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फैक्ट चेक: मुस्लिम ड्राइवर ने किया 250 यात्रियों का क़त्ल? जानिए पूरी सच्चाई

गैंग के जिन सदस्यों को पकड़ा गया था, उनमें से एक का नाम सलीम था. उस समय मेरठ के एसएसपी दीपेश जुनेजा थे. वायरल खबरों में उनके भी नाम का जिक्र है. सभी न्यूज रिपोर्ट्स में 2007 में दिया गया उनका कोट भी डाला गया है और ऐसे पेश किया गया है कि जैसे जुनेजा ने ये बयान 2019 में दिया हो.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
एक टैक्सी ड्राइवर सलीम ने चार महीने में 250 यात्रियों को मार डाला है.
सच्चाई
ये वारदात कम से कम 12 साल पुरानी है और इसे जानबूझकर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई है.
अर्जुन डियोडिया
  • नई दिल्ली,
  • 10 जून 2019,
  • अपडेटेड 9:58 PM IST

सोशल मीडिया पर एक लेख वायरल है. इस लेख में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के एक टैक्सी ड्राइवर की दहशत के बारे में बताया गया है. रिपोर्ट कहती है कि सलीम नाम का एक मुसलमान ड्राइवर है जिसने चार महीने में 250 यात्रियों को मार डाला है. लेख में ये भी दावा किया गया है कि सलीम ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है.

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2 जून को छपी इस रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि 'मारे गए ज्यादातर यात्री गैर मुस्लिम हैं और जाहिर है कि वे हिंदू ही होंगे'. कई वेबसाइट्स ने ये लेख हूबहू छापा है. ये सभी लेख 2 जून को ही छापे गए हैं, लेकिन किसी में भी ये नहीं बताया गया है कि ये वारदात किस साल की हैं.

फर्जी दावे का लिंक                         

एक वेरीफाइड ट्विटर यूजर पामेला गेलर ने अमेरिकी वेबसाइट 'गेलर रिपोर्ट' में छपे इस लेख को शेयर किया है. ये वेबसाइट इस्लाम विरोधी लेखन के लिए जानी जाती है. पामेला खुद को इस वेबसाइट 'गेलर रिपोर्ट' की एडिटर इन चीफ बताती हैं. ट्विटर पर उनके 2 लाख फॉलोवर हैं. उन्होंने इसे अपने ट्विटर और फेसबुक अकाउंट से शेयर किया है. इस लेख को अबतक 2000 से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है.                                                                                                                                                

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इंडिया टुडे एं​टी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल पाया कि ये दावा पूरी तरह सच नहीं है और ये वारदात कम से कम 12 साल पुरानी है. वारदात के बारे में सूचनाओं को तोड़ मरोड़ कर सांप्रदायिक रंग भी दिया गया है.

हमारी पड़ताल में हमने पाया कि एक अंग्रेजी अखबार में मार्च, 2007 में इसी घटना का जिक्र करते हुए एक लेख छपा है. उस लेख के मुताबिक, मेरठ पुलिस ने 35 लोगों के एक गैंग का भंडाफोड़ किया, जिन्होंने चार साल की अवधि में 250 लोगों का मर्डर किया है. गैंग ने 2003 में जघन्य वारदातों को अंजाम देना शुरू किया था. वो खुद को टैक्सी ड्राइवर बताकर लोगों को झांसे में लेते थे, लोगों को लूटते थे और कुछ को मार भी देते थे. गैंग ने कानपुर, लखनऊ, फैजाबाद और इलाहाबाद में भी वारदात को अंजाम दिया था. उनके बारे में ये भी दावा किया गया कि उन्होंने 50 पुलिसवालों को भी मारा है.

गैंग के जिन सदस्यों को पकड़ा गया था, उनमें से एक का नाम सलीम था. उस समय मेरठ के एसएसपी दीपेश जुनेजा थे. वायरल खबरों में उनके भी नाम का जिक्र है. सभी न्यूज रिपोर्ट्स में 2007 में दिया गया उनका कोट भी डाला गया है और ऐसे पेश किया गया है कि जैसे जुनेजा ने ये बयान 2019 में दिया हो.

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हमारे स्थानीय संवाददाता उस्मान चौधरी ने भी कन्फर्म किया कि ये घटना 2007 की है. इस साल मेरठ में इस तरह का कोई सीरियल किलर नहीं पकड़ा गया है.

जाहिर है कि ये लेख जानबूझ कर वायरल किया गया है और इसमें तथ्यों के साथ हेरफेर करके इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई है. लेख में किया गया दावा गलत है क्योंकि यह वारदात 12 साल पुरानी है और इसे एक लुटेरे गैंग ने अंजाम दिया था न की किसी अकेले मुसलमान ड्राइवर ने.

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