पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में धमकी भरे अंदाज में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दोबारा देने की मांग की. मुफ्ती ने तालिबान के बहाने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि तालिबान ने अमेरिका को भागने पर मजबूर किया. हमारे सब्र का इम्तेहान मत लो. जिस दिन सब्र का इम्तेहान टूटेगा, आप भी नहीं रहोगे. मिट जाओगे.
महबूबा मुफ्ती के इसी बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनकी और उमर अब्दुल्ला की गिरफ्तारी की खबरें वायरल होने लगीं. फेसबुक पर एक यूजर ने लिखा, "BIG BREAKING NEWS उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को PSA लगाकर गिरफ्तार किया गया.”
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि ये खबर तो सही है, लेकिन एक साल से ज्यादा पुरानी है. छह महीने तक नजरबंद रहने के बाद 6 फरवरी 2020 में दोनों नेताओं पर जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट (PSA) लगाकर हिरासत में लिया था.
ट्विटर और फेसबुक पर इस खबर को हाल-फिलहाल का बताकर जमकर शेयर किया जा रहा है.
क्या है सच्चाई?
कुछ कीवर्ड की मदद से खोजने पर हमें इस मामले को लेकर कई खबरें मिलीं. 'जनसत्ता' में 7 फरवरी 2020 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, 6 महीने हिरासत में रखने के बाद जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला पर जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) लगा दिया था.
दरअसल, अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद 5 अगस्त 2019 को उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था. उसके बाद एक बॉन्ड पर सिग्नेचर कराकर कई नेताओं को रिहा कर दिया गया था. यह बॉन्ड 370 के खिलाफ प्रदर्शन न करने की गारंटी थी, लेकिन सरकार के बॉन्ड पर सिग्नेचर करने से फारूक, उमर, महबूबा समेत 6 नेताओं ने मना कर दिया था. इसके बाद इन पर पीएसए लगाया गया था.
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के सोशल मीडिया अकाउंट्स चेक किए. दोनों ही नेता अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर काफी एक्टिव हैं. महबूबा मुफ्ती ने फारूक अब्दुल्ला के घर आज (24 अगस्त, 2021 को) हुई गुपकार घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) के नेताओं की बैठक के बारे में अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से जानकारी दी है.
इस बैठक की तस्वीरें जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से पोस्ट की गई हैं. बैठक में महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला समेत कई नेताओं को देखा जा सकता है.
हमें ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट भी नहीं मिली, जिसमें हाल ही में दोनों नेताओं की गिरफ्तारी की बात की गई हो. अगर ये दावा सही होता तो ये एक बड़ी खबर होती जिसे मीडिया ने जरूर कवर किया होता.
जानिए क्या है पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA)
पब्लिक सेफ्टी एक्ट यानी सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम जम्मू-कश्मीर में लागू है जो बिना मुकदमे के किसी भी व्यक्ति को दो साल तक की गिरफ्तारी या नज़रबंदी की अनुमति देता है. यह कानून 1970 के दशक में जम्मू-कश्मीर में लकड़ी की तस्करी को रोकने के लिए लागू किया गया था. पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला ने लकड़ी तस्करों के खिलाफ इस अधिनियम को एक निवारक के रूप में लाए थे, जिसके तहत बिना किसी मुकदमे के दो साल तक जेल की सजा देने का प्रावधान किया गया था. हालांकि, बाद में इस कानून का राजनीतिक दुरुपयोग भी खूब किया गया.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीएसए के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर कोर्ट में पेश करना जरूरी नहीं होता है साथ ही हिरासत में रखा गया व्यक्ति न तो जमानत के लिए कोर्ट जा सकता है और बिना अनुमति न ही वो किसी वकील की सेवा ले सकता है.
पड़ताल में ये साफ हो जाता है कि जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की हाल ही में पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट (PSA) के तहत गिरफ्तारी नहीं हुई है. एक साल से ज्यादा पुरानी खबर को ताजा खबर की तरह पेश करके भ्रम फैलाया जा रहा है.
(सौरभ भटनागर के इनपुट के साथ)