पिछले कुछ दिनों से विवेक रंजन अग्निहोत्री निर्देशित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर देश भर में चर्चा छिड़ी हुई है. जहां कुछ लोग इसकी तारीफ करते हुए कह रहे हैं कि ये कश्मीरी हिंदुओं के दर्द को महसूस कराती है, वहीं कई लोग इसे प्रोपेगैंडा फिल्म भी बता रहे हैं.
इन प्रतिक्रियाओं के बीच ‘#TheKashmirFiles’ और ‘#Justice_For_KashmiriHindus’ जैसे हैशटैग्स के साथ सोशल मीडिया पर एक विदेशी युवक की फोटो वायरल हो रही है. इस युवक ने अपने हाथों में एक प्लेकार्ड पकड़ रखा है, जिस पर लिखा है, “कश्मीर फाइल्स महज एक फिल्म नहीं है. ये हिंदुओं को जगाने की एक कोशिश है.”
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल फोटो फर्जी है. असली फोटो सेथ फिलिप्स नाम के अमेरिकी सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर की है. इस फोटो में सेथ के हाथ में मौजूद प्लेकार्ड पर लिखा है, ‘Stop Using Group Pics for your Dating Profile’. यानी, ‘डेटिंग के मकसद से बनाए गए अपने प्रोफाइल में ग्रुप वाली तस्वीरों का इस्तेमाल बंद करिये’.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
वायरल फोटो को रिवर्स सर्च करने पर ये हमें ‘@dudewithsign’ नाम के एक वेरिफाइड इंस्टाग्राम अकाउंट पर मिली. इस हैंडल को सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर सेथ फिलिप्स चलाते हैं.
असली फोटो में सेथ ने लाल नहीं, बल्कि काले रंग की टी-शर्ट पहन रखी है. वहीं, यहां उनके प्लेकार्ड पर लिखा संदेश भी एकदम अलग है. ये फोटो सेथ ने 25 नवंबर 2019 को पोस्ट की थी. इस फोटो के साथ न्यूयॉर्क शहर के सोहो, लोअर मैनहैटन इलाके की लोकेशन टैग की गई है.
इस अकाउंट पर सेथ की प्लेकार्ड लिए हुए कई तस्वीरें हैं, जिनमें अलग-अलग संदेश लिखे हुए हैं. ये उनका अपनी बात कहने का तरीका है. सेथ फिलिप्स नामक इस युवक के इंस्टाग्राम पर 8 मिलियन फॉलोवर हैं.
अगस्त 2021 में सेथ, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ प्लेकार्ड के जरिये कोविड-19 टीकाकरण को लेकर जागरूकता फैलाते नजर आए थे.
‘फोर्ब्स’ से लेकर ‘डेलीमेल’ तक सेथ के काम के बारे में रिपोर्ट छाप चुके हैं.
वायरल तस्वीर में छुपे सुराग
हमने दो अलग-अलग इमेज फोरेंसिक टूल्स की मदद से इस फोटो के ईएलए, यानी ‘एरर लेवेल एनालिसिस’ की जांच की. ‘एरर लेवेल एनालिसिस’ एक ऐसी कमाल की तकनीक है, जिसकी मदद से फोटो का फर्जी वाला हिस्सा उभर कर सामने आ जाता है. ‘फोरेंसिकली’ और ‘फोटो फोरेंसिक्स’ नाम के इन दोनों ही टूल्स से हमें एक जैसे नतीजे मिले. तस्वीर का फर्जी हिस्सा दोनों में ज्यादा उभरा हुआ नजर आ रहा है.
यानी, साफ तौर पर, एक एडिट की हुई तस्वीर के जरिये सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है.