हरियाणा के नूंह में हिंसा के बाद लगाई गई धारा 144 में ढील देने का फैसला किया गया है. इसके मद्देनजर करीब 11 दिन बाद फिर से स्कूलों और कॉलेजों को खोल दिया गया है. हालात धीरे-धीरे सामान्य होते जा रहे हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर अफवाहों और भड़काऊ बयानबाजी का दौर अभी भी जारी है.
नूंह से जोड़कर एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल है. वीडियो में पुलिस की कुछ गाड़ियां दिखती हैं. साथ ही पुलिसकर्मी राउंडअप के दौरान दो महिलाओं को लाठी मारकर पुलिस वाहन में जबरन बैठा देते हैं.
सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि ये वीडियो नूंह का है जहां पुलिस ने हिंसा के आरोप में मुस्लिम महिलाओं को घर से उठा लिया. कुछ लोग पुलिस पर सवाल भी उठा रहे हैं कि मौके पर महिला पुलिसकर्मी होने के बावजूद पुरुष पुलिसकर्मियों ने महिलाओं से बदसलूकी और खींचातानी की.
एक यूजर ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा है, "पत्थरबाजों की गर्मी शांत करती हुई हरियाणा पुलिस. Full Support to BJP CM ML Khattar. जितने भी हिंदू मारे गए नूंह हिंसा में उनसब का हिसाब होना चाहिए. This happens when you question your elected Government."
ऐसे ही कुछ पोस्ट्स का आर्काइव्ड वर्जन यहां और यहां देखा जा सकता है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि वायरल पोस्ट का हाल में हुई नूंह हिंसा से को लेना-देना नहीं है. ये वीडियो करीब तीन साल पुराना है और हरियाणा के पलवल जिले का है.
कैसे पता लगी सच्चाई?
एक वायरल पोस्ट पर एक यूजर ने कमेंट किया है कि ये हरियाणा के पलवल जिले में उटावड़ गांव की घटना है. इसके बाद कीवर्ड्स की मदद से सर्च करने पर हमें अप्रैल 2020 का एक ट्वीट मिला. वीडियो को ट्विटर पर शेयर करने वाले इस शख्स ने अपने पोस्ट में लिखा था, "सर क्या ये लॉक डाउन का पालन कर रहे है ये है क्या नारीशक्ति का सम्मान किया है ये पुलिस का असली चेहरा है इंसाफ होगा इस महिला के साथ ये उत्तावर थाना की पुलिस है."
इसके बाद हमने गूगल मैप्स पर इस इलाके में मौजूद कुछ व्यवसाइयों का नंबर निकाला. लगभग सभी को इस वीडियो की जानकारी थी. सबने इस बात की पुष्टि की कि ये घटना 2020 में उन्हीं के गांव उटावड़ में हुई थी. बिल्डिंग निर्माण का सामान बेचने वाले अहमद खान मेवाती नाम के एक शख्स ने 'आजतक' को बताया कि ये घटना मार्च या अप्रैल 2020 की है, जब पूरे देश में कोरोना को देखते हुए लॉकडाउन लगा हुआ था.
दरअसल, ये गोकशी से जुड़ा हुआ मामला था. गाय की हत्या के आरोप में पुलिस एक मुजरिम की तलाश में गांव गई थी. मुजरिम की तलाश कर रहे पुलिसकर्मियों पर उसके परिजनों ने कथित रूप से मारपीट और बदसलूकी की और उनकी गाड़ियों के साथ तोड़फोड़ भी की. मामले को बिगड़ता देख, पुलिस एक्स्ट्रा फोर्स के साथ दोबारा आई. इस बार उनके साथ ड्यूटी मैजिस्ट्रैट भी थे.
अहमद ने आगे जानकारी दी कि पुलिस ने तोड़फोड़ करने वालों की तलाश के साथ-साथ गोकशी के आरोपी की पत्नी और मां को हिरासत में ले लिया था. इसी घटना का ये वीडियो है, जिसे एक शख्स ने रिकॉर्ड कर के गांववालों के साथ शेयर किया था.
पुष्टि करने के लिए हमने उटावड़ पुलिस से भी संपर्क किया. थाने में तैनात हेड कांस्टेबल विक्की ने भी 'आजतक' को यही बताया कि गांव में मामला बिगड़ने के बाद पुलिस एक्स्ट्रा फोर्स के साथ दोबारा गांव गई थी. विक्की ने आगे बताया कि "इस दौरान हमने गोकशी के 2-3 साल पुराने मामले में आरोपी के परिजनों को हिरासत में लिया था, लेकिन उन्हें उसी दिन, देर शाम छोड़ दिया गया था. इस वीडियो का नूंह हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है. कुछ लोग राजनीतिक स्वार्थ के लिए इसे गलत दावे के साथ शेयर कर रहे हैं."
गूगल मैप्स की मदद से हमें साजिद इंजीनियर नाम के एक शख्स का भी नंबर मिला. ये घटना वाली जगह से कुछ ही मीटर की दूरी पर रहते हैं. उन्होंने भी इस घटना को लॉकडाउन के समय का और गोकशी से जुड़ा हुआ बताया. साजिद ने हमारे कहने पर घटना वाली जगह जाकर एक वीडियो बनाया और हमें उसकी लोकेशन भी भेजी.
इस वीडियो की तुलना वायरल वीडियो के साथ करने पर ये बात साफ हो जाती है कि ये घटना पलवल के उटावड़ गांव की है. इसका नूंह हिंसा से कोई संबंध नहीं है.