीकन वेबसाइट में छपी है. डेली नेशन ने यह खबर इसी फोटो और इसी कैप्शन के साथ 2009 में छापी है. केन्या मीट कमीशन में कटने के लिए लाई गईं सैकड़ों गायों की चारे के अभाव में मौत हो गई.
इस घटना को लेकर एक और वेबसाइट 'The East African ' में भी अलग—अलग कई तस्वीरों के साथ रिपोर्ट छपी है.
यानी ट्रक से मरी हुई गायों को उतारते हुए यह तस्वीर केन्या की है और कम से कम 10 साल पुरानी है. इसे राजस्थान की तस्वीर बताना गुमराह करने वाला है.
हालांकि, कई ऐसी खबरें मीडिया में छपी हैं जो राजस्थान में गायों की दुर्दशा बयान करती हैं. जैसे इंडिया टुडे ने इस तरह की रिपोर्ट की थी. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने भी रिपोर्ट की थी कि राजस्थान की गौशालाओं में चारे के अभाव के चलते 500 गायों की मौत हो गई.