वजन घटाने की किसी जादुई दवा के तलबगार तो बहुत हैं लेकिन अभी तक ऐसी कोई खोज हो नहीं पाई है. लेकिन इंटरनेट पर दावा किया जा रहा है कि एक ऐसी जादुई दवा खोज ली गई है जो “बिना एक्सरसाइज और बिना डाइट संतुलित किए एक किलो वजन प्रतिदिन घटा सकती है.” यह दावा फेसबुक, कई वेब पेज और कुछ ब्लॉग पर भी किया जा रहा है.
दुबले होने की जादुई दवाई?
यह दावा प्रतिष्ठित संस्थान ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) के एक 'डॉक्टर' की भावुकता भरी नाटकीय कहानी के जरिये किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि “डॉक्टर के 33 साल के भाई की मोटापे के चलते आए हार्टअटैक से मौत हो गई, इसके बाद उस डॉक्टर ने अपना पूरा जीवन इस खोज के लिए समर्पित कर दिया.”
इस कहानी के मुताबिक, डॉक्टर का नाम रमेश भार्गव है जो कि एम्स के “बायोइंजीनियरिंग” विभाग में प्रोफेसर हैं.
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
क्या है सच?
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि “एम्स के डॉक्टर की प्रतिदिन एक किलो वजन घटाने वाली इस अद्भुत खोज” का दावा पूरी तरह फर्जी है.
एम्स के डॉक्टर की एक काल्पनिक भावुक कहानी वाला यह फर्जी लेख एक कंपनी की मार्केटिंग की ओर से प्रायोजित है. यह कंपनी मोटापे की दवा बेचती है. यह लेख एक ब्लॉग के जरिये इंटरनेट पर फैलाया जा रहा है.
चूंकि मोटापा एक व्यापक समस्या है और एक प्रतिष्ठित संस्थान के नाम का इस्तेमाल करके लोगों को गुमराह किया जा रहा है, इसलिए AFWA ने इसकी सच्चाई सामने लाने का निश्चय किया. हमने पाया कि ऐसे लोग जो मोटापे से परेशान हैं और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं, उनको ठगने के लिए यह बड़ी चतुराई से रचा गया षडयंत्र है.
कौन हैं रमेश भार्गव?
वायरल हो रहे लेख में यह “अद्भुत खोज” करने वाले एम्स के जिस डॉक्टर की कहानी गढ़ी गई है, उसका कोई अस्तित्व ही नहीं है. एम्स में रमेश भार्गव नाम का कोई डॉक्टर नहीं है. लेख में इस्तेमाल तस्वीर में डॉक्टर की पोशाक में जिस आदमी को दिखाया गया है, वह दरअसल एक मॉडल है जो डॉक्टर की पोशाक में दिख रहा है. यह कई विज्ञापनों में आ चुका है और फोटो वेबसाइट Shutterstock पर उसकी तस्वीरें मौजूद हैं.
इसके अलावा, दावा किया जा रहा है कि रमेश भार्गव एम्स के “बायोइंजीनियरिंग” विभाग में प्रोफेसर हैं, जबकि एम्स में कोई “बायोइंजीनियरिंग” विभाग नहीं है. यह संभव नहीं है कि अगर कोई व्यक्ति एम्स में प्रोफेसर है तो वह अपने विभाग का नाम गलत लिखेगा.
फिर भी, संदेह को पुख्ता करने के लिए हमने एम्स के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग की प्रोफेसर वीणा कौल से बात की और पूछा कि क्या इस नाम का कोई डॉक्टर उनके विभाग में है? उन्होंने पूरी तरह नकारते हुए कहा कि उनके विभाग में इस नाम का कोई डॉक्टर नहीं है. उनके मुताबिक, “मैं इस विभाग में पिछले 30 सालों से काम कर रही हूं और मैं निश्चित तौर पर कह सकती हूं कि यहां इस नाम का कभी कोई डॉक्टर नहीं था.”
काल्पनिक डॉक्टर के कई चेहरे
गूगल पर हमने इस लेख के कुछ कीवर्ड्स के सहारे गूगल सर्च किया तो हमें हूबहू यही स्टोरी कई गुमनाम सी वेबसाइट्स और ब्लॉग पर भी मिली जिनमें ऐसा ही दावा किया गया है.
इस लेख को गौर से पढ़ने पर हमें एक ऐसी दिलचस्प चीज मिली जो साबित करती है कि यह कहानी पूरी तरह फर्जी है.
जहां जहां इस दवा से संबंधित लेख हमें मिले, उस हर लेख में एम्स के डॉक्टर की कहानी तो एक जैसी ही है लेकिन डॉक्टर का नाम और फोटो बदली हुई है. एक लेख में उनका नाम Dr Siddharth Kumail लिखा गया है, जबकि एक अन्य लेख में उनका नाम Dr Rahul Mongia लिखा गया है. हैरान करने वाली बात तो यह है कि लेख में डॉक्टर के जिस छोटे भाई की मोटापे से मौत की कहानी लिखी गई है, उसका नाम और उम्र सभी लेखों में वही है. उसका नाम 'कपिल' बताया गया है.
हमने पाया कि डॉक्टर की जिन तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है, उन्हें इंटरनेट से लिया गया है और उन तस्वीरों का इस फर्जी प्रचार प्रपंच से कोई संबंध नहीं है.स्लिमिंग पिल्स बेचने के लिए फर्जी कहानी
इन सभी लेखों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को मोटापा घटाने की दवा खरीदने के लिए प्रेरित किया जा रहा है जिसका नाम Garcinia Cambogia बताया जा रहा है. ये सभी वेबसाइट, लेख और विज्ञापन आपको एक वेबसाइट buynutralyfe.com तक ले जाते हैं जहां आपसे दवा खरीदने और पेमेंट करने के लिए कहा जाता है.
buynutralyfe.com नाम की इस वेबसाइट पर नीचे की तरफ, किसी तरह की जानकारी के लिए एक फोन नंबर (0124 450 7500) दिया गया है. हमने इस नंबर पर कई बार फोन करने की कोशिश की लेकिन यह नंबर हर बार आंसरिंग मशीन मोड में रहा और कोई जवाब नहीं मिला.
कौन कर रहा यह फर्जीवाड़ा?
Nutralyfe वेबसाइट की डोमेन रजिस्ट्रेशन डिटेल्स देखने पर हमें पता चला कि यह वेबसाइट Nutravo Lifecare Pvt Ltd नाम की कंपनी की है. यह कंपनी उद्योग विहार, गुड़गांव, हरियाणा की है.
इस कंपनी के रजिस्ट्रेशन डिटेल्स से पता चलता है कि Nutravo Lifecare Pvt Ltd के डायरेक्टर विपुल तनेजा, निपुन तनेजा और अमित चौहान हैं. हमें निपुन तनेजा और अमित चौहान से फोन पर संपर्क करने में कामयाबी मिली.
निपुन ने स्वीकार किया कि वे इस कंपनी के डायरेक्टर हैं और विपुल तनेजा के भाई हैं. विपुल तनेजा ही इस फर्म के प्रमुख व्यक्ति हैं. हालांकि, जब हमने इस कंपनी के बारे में विस्तार से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने फोन काट दिया और स्विच ऑफ कर दिया.
हमने अमित चौहान से भी बात की जो कि इस कंपनी के दूसरे डायरेक्टर हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी कंपनी Garcinia Cambogia नाम की दवा की मार्केटिंग करती है. एम्स के डॉक्टर के बारे में सवाल पूछने पर उन्होंने ईमेल के जरिये जवाब दिया, “हमारे ज्यादातर मार्केटिंग पार्टनर भारत के बाहर के हैं. हमें इस बारे में नहीं मालूम है कि किसी एम्स के डॉक्टर के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है.”
विपुल तनेजा- Nutravo Lifecare का मुखिया
विपुल तनेजा की LinkedIn प्रोफाइल के मुताबिक, वे Adsparkx Media के सीईओ, Nutravo Lifecare Pvt Ltd के डायरेक्टर और पब्लिक स्पीकर हैं.
Adsparkx Media की वेबसाइट के मुताबिक, यह एक इंटरनेट मार्केटिंग कंपनी है जो कि मोबाइल विज्ञापन और ब्रांड प्रमोशन से जुड़ी है.
इन दोनों कंपनियों के मुखिया विपुल तनेजा हैं. इससे यह वैधानिक सवाल उठता है कि क्या वे अपनी इंटरनेट मार्केटिंग स्किल का इस्तेमाल करके गुमराह करने वाले विज्ञापन बनाते हैं और Garcinia Cambogia की बिक्री बढ़ाते हैं.
अमित चौहान ने अपने ईमेल में दावा किया कि “Adsparkx एक स्वतंत्र निकाय है और Nutravo Lifecare Pvt Ltd से इसका कोई लेना देना नहीं है”.
इन दोनों कंपनियों की गतिविधि के बारे में और ज्यादा जानने के लिए हमने विपुल तनेजा तक पहुंचने की कई बार कोशिश की. Adsparkx की वेबसाइट पर दिए उनके नंबर पर कॉल किया लेकिन न तो उन्होंने फोन उठाया और न ही पलटकर कॉल किया.
क्या है Garcinia Cambogia?
Garcinia Cambogia एक पौधे का बॉटेनिकल नाम है जो कि क्लुसीएसी (Clusiaceae) फेमिली का है. इसका फल छोटे कद्दू के आकार का होता है जिसमें हाइड्रोऑक्सीसाइट्रिक एसिड समेत कई तरह के पादप रासायनिक (phytochemicals) तत्व पाये जाते हैं.
कुछ अध्ययनों के मुताबिक, इस फल में पाये जाने वाले हाइड्रोऑक्सीसाइट्रिक एसिड में मोटापा कम करने के कुछ गुण होते हैं. हालांकि, अध्ययन यह भी कहते हैं कि यह इससे लिवर टॉक्सीसिटी समेत कुछ गंभीर किस्म के साइट इफेक्ट भी हो सकते हैं.