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फैक्ट चेक: आइसलैंड ने धर्म को नहीं बताया जनसंहार का हथियार

इन दिनों ये खबर वायरल है जिसमें दावा किया जा रहा है कि आइसलैंड ने सभी धर्मों को जनसंहार करने वाला हथियार घोषित कर दिया है. इंटरनेट यूजर्स इस फैसले के लिए आइसलैंड की संसद की खूब तारीफ भी कर रहे हैं. 

आजतक फैक्ट चेक

दावा
आइसलैंड ने सभी धर्मों को जनसंहार के हथियार घोषित कर दिए हैं.
सच्चाई
सोशल मीडिया यूजर्स ने एक व्यंग्य को सही खबर मान लिया. इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 3:12 PM IST

इंटरनेट पर इन दिनों ये खबर वायरल है जिसमें दावा किया जा रहा है कि आइसलैंड ने सभी धर्मों को जनसंहार करने वाला हथियार घोषित कर दिया है. इंटरनेट यूजर्स इस फैसले के लिए आइसलैंड की संसद की खूब तारीफ भी कर रहे हैं.  

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA)  ने अपनी जांच में पाया कि ये दावा गलत है. ये लेख दरअसल एक व्यंग्य था जिसका सोशल मीडिया पर लोगों ने गलत अर्थ निकाल लिया.

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फेसबुक यूजर राजीव त्यागी ने ये लेख साझा किया जिसका शीर्षक है

'एक के बाद एक, कई देशों को ये रोशनी दिखेगी. और आखिर में ये रोशनी इस्लाम और हिन्दुत्व को मानने वाले जाहिल देखेंगे.'

त्यागी खुद को वायुसेना का पूर्व पायलट बताते हैं और फेसबुक पर उनके 67,000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.

इस पोस्ट को दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर भी शेयर किया गया.

इन सभी ने वेबसाइट patheos.com के लेख को ही शेयर किया है.

इस लेख के अनुसार, 'आइसलैंड की संसद ने सभी धर्मों को जनसंहार का हथियार घोषित कर दिया है. इस्लाम, ईसाई धर्म, यहूदी धर्म और बौद्ध धर्म सभी को परमाणु हथियारों और केमिकल हथियारों की श्रेणी में रखा गया है.'

लेख के पहली ही लाइन में ‘voted’ हाइपर लिंक किया हुआ है. जब आप इसपर क्लिक करते हैं तो दूसरा पेज खुलता है जो साफतौर पर बताता है कि ये लेख एक व्यंग्य है.

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इसके अलावा तमाम तरह की जांच में हमे इस खबर का जिक्र कहीं और नहीं मिला.

क्या आपको लगता है कोई मैसैज झूठा ?
सच जानने के लिए उसे हमारे नंबर 73 7000 7000 पर भेजें.
आप हमें factcheck@intoday.com पर ईमेल भी कर सकते हैं
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