देशभर में 2 सितंबर, 2019 को गणेश चतुर्थी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इसके बाद लोगों ने अपने रीति-रिवाज के अनुसार गणपति विसर्जन शुरू कर दिया है. कई लोग गणपति विसर्जन गणेश चतुर्थी के दस दिन बाद करते हैं, जबकि कुछ लोग पहले भी पूजा पूरी करके विसर्जन कर देते हैं. इस बीच गणपति विसर्जन को लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है.
क्या है दावा
वायरल हो रहे वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि अहमदाबाद की साबरमती नदी में गणपति विसर्जन पर प्रतिबंध लगने पर लोगों ने मूर्तियों को फुटपाथ पर ही छोड़ दिया है. वीडियो को एक चलती कार में से बनाया गया है जिसमें दिख रहा है कि देवी देवताओं की सैकड़ों मूर्तियां फुटपाथ पर रखी हैं.
क्या है सच
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में पाया कि इस वीडियो का गणपति विसर्जन से कोई लेना-देना नहीं है. यह वीडियो अहमदाबाद की साबरमती नदी के पास का ही है, लेकिन तकरीबन एक महीना पुराना है जब शहर में दशा मां का पर्व मनाया गया था.
वीडियो को इस भ्रामक दावे के साथ हजारों लोग शेयर कर चुके हैं. Padmini Natarajan नाम के एक फेसबुक यूजर ने इस वीडियो को शनिवार को पोस्ट किया था जिसे अभी तक 7,400 से भी ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं. इस वीडियो को लेखक और राजनीतिक विश्लेशक Zainab Sikander ने भी ट्वीट करते हुए आपत्ति जताई है.
वीडियो की तफ्तीश करने पर हमें इंडिया टीवी के पत्रकार निर्णय कपूर का एक ट्विटर थ्रेड मिला जिसमें वायरल वीडियो के बारे में जिक्र था. उनके मुताबिक यह वीडियो गणेश विसर्जन का नहीं, बल्कि एक महीने पहले अहमदाबाद में हुए दशा मां की मूर्तियों के विसर्जन के समय का है.
निर्णय का कहना है कि अहमदाबाद नगर निगम ने साबरमती नदी में किसी भी प्रकार की मूर्तियों का विसर्जन करने पर पाबंदी लगाई है. इसी को देखते हुए पिछले महीने लोगों ने दशा मां की मूर्तियों को नदी के पास फुटपाथ पर छोड़ ही दिया था, जिन्हें बाद में नगर निगम ने वहां से हटाकर खास तरीके से विसर्जित कर दिया. निर्णय ने ये भी बताया है कि इस बार अहमदाबाद में गणपति विसर्जन 12 सितंबर को होगा जिसके लिए 61 विशाल कुंड बनाए गए हैं.
अहमदाबाद नगर निगम कमिश्नर विजय नेहरा ने भी निर्णय की बात को सही बताया है. विजय नेहरा ने अपना एक पुराना ट्वीट भी रीट्वीट किया है जिसमें उन्होंने दशा मां के विसर्जन को लेकर कुछ तस्वीरें और एक वीडियो शेयर किया था. ट्वीट शेयर करते हुए विजय ने लिखा है कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत है और इसी तरह के वीडियो और तस्वीरें उन्होंने एक महीने पहले ट्वीट की थीं.
विजय नेहरा ने ये ट्वीट 11 अगस्त को किया था. ट्वीट की गई तस्वीरों और वीडियो को देखने से साफ़ समझ आता है कि वायरल वीडियो भी उसी समय का है. इन तस्वीरों में भी देवी देवताओं की मूर्तियां वायरल वीडियो की तरह फुटपाथ पर रखी हुई देखी जा सकती हैं.
इस बारे में हमने खुद विजय नेहरा से भी बात की. उनका कहना था कि अहमदाबाद नगर निगम ने पर्यावरण दिवस के दौरान स्वच्छ साबरमती नाम से एक अभियान चलाया था. उसके बाद साबरमती नदी में किसी भी प्रकार की मूर्तियों का विसर्जन करने पर पाबंदी लगाई गई है. इसलिए इस अभियान के बाद दशा मां की मूर्तियां नदी में विसर्जन करने आए लोगों ने मूर्तियां साबरतमती रिवरफ्रंट के बाहर ही रख दी थीं. इन मूर्तियों को बाद में नगर निगम अपने तरीके से प्रकृति में मिला देता है.
हमारी अहमदाबाद संवादाता गोपी घांघर ने भी साबरमती रिवर फ्रंट पर पहुंच कर जानकरी को पुख्ता किया कि वहां पर गणपति विसर्जन के लिए मूर्तिया नहीं रखी गई हैं.
यहां पर ये बात स्पष्ट होती है कि जिस वीडियो को गणपति विसर्जन का बताकर वायरल किया गया है वह दरअसल एक महीना पुराना वीडियो है और दशा मां मूर्ति विसर्जन से जुड़ा है.