मध्य प्रदेश की मौजूदा शिवराज चौहान सरकार पर निशाना साधते हुए कुछ लोग एक अखबार की कटिंग शेयर कर रहे हैं. ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि जहां एक ओर बीजेपी, द्रौपदी मुर्मू के रूप में एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाने पर वाहवाही बटोर रही है. वहीं दूसरी तरफ, बीजेपी शासित प्रदेश एमपी में कुछ आदिवासियों के पानी मांगने पर वहां की पुलिस ने उन्हें जबर्दस्ती पेशाब पिला दिया.
वायरल हो रही अखबार की कटिंग की हेडलाइन है, ‘पानी मांगा तो पांच आदिवासियों को जबरन पेशाब पिलाया’. साथ ही, ऊपर सबहेड में लिखा है, ‘मध्य प्रदेश में पुलिसकर्मियों की शर्मनाक हरकत’.
एक फेसबुक यूजर ने इस कटिंग को शेयर करते हुए लिखा, “शर्मनाक. और बीजेपी कह रही है कि हमने राष्ट्रपति आदिवासी बना दिया.”
बहुत सारे लोग इसे हाल-फिलहाल की घटना समझ रहे हैं और बीजेपी सरकार को बुरा-भला कह रहे हैं. कई लोग इसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी टैग कर रहे हैं.
इंडिया टुडे की फैक्ट चेक टीम ने पाया कि ये घटना हाल-फिलहाल की नहीं बल्कि अगस्त 2019 की है, जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी. उस वक्त वहां के मुख्यमंत्री कमलनाथ थे.
इस मामले में चार पुलिसवालों को सस्पेंड किया गया था.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
अखबार की वायरल कटिंग को ध्यान से देखने पर इसमें ऊपर की तरफ 14 अगस्त, 2019 तारीख लिखी दिखती है. साथ ही, इसमें ये भी बताया गया है कि ये घटना एमपी के अलीराजपुर जिले के नानपुर पुलिस थाने की है.
इस जानकारी की मदद से हमने कीवर्ड्स के जरिये खोजबीन की. ऐसा करने पर हमें ऐसी कई सारी न्यूज रिपोर्ट मिलीं जिनमें नानपुर पुलिस थाने की एक ऐसी घटना का जिक्र था. ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की 13 अगस्त, 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, अलीराजपुर, मध्य प्रदेश के नानपुर थाने के कुछ पुलिसवालों पर पांच आदिवासी युवकों को हिरासत में पीटने का आरोप लगा था. पेशाब पिलाने का भी आरोप लगाया गया था.
युवकों के शरीर पर चोट के निशान भी मिले थे. विभागीय जांच में युवकों को पीटने का आरोप सही पाया गया था और इस वजह से तब नानपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी समेत चार पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया गया था.
और भी कई मीडिया वेबसाइट्स ने इस खबर को छापा था.
हमने अखबार की वायरल कटिंग अलीराजपुर की सब डिविजनल पुलिस अफसर (एसडीओपी) श्रद्धा सोनकर को भी भेजी. उन्होंने ‘आजतक’ को बताया कि ये घटना तकरीबन तीन साल पुरानी है. हाल-फिलहाल में ऐसी कोई घटना वहां नहीं हुई है.
हमने ‘आजतक’ के अलीराजपुर संवाददाता चंद्रभान सिंह भदौरिया से भी इस बारे में बात की. उन्होंने हमें बताया कि साल 2019 में जब ये घटना हुई थी, तब वो नानपुर पुलिस थाने में इसके कवरेज के लिए गए थे.
साफ है, तीन साल पुरानी घटना की खबर को अभी का बताकर पेश किया जा रहा है और बीजेपी सरकार को घेरा जा रहा है.