
सोशल मीडिया पर आपको आए दिन ऐसे संदेश देखने को मिलते रहते हैं जिनमें लोग अपने करीबी शख्स की जान बचाने के लिए आर्थिक मदद की मार्मिक अपील करते दिखाई देते हैं. दुर्भाग्य की बात है कि इनमें से कई अपील भ्रामक होती हैं.
ताजा मामलों में, ऐसा ही एक संदेश वायरल हुआ जिसमें एक पुरुष और एक महिला को बेहोश बच्चे को हाथों में लिए हुए रोते देखा जा सकता है. तस्वीर के साथ अपील में कहा गया कि बच्चा कैंसर से पीड़ित है और उसे बचाने के लिए आर्थिक मदद की ज़रूरत है.
इस पोस्ट को यहां आर्काइव्ड देखा जा सकता है. इंडिया टुडे फैक्ट चेक टीम ने पड़ताल में पाया कि तस्वीर के साथ दिया गया संदेश पूरी तरह झूठा है क्योंकि बच्चे की बीते साल अगस्त में बिहार के सिवान जिले में न्यूमोनिया से मौत हो गई थी.
इस तस्वीर को फेसबुक यूज़र मनीष जैसवाल ने पब्लिक ग्रुप पेज “WE SUPPORT PM MODI” पर शेयर किया है. इस ग्रुप के 22 लाख से ज़्यादा सदस्य हैं. इस स्टोरी को लिखे जाने तक कम से कम 5,000 बार इस पोस्ट को शेयर किया जा चुका है.
जब हमने तस्वीर को रिवर्स सर्च किया तो पाया कि कई न्यूज़ रिपोर्ट्स के साथ इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया. इनके मुताबिक सिवान के दिनेश नर्सिंग होम में बच्चे का इलाज चल रहा था, वहीं अगस्त में उसकी मौत हो गई. रिपोर्ट्स में बच्चे के परिवार के उन आरोपों का हवाला दिया गया जिनके मुताबिक बच्चे को गलत दवाइयां देने की वजह से उसकी मौत हुई. हालांकि डॉक्टरों का कहना था कि बच्चा नर्सिंग होम में लाए जाने से पहले ही दम तोड़ चुका था. किसी भी रिपोर्ट में ये ज़िक्र नहीं था कि बच्चा कैंसर से पीड़ित था. यहां भास्कर डॉट कॉम, जनज्वार डॉट काम और z7न्यूज़ डॉट कॉम की न्यूज़ रिपोर्ट्स को देखा जा सकता है.
जब हमने नर्सिंग होम के एक डॉक्टर दिनेश कुमार सिंह के साथ संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि बच्चे की मौत न्यूमोनिया से हुई. डॉ सिंह ने ऐसे दावों को खारिज किया कि बच्चा कैंसर से पीड़ित था. हमारे स्थानीय संवाददातान ने भी इस ख़बर की पुष्टि की.
हमने मनीष जैसवाल से इस पोस्ट को लेकर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. जैसवाल ने खुद के मुंबई का कारोबारी होने का दावा किया और साथ ही अपने को मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर का रहने वाला बताया.
सोशल मीडिया पर इस तरह की संवेदनशील और जज़्बाती पोस्ट को लोगों को आकर्षित करने की ट्रिक्स (Click baits) के तौर इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि इस तरह की पोस्ट को बड़ी संख्या में प्रतिक्रियाएं मिलती हैं.