क्या पश्चिम बंगाल के स्कूलों में कोर्स की किताबों के जरिये 'जिहादी सोच' को बढ़ावा दिया जा रहा है? सोशल मीडिया पर एक किताब के पन्ने को शेयर करते हुए कुछ लोग यही कह रहे हैं. दावा है कि इस किताब में मुसलमानों को "मुजाहिद" और हिंदुओं को "शत्रु" कहा गया है.
सबूत के तौर पर लोग बंगाली भाषा की किसी गणित की किताब के पेज की फोटो शेयर कर रहे हैं. साथ ही कह रहे हैं कि ये किताब पश्चिम बंगाल में तीसरी कक्षा में पढ़ाई जाती है.
एक ट्विटर यूजर ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा, “पश्चिम बंगाल में तीसरी कक्षा का गणित के सवाल. २३) एक "मुजाहिद" जिहाद के मैदान में पहले दिन २४ लोगों को, दूसरे दिन १९ लोगों को, तीसरे दिन १२ शत्रु लोगों को मारता है. वो कुल कितने "शत्रु" लोगों को मारता है?”
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि सोशल मीडिया पर जिस किताब के पेज की तस्वीर वायरल है, वो पश्चिम बंगाल के स्कूलों में नहीं पढ़ाई जाती है.
पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में गणित पढ़ाने वाले कई टीचरों ने हमें बताया कि ऐसी कोई किताब यहां नहीं पढ़ाई जाती.
क्या है वायरल फोटो की कहानी?
तस्वीर को गौर से देखने पर सबसे ऊपर नीले रंग की आधे चांद जैसी आकृति दिखती है. इस पर बंगाली भाषा में कुछ लिखा है. हमने बंगाली जानने वाले अपने एक साथी को ये तस्वीर दिखाई. उन्होंने हमें बताया कि इसमें चांद की आकृति के ऊपर लिखा है, ‘प्रथम श्रेणी’. वहीं, बाईं तरफ लाल रंग की पट्टी में लिखा है, ‘आदर्श मुस्लिम गणित शिक्षा’.
इन कीवर्ड्स को इंटरनेट पर सर्च करने से हमें अप्रैल 2020 का एक फेसबुक पोस्ट मिला जिसमें ये तस्वीर इस्तेमाल की गई है. इसे शेयर करने वाले व्यक्ति ने बताया है कि ये तस्वीर प्रथम श्रेणी में पढ़ाई जाने वाली ‘आदर्श मुस्लिम गणित शिक्षा’ नामक किताब के पृष्ठ 23 पर पूछे गए सवाल की है. हालांकि इस बात का कहीं भी जिक्र नहीं है कि ये किताब कहां पढ़ाई जाती है.
कवर से पता लगा 'बांग्लादेश कनेक्शन'
2020 वाली फेसबुक पोस्ट में दो तस्वीरें हैं. पहली तस्वीर, गणित के सवाल वाले उसी पेज की है, जो वायरल हो रही है और दूसरी तस्वीर किताब के कवर पेज की है.
हमने गूगल लेंस की मदद से इस कवर पेज का हिंदी में अनुवाद किया. कवर पेज पर किताब का नाम बंगाली में ‘आदर्श मुस्लिम गणित शिक्षा’ लिखा है. इसके अलावा नीचे लिखा है ‘प्रथम श्रेणी’. ये देखकर लगता है कि ये वायरल पेज वाली किताब का कवर हो सकता है क्योंकि दोनों में एक जैसी बातें लिखी हैं.
कवर में नीचे की तरफ प्रकाशक का नाम ‘कौमी मदरसा प्रकाशन-ढाका’ लिखा है. ये देखकर लगता है कि ये किताब बांग्लादेश की राजधानी ढाका से छपती है.
कौमी मदरसे वो मदरसे होते हैं जो बांग्लादेश मदरसा शिक्षा बोर्ड द्वारा रेगुलेट नहीं किये जाते हैं. बांग्लादेश में लगभग 15,000 रजिस्टर्ड कौमी मदरसे हैं.
जब हमने इस किताब को इसके टाइटल और प्रकाशक के नाम से खोजने की कोशिश की तो ये हमें ‘Kitabghor’ नामक वेबसाइट पर मिली. ‘Kitabghor’ एक बांग्लादेशी ऑनलाइन बुक विक्रेता है. वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इस किताब की कीमत 50 टका (बांग्लादेशी मुद्रा) है.
बांग्लादेश में पढ़ाई जाती है ये किताब
इस किताब के बारे में और जानकारी के लिए हमने ‘Kitabghor’ पोर्टल पर दिए गए नंबर पर संपर्क किया. उन्होंने बताया कि ये किताब बांग्लादेश के ढाका, चित्तागोंग और बरिशाल में प्रिन्ट होती है. उन्होंने ये भी बताया कि इसे बांग्लादेश के लगभग सभी कौमी मदरसों में पढ़ाया जाता है.
ये पूछे जाने पर कि क्या ये वेबसाइट भारत में भी किताबें डिलिवर करती है, उन्होंने इससे साफ तौर पर इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, "इस पोर्टल के जरिये सिर्फ बांग्लादेश में ही किताबें डिलिवर की जाती हैं".
क्या बोले पश्चिम बंगाल के टीचर?
हमने कोलकाता के सरकारी स्कूल 'द पार्क इंस्टीट्यूशन' के मैथ्स टीचर सुप्रियो पांजा को कॉल किया. उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल बोर्ड की तीसरी क्लास की गणित की किताब में ऐसी कोई धार्मिक नफरत फैलाने वाली बात नहीं है. पांजा ने बताया, "पश्चिम बंगाल में थर्ड क्लास में जो गणित की किताब पढ़ाई जाती है, उसका नाम 'आमार गणित' है. इस किताब में कहीं भी ‘जिहाद’ या ‘मुजाहिद’ जैसी कट्टर शब्दावली या भड़काऊ बातें नहीं हैं."
हमने पश्चिम बंगाल के ‘मदरसा शिक्षक संगठन’ के नेता एस के सलाउद्दीन से भी इस बारे में बातचीत की. वो खुद ‘मुर्शिदाबाद मॉडल मदरसा’ में पढ़ाते भी हैं. उन्होंने बताया, “न तो ये किताब बंगाल के रजिस्टर्ड मदरसों में चलती है और न ही वहां पढ़ाई जाने वाली किसी किताब में इस तरह का कोई सवाल है.”
हमने बांग्लादेश के कौमी मदरसा शिक्षकों से भी संपर्क किया है. अगर उनका जवाब आता है तो हम उसे इस रिपोर्ट में अपडेट करेंगे.
(इनपुट: विकास भदौरिया और ऋद्धीश दत्ता)