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फैक्ट चेक: फायरिंग का ये पाकिस्तानी वीडियो भी फर्जी

बीबीसी उर्दू के इस फर्जी पेज के 51000 लाइक्स हैं और फोटो में बीबीसी उर्दू का असली लोगो भी नहीं  है. असली बीबीसी उर्दू पेज को 66 लाख से भी ज़्यादा लोग लाइक कर चुके हैं.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
बुधवार को सिआलकोट में एलओसी पर पाकिस्तान ने की भारत की ओर जमकर फायरिंग.
सच्चाई
वीडियो न ही एलओसी का है न ही बुधवार का है, वीडियो 3 साल पुराना है और पाकिस्तान फौज ने ट्रेनिंग के दौरान गोलियां चलाईं थीं.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 11:16 PM IST

भारत पाक जंग को लेकर अफवाह फैलाने का दौर जारी है. सोशल मीडिया पर एक और वीडियो खूब शेयर किया जा रहा है जिसमें दावा किया गया है कि ये भी पाकिस्तान के सिआलकोट इलाके की है और यहां भारतीय फौज पर पाकिस्तानी सेना फायरिंग कर रही है.

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि इस वीडियो का भारत पाकिस्तान के बीच चल रहे मौजूदा तनाव से कोई लेना देना नहीं है और यह वीडियो कम से कम तीन साल पुराना है.

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इस वायरल वीडियो को BBC Urdu.EU नाम के फर्जी फेसबुक पेज ने बुधवार को देर रात 2.56 मिनट पर फेसबुक  पर अपलोड किया. इस पोस्ट पर अंग्रेजी में कैप्शन दिया गया जो यह कह रहा था कि वीडियो सिआलकोट एलओसी की आंखों देखी थी .

इस वीडियो को लगभग 10000 लोगों ने देखा और खबर छपने तक लगभग 186 लोगों ने शेयर भी किया.

वीडियो का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें.

बीबीसी उर्दू के इस फर्जी पेज के 51000 लाइक्स हैं और फोटो में बीबीसी उर्दू का असली लोगो भी नहीं  है. असली बीबीसी उर्दू पेज को 66 लाख से भी ज़्यादा लोग लाइक कर चुके हैं.

वीडियो की शुरुआत में अंग्रेजी में कहा जा रहा है  "इन्फेंट्री कैन डू व्हाट ए मैन कैन डू" (टुकड़ियां वो कर सकती हैं जो मानव कर सकता है). वीडियो 30 सेकंड तक चलता है.

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गूगल पर इसी कीवर्ड को सर्च करने पर AFWA को इसी वीडियो के कई वर्जन मिले. इनमें सबसे पुराना वीडियो 5 अक्टूबर 2016 का है जिसे "पाकिस्तानी मिलिट्री क्लिप्स" नाम के एक अकाउंट ने अपलोड किया था.

वीडियो में लगभग एक मिनट और पैंतीस सेकंड पर 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' के नारे सुनाई पड़ते हैं.

इसी वीडियो को एक और यूट्यूब अकाउंट ने 5 जुलाई 2017 को पोस्ट किया, जिसके कमेंट्स सेक्शन में लिखा गया था कि पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी की टुकड़ी अपनी शक्ति का एक डेमो दिखा रही थी.

AFWA ने इस तथ्य की भी पुष्टि करने की कोशिश की लेकिन अकादमी की वेबसाइट ने भारतीय सर्वर होने की वजह से इसका एक्सेस देने से मना कर दिया.

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