पीएम मोदी ने 19 नवंबर 2021 को बुंदेलखंड में जल संकट दूर करने के लिए कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया. इसी से जोड़ते हुए #बुलन्द_बुन्देलखण्ड’ हैशटैग के साथ एक विशाल बांध की फोटो ‘सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. फोटो के साथ लिखा है, ‘बुंदेलखंड को सौगात, भावनी बांध परियोजना, ललितपुर की 3800 हेक्टेयर भूमि होगी सिंचित, 20 गांवों के 8062 किसानों को मिलेगी सिंचाई की सुविधा.’ ऐसा कहा जा रहा है कि ये ललितपुर की उसी भावनी बांध परियोजना की फोटो है, जिसका हाल ही में पीएम मोदी ने उद्घाटन किया था.
मिसाल के तौर पर, एक ट्विटर यूजर ने इस फोटो को शेयर करते हुए लिखा, " योगी सरकार है तो मुमकिन है. " कई वेरिफाइड ट्विटर यूजर्स ने भी इस तस्वीर को भावनी बांध की फोटो बताकर शेयर किया है.
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है. इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर में जो बांध दिख रहा है, वो यूपी के ललितपुर में नहीं है. ये फोटो कृष्णा नदी पर बने श्रीशैलम बांध की है जो तेलंगाना-आंध्र प्रदेश सीमा पर स्थित है.
क्या है सच्चाई ?
रिवर्स सर्च करने पर हमें ‘तेलुगु वनइंडिया’ वेबसाइट में साल 2019 में छपी एक रिपोर्ट मिली जिसमें वायरल फोटो मौजूद थी. रिपोर्ट में इस फोटो के कैप्शन में लिखा है, "श्रीशैलम डैम पर हाइड्रोग्राफिक सर्वे करते हुए मुंबई के विशेषज्ञ" .
इसी तरह, ‘डेक्केन क्रॉनिकल’ वेबसाइट की एक रिपोर्ट में भी फोटो को श्रीशैलम बांध का ही बताया गया . रिपोर्ट में इस बांध से बनाई जाने वाली बिजली को लेकर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच चल रहे विवाद के बारे में जानकारी दी गई है.
‘आजतक’ के ललितपुर संवाददाता मनीष सोनी ने हमें भावनी बांध की असली तस्वीर भेजी, जिसे नीचे देखा जा सकता है. सजनम नदी पर बने इस बांध का निर्माण साल 2012 में शुरू हुआ था.
वहीं, श्रीशैलम बांध देश की 12 सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है. इसका निर्माण साल 1981 में हुआ था.