मोदी कैबिनेट में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का एक वीडियो वायरल है जिसमें वो कह रहे हैं कि उनका पद रहे या जाए, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. ऐसा दावा है कि गडकरी ने ये बयान हाल ही में बीजेपी के संसदीय बोर्ड से हटाए जाने के बाद दिया है.
इस वीडियो में गडकरी कह रहे हैं, “आपको संभव हुआ तो मेरे पीछे खड़े रहो, नहीं रहा तो फर्क नहीं पड़ता. मेरा गया तो गया पद, चिंता नहीं है. कोई फर्क नहीं पड़ता है. मैं राजनीतिक पेशावर नहीं हूं, जो होगा सो देखा जाएगा. कि मैं भी बहुत सामान्य व्यक्ति हूं और आज भी मैं फुटपाथ पर खाने वाला थर्ड क्लास में पिक्चर देखने वाला. और नाटक पीछे से देखने वाले लोगों में से बड़ा हुआ हूं. तो मुझे वो जीवन बड़ा अच्छा लगता है. जेड प्लस सेक्योरिटी गार्ड अर्चना आती है तो मैं सबको रात में छोड़ने के बाद फिर निकल जाता हूं फुटपाथ पर. क्योंकि वहां अक्सर मुझे मेरी औकात...”
वीडियो को पोस्ट करते हुए रिटायर्ड विंग कमांडर अनुमा आचार्य ने लिखा, “एक दो सामान्य सहज जनों को भी बाहर का रास्ता दिखा ही दिया BJP ने!”
फेसबुक से लेकर ट्विटर तक लोग इस वीडियो को गडकरी के संसदीय बोर्ड से हटाए जाने के मामले से जोड़कर शेयर कर रहे हैं.
इंडिया टुडे की फैक्ट चेक टीम ने पाया कि ये वीडियो नितिन गडकरी के हालिया भाषण के अलग-अलग हिस्सों को भ्रामक तरीके से जोड़कर बनाया गया है.
गडकरी का पूरा बयान सुनकर पता लगता है कि दरअसल वो 90 के दशक का एक वाकया बता रहे थे जब वो महाराष्ट्र के पीडब्लूडी मंत्री थे. उस वक्त वहां की मेड़घाट तहसील के 450 गांवों में एनवायरनमेंट एक्ट के किसी नियम की वजह से सड़क नहीं बन पा रही थी. तब गडकरी ने सड़कें बनाने का आदेश देते हुए कहा था कि उन्हें अपने पद की चिंता नहीं है, बस लोगों का भला होना चाहिए.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
कीवर्ड के जरिये सर्च करने पर हमें नितिन गडकरी का वो भाषण मिल गया जिसके अलग-अलग हिस्सों को जोड़कर ये वीडियो बना है. ये भाषण उन्होंने 23 अगस्त को ‘नौकरस्याही के रंग’ किताब की लॉन्चिंग के मौके पर दिया था.
गडकरी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर मौजूद पूरा वीडियो देखने पर उनकी पूरी बात स्पष्ट हो जाती है. इसमें वो 7 मिनट 18 सेकंड पर 1996-97 का एक वाकया सुनाते हैं जब वो महाराष्ट्र में मंत्री थे. तो हुआ ये था कि अमरावती जिले की मेड़घाट तहसील में ढाई हजार बच्चे कुपोषण से मर गए थे. उस वक्त इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना हुई थी. ऐसे में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने इसे लेकर चिंता जाहिर की और कहा कि मेड़घाट में साढ़े चार सौ गांव हैं पर एक भी गांव में सड़क नहीं है.
दरअसल, वहां एनवायरनमेंट एक्ट के किसी नियम की वजह से सड़क नहीं बन पा रही थी. इसी वजह से वहां बिजली नहीं थी, फसलों की उपज मार्केट तक नहीं जा पाती थी और बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते थे. ये सब देखते हुए गडकरी ने बतौर मंत्री निर्णय लिया कि एक्ट कुछ भी कहे, मेड़घाट के 450 गांवों में रोड बनेगी. इस निर्णय की पूरी जिम्मेदारी व्यक्तिगत रूप से उनकी होगी.
इसी बात के संदर्भ में उन्होंने कहा था कि न तो वो राजनीतिक पेशावर हैं और न ही उन्हें अपना पद जाने की चिंता है. और तत्कालीन सीएम से कहा था कि अगर संभव हो तो मेरे पीछे खड़े रहिए, नहीं, तो भी फर्क नहीं पड़ता.
गडकरी इस बारे में आगे बताते हैं कि उनके आदेश के बाद सभी 450 गांवों में रोड बन गई थी.
वायरल वीडियो का दूसरा हिस्सा वो है, जिसमें गडकरी कहते हैं कि वो फुटपाथ पर खाने वाले, थर्ड क्लास में पिक्चर देखने वाले और और नाटक पीछे से देखने वाले बेहद सामान्य व्यक्ति हैं. ये वाला हिस्सा असली वीडियो में 19 मिनट 11 सेकंड पर देखा जा सकता है.
गडकरी ने भी बताया है वीडियो का सच
गडकरी ने इस वीडियो को अपने खिलाफ चलाए जा रहे एक अभियान का हिस्सा बताया है. एक ट्वीट करके उन्होंने अपने भाषण का असली वीडियो शेयर किया है.
साफ है, नितिन गडकरी के भाषण को फर्जी तरीके से एडिट करके ऐसे पेश किया जा रहा है जैसे उन्होंने बीजेपी के संसदीय बोर्ड से हटाए जाने पर गुस्से में अपनी प्रतिक्रिया दी है.
(यश मित्तल के इनपुट के साथ)