तुर्की और सीरिया में छह फरवरी को आए भूकंप में अब तक 47,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इस महाविनाशी भूकंप के बाद तुर्की में एक बार फिर 20 फरवरी की शाम को भूकंप के दो झटके महसूस किये गए. इनमें पहले भूकंप की तीव्रता 6.4, तो दूसरे की 5.8 थी.
इसी बीच सोशल मीडिया पर एक ऐसी तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें किसी सड़क पर गहरी दरारें देखी जा सकती हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि ये तुर्की में 20 फरवरी को आए दो भूकंपों के बाद की तस्वीर है.
इस फोटो में किसी पहाड़ी इलाके की सड़क में पड़ी दरारें और उसकी वजह से टूटे हिस्से देखे जा सकते हैं. दरारों के दूसरी तरफ सड़क पर कुछ लोग खड़े दिखाई दे रहे हैं. फोटो के दाईं ओर ऊपर की तरफ न्यूज एजेंसी ‘एएनआई’ का लोगो है.
इसे शेयर करते हुए एक फेसबुक यूजर ने लिखा, "तुरकी में कल फिर 7.0 के दो भूकंप के झटके... काल के भूकंप से तहस नहस हुए देस की कल ऐसी तस्वीर देखने को मिली."
इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि ये तस्वीर तुर्की में 20 फरवरी को आए भूकंप की नहीं, बल्कि 19 फरवरी को जम्मू कश्मीर के रामबन जिले में हुए लैंडस्लाइड की वजह से टूटी सड़क की है.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
सबसे पहले हमने इस फोटो को रिवर्स सर्च किया. इससे हमें 20 फरवरी को छपी कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें वायरल तस्वीर देखी जा सकती है.
'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, 19 फरवरी 2023 को जम्मू कश्मीर के रामबन जिले में हुए लैंडस्लाइड के चलते करीब एक दर्जन घर क्षतिग्रस्त हो गए.
सभी पीड़ित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया और तत्काल राहत मुहैया कराई गई. वहीं, गांव के पास से गुजरने वाली सड़क में दरारें पड़ने के बाद वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई. ये घटना रामबन जिले के गूल सब डिवीजन के दुक्सर दल गांव की है. हमें न्यूज एजेंसी ‘एएनआई’ का एक ट्वीट भी मिला जिसमें उसने ये तस्वीर पोस्ट की थी. इस ट्वीट में भी इस घटना को रामबन का बताया गया है.
बात साफ है, इस फोटो का तुर्की में 20 फरवरी को आए दो भूकंपों से कोई लेना-देना नहीं है.
हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड से अक्सर लैंडस्लाइड की खबरें सुनने को मिलती हैं. लैंडस्लाइड मुख्यतः दो कारणों से होता है- प्राकृतिक और मानवीय. किसी वजह से जब पहाड़ का हिस्सा या मिट्टी फिसल कर नीचे गिरने लगे तो उसे भूस्खलन या लैंडस्लाइड कहा जाता है.
इस साल की शुरुआत में उत्तराखंड के जोशीमठ में भूस्खलन और भू धंसाव के चलते हड़कंप मच गया था. शहर के अधिकांश हिस्से में दरारें आ गई थीं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिकनौ जनवरी, 2023 तक जोशीमठ के नौ वार्डों के 678 मकानों में दरारें आईं और वहां रहना अब खतरनाक हो गया है.
इनपुट- विकास भदौरिया