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फैक्ट चेक: सूडान में मिले ये पत्थर नहीं हैं प्राचीन हिंदू मंदिर के अवशेष 

सोशल मीडिया पर कई लोग ऐसा कह रहे हैं कि सूडान में मिले ये पत्थर 2700 वर्ष पुराने एक हिंदू मंदिर के अवशेष हैं. ऐसा कहने वाले लोग कुछ तस्वीरें शेयर कर रहे हैं जिनमें तीन पत्थर दिख रहे हैं और पीछे एक पिरामिड जैसा ढांचा दिखाई दे रहा है.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
सूडान में मिले ये पत्थर 2700 वर्ष पुराने एक हिंदू मंदिर के अवशेष हैं.
सच्चाई
ये मंदिर प्राचीन मिस्र के भगवान अमुन-रा को समर्पित था और इसका हिंदू या सनातनी संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है.
फैक्ट चेक ब्यूरो
  • नई दिल्ली  ,
  • 16 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 1:32 PM IST

हाल ही में पुरातत्व एक्स्पर्ट्स की एक टीम को सूडान में कुछ पत्थरों के ब्लॉक मिले थे जो किसी प्राचीन मंदिर के हो सकते हैं.  इन अवशेषों की एक तस्वीर भारत में काफी तेजी से वायरल हो रही है. सोशल मीडिया पर कई लोग ऐसा कह रहे हैं कि सूडान में मिले ये पत्थर 2700 वर्ष पुराने एक हिंदू मंदिर के अवशेष हैं.  

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ऐसा कहने वाले लोग कुछ तस्वीरें शेयर कर रहे हैं जिनमें तीन पत्थर दिख रहे हैं और पीछे एक पिरामिड जैसा ढांचा दिखाई दे रहा है.

इनमें एक तस्वीर पर लिखा है, "मुस्लिम देश में मिले ये पत्थर मंदिर के हैं." तस्वीर के साथ दिए गए कैप्शन में लिखा है "मुस्लिम देश सूडान में मिले 2700 साल पुराने सनातन हिंदू मंदिर का अवशेष...और यह मंदिर उस समय का है, जब इस विशाल क्षेत्र में, कुश नाम का एक बहुत बड़ा राज्य हुआ करता था...इस धरती के जिस कोने में भी खुदाई करो, वहां जरुर हमारी सनातन धर्म की छवि ही मिलेंगे..." 

ऐसी ही एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि इन पत्थरों के किसी प्राचीन हिंदू मंदिर के अवशेष बताने वाले दावों में कोई सच्चाई नहीं है. असल में ये पत्थर जिस मंदिर के अवशेष हैं, वो प्राचीन मिस्र के भगवान अमुन-रा को समर्पित था, जिन्हें सूर्य देवता के रूप में माना जाता था.

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कैसे पता लगाई सच्चाई? 

वायरल तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर ये हमें कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में मिली. नौ मार्च, 2023 को Livescience.com पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में एक प्राचीन मंदिर के ये अवशेष सूडान के ओल्ड डोंगोला में पाए गए थे.

रिपोर्ट में बताया गया है कि ये खोज यूनिवर्सिटी ऑफ वारसॉ के पोलिश सेंटर ऑफ मेडिटेरेनियन आर्कियोलॉजी के आर्टुर ओब्लुस्की के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने की है. पत्थरों पर मौजूद चित्रलिपि शिलालेख और चित्रों के मुताबिक ये अवशेष कम से कम 2700 वर्ष पुराने हैं. उस समय ये क्षेत्र कुश राज का हिस्सा हुआ करता था.

प्राचीन मिस्र के देवता अमुन-रा को समर्पित था मंदिर 

आगे रिपोर्ट में इजिप्टोलॉजिस्ट डेविड विएजोरेक के हवाले से बताया गया है, "एक शिलालेख से पता चलता है कि मंदिर सूडान के एक अन्य पुरातात्विक स्थल कावा के देवता अमुन-रा को समर्पित था. अमुन-रा कुश और मिस्र में पूजे जाने वाले देवता थे. कावा सूडान में एक पुरातात्विक स्थल है जहां एक मंदिर है. हालांकि, ये स्पष्ट नहीं है कि ये पत्थर कावा के मंदिर का ही है या सूडान के किसी अन्य स्थान से है."  

पुरातत्व विज्ञान की वेबसाइट Arkeonews.net पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक सूडान में चित्रलिपि वाले पत्थर मिले हैं और इनका संबंध फिरौन के मंदिर से बताया गया है.

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ज्यादा जानकारी के लिए हमने पत्थरों को खोजने वाली शोधकर्ताओं की टीम का नेतृत्व करने वाले आर्टुर ओब्लुस्की से बात की. उन्होंने पत्थरों के किसी प्राचीन हिंदू मंदिर के अवशेष बताने वाले दावे को गलत बताया. उन्होंने कहा कि पत्थरों के ये ब्लॉक सूडान में नील नदी के किनारे बसे प्राचीन शहर नपाटा के एक मंदिर के अवशेष हैं. ये मंदिर उनके भगवान अमुन-रा को समर्पित था और इसका हिंदू या सनातनी संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है.  

(इनपुट- विकास भदौरिया)

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