सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि राहुल गांधी के काफिले को रास्ता देने के लिए एम्बुलेंस को रोका गया. वीडियो में पुलिसकर्मी सड़क पर बैरिकेड लगाकर रास्ता रोके नजर आ रहे हैं, जबकि बैरिकेड के पीछे एक एंबुलेंस दिखाई दे रही है. इस बीच कुछ लोग एम्बुलेंस को रास्ता देने के लिए पुलिसकर्मियों से बहस करते हुए भी दिख रहे हैं.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल हो रहा वीडियो वर्ष 2017 का है. उस समय मलेशिया के प्रधानमंत्री के काफिले को निकालने के लिए ट्रैफिक रोका गया था.
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
फेसबुक पर यह वीडियो पोस्ट कर कैप्शन में लिखा जा रहा है: 'राहुल गांधी की गाड़ियों के रैले के लिए दिल्ली पुलिस ने एम्बुलेंस रोकी,....एम्बुलेंस में जिन्दगी और मौत से लड़ रही बच्ची थी और अंत में बच्ची ने दम तोड़ दिया!' वीडियो में कुछ लोग पुलिसकर्मियों से सवाल करते नजर आ रहे हैं कि वीआईपी ज्यादा जरूरी है या किसी की जिंदगी. लोग पुलिसकर्मियों से एम्बुलेंस को रास्ता देने के लिए बहस करते भी नजर आ रहे हैं.
वीडियो का सच जानने के लिए हमने इस घटना के बारे में इंटरनेट पर खोज शुरू की तो हमें इस घटना से जुड़ी कुछ न्यूज रिपोर्ट मिलीं. इनमें से हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में हमें वायरल वीडियो भी मिला. रिपोर्ट के अनुसार यह घटना 1 अप्रैल 2017 की है, जब मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद नजीब तुन अब्दुल रजाक के काफिले को रास्ता देने के लिए दिल्ली स्थित राजघाट के पास इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम के गेट नंबर 14 पर ट्रैफिक को रोका गया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार वहां मौजूद बैंक कर्मी प्रीत नरूला ने इस वीडियो को फेसबुक पर लाइव किया था. एम्बुलेंस घायल बच्चे को सोनीपत से दिल्ली के अस्पताल ले जा रही थी. नरूला के अनुसार इस बीच बच्चा बेहोश हो गया था.
रिपोर्ट में ही सीनियर पुलिस ऑफिसर का बयान भी मौजूद है जिसने कहा कि एम्बुलेंस कुछ कारों के पीछे फंसी हुई थी, जिसे आगे लाया गया और कुछ ही मिनटों में एम्बुलेंस को रास्ता दे दिया गया था.