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फैक्ट चेकः क्या मुंबई के तटों की सफाई के बाद समुद्री कछुए यहां पैदा हो रहे हैं?

क्या इस हफ्ते हजारों समुद्री कछुए मुंबई के तटीय किनारों पर पैदा हुए? पिछले कुछ सालों से शहर के आम लोग वर्सोवा बीच की साफ-सफाई में लगे हुए हैं. इसको लेकर सोशल मीडिया में दावा किया जा रहा है कि साफ सफाई के बाद समुद्री कछुए वर्सोवा तट पर पैदा हो रहे हैं. क्या है इसकी सच्चाई.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
सैकड़ों कछुओं का जन्म मुंबई के वर्सोवा के तटीय किनारों पर इस हफ्ते हुआ.
सच्चाई
मुंबई के समुद्री किनारे अभी भी कूड़े से भरे हैं. पिछले साल एक मादा कछुए ने अंडे दिए थे पर इस साल ऐसा कुछ नहीं हुआ.
विद्या
  • मुंबई,
  • 04 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:22 PM IST

क्या इस हफ्ते हजारों समुद्री कछुए मुंबई के तटीय किनारों पर पैदा हुए? पिछले कुछ सालों से शहर के आम लोग वर्सोवा बीच की साफ-सफाई में लगे हुए हैं. इसको लेकर सोशल मीडिया में दावा किया जा रहा है कि साफ सफाई के बाद समुद्री कछुए वर्सोवा तट पर पैदा हो रहे हैं. इस दावे के साथ दो फोटो भी शेयर किए जा रहे हैं. एक में लिखा है 'पहले' जिसमें ढेर सारा कचरा दिख रहा है और दूसरे फोटो में लिखा है 'बाद में' और इस फोटो में सैकड़ों नन्हे कछुए दिख रहे हैं.

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क्या है दावा

फेसबुक यूजर नादा फवाद ने दो फोटो को एक साथ जोड़ कर लिखा 'मुंबई, भारत में वर्सोवा बीच को साफ करने में 96 सप्ताह और हजारों स्वयंसेवक लगे. इस हफ्ते हजारों में से सैकड़ों समुद्री कछुए अंडे से निकले. किसी एक दशक में पहली बार. कुछ भी साफ किया जा सकता है. फेसबुक पर कुछ लोगों ने इसे शेयर किया है और इसके आर्काइव्ड वर्शन को यहां देखा जा सकता है.

इसी तरह से कुछ और फेसबुक और ट्विटर यूजर्स ने इन्हीं फोटो और दावे को अपलोड किया है.

क्या है सच्चाई

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया की कि 2018 में एक समुद्री कछुए ने मुंबई के वर्सोवा बीच पर अंडे जरूर दिए थे, लेकिन इस हफ्ते या इस साल यहां ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. बरसात के दिनों में मुंबई के तटीय किनारों पर गंदगी दिखती हैं क्योंकि समुद्र में फेंका गया कूड़ा वापस तटीय इलाकों पर आ जाता है.

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वायरल पोस्ट में इस्तेमाल किए गए कछुओं के फोटो की सच्चाई को लेकर इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने रिवर्स सर्च किया तो यांडेक्स में इसी फोटो का बड़ा साइज का फोटो मिला. इस फोटो पर 'फोटो कॉपीराइट वीएसपीसीए' का वॉटरमार्क था. इंटरनेट पर 'वीएसपीसीए' ढूंढने से 'विशाखा सोसाइटी फॉर प्रोटेक्शन एंड केअर ऑफ एनिमल्स' का नाम और संपर्क क्रमांक सामने आया.

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने वीएसपीसीए के संस्थापक प्रदीप कुमार नाथ से विशाखापट्टनम में संपर्क किया तो उन्होंने कहा, 'ये फोटो वीएसपीसीए का है और इसको इस तरह से बिना इजाजत इस्तेमाल करना गलत है. इस फोटो में 200 से ज्यादा ओलिव रिडली कछुए दिख रहे हैं जो कि भारत के पूर्वी तटीय किनारों पर ज्यादा आते हैं. भारत के पश्चिमी तटीय किनारों पर हरे कछुए और दूसरे तरह के कछुए ज्यादा आते हैं.'

दरअसल, विशाखापट्टनम के तटीय किनारों पर हर साल ओलिव रिडली कछुए भारी तादाद में अंडे देने पहुंचते हैं. अंडे से निकले छोटे-छोटे कछुए फिर समुद्र का रुख करते हैं और इस साल भी 70,000 से ज्यादा कछुए विशाखापट्टनम के समुद्री किनारों पर देखे गए थे. इस खबर को द न्यूज मिनट में पढ़ा भी जा सकता है.

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने पाया कि मुंबई के वर्सोवा तट पर मार्च 2018 को एक ओलिव रिडली कछुए ने अंडे दिए थे जिसमें 80 बच्चे निकले थे और इन्होंने अरब सागर का रुख किया. उस वक्त बीच की साफ सफाई में लगे लोगों ने इसके फोटो और वीडियो बना लिए थे जिसे द टाइम्स ऑफ इंडिया की इस खबर में देखा जा सकता है.

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इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने महाराष्ट्र सरकार के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एन वासुदेवन से भी बात की तो उन्होंने बताया कि मुंबई के वर्सोवा बीच पर कछुए सिर्फ पिछली बार ही पाए गए थे, न उसके पहले, न उसके बाद.

वहीं मानसून के दौरान समुद्र में उफान जब आता है तब ऊंची लहरें मुंबई के समुद्री किनारों पर काफी कूड़ा खुद ही पटक जाते हैं. इसी वजह से बारिश के मौसम में लगातार सफाई के बावजूद कूड़ों का अंबार दिखता रहता है. अभिनेत्री पूजा बेदी का हाल ही में किया ट्वीट वर्सोवा बीच की गंदगी की तस्दीक करता है.

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