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फैक्ट चेक: उत्तर प्रदेश का नहीं है पुलिस की बर्बरता का यह वीडियो

उत्तर प्रदेश में नए नागरिकता कानून के विरोध में 20 दिसंबर को हुई हिंसा के बाद से ही सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें और वीडियो शेयर किये जा रहे हैं. इसी बीच एक चार सेकंड का छोटा सा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
उत्तर प्रदेश में प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस की बर्बरता का वीडियो
सच्चाई
वायरल वीडियो उत्तर प्रदेश से नहीं, पाक अधिकृत कशमीर का है और सीएए कानून बनने से पहले का है.
अमनप्रीत कौर
  • नई दिल्ली,
  • 03 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 5:57 PM IST

उत्तर प्रदेश में नए नागरिकता कानून (CAA) के विरोध में 20 दिसंबर को हुई हिंसा के बाद से ही सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें और वीडियो शेयर किये जा रहे हैं. इसी बीच एक चार सेकंड का छोटा सा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में एक पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारी के सिर पर डंडा मारता है और प्रदर्शनकारी जमीन पर गिर जाता है. दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो उत्तर प्रदेश में हुई इसी हिंसा के दौरान का है.

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इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रहा वीडियो उत्तर प्रदेश का नहीं बल्कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का है और सीएए कानून के संसद में पास होने से पहले का है.

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

फेसबुक पेज "Voice of India " ने इस वीडियो को पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा: "यूपी पुलिस की निर्दयता #No_NRC #No_CAA". खबर लिखे जाने तक यह पोस्ट 9700 से ज्यादा बार तक शेयर की जा चुकी थी.

वायरल वीडियो के साथ किए जा रहे दावे का सच जानने के लिए हमने इसके कीफ्रेम्स काटे और इन्हें रिवर्स सर्च की मदद से ढूंढा. हमें यूट्यूब पर 22 अक्टूबर 2019 को अपलोड किया गया इस वीडियो का करीब दो मिनट लंबा वर्जन मिल गया.

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KFD TV नामक यूट्यूब चैनल पर इस वीडियो को अपलोड कर उर्दू में डिस्क्रिप्शन लिखा गया है. इसके अनुसार यह वीडियो पाकिस्तान अधिकृत कशमीर के मुजफ्फराबाद का है, जहां 22 अक्टूबर 2019 को पीपल्स नेशनल अलायंस PNA और ऑल इंडिपेंडेंट पार्टीज अलायंस (AIPA) ने आजादी की मांग करते हुए रैली निकाली थी. इस दौरान प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पाकिस्तान पुलिस ने लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे. इस दौरान दो लोगों की मौत हुई थी जबकि करीब 80 लोग घायल हुए थे.

कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने इस घटना को प्रमुखता से प्रकाशित किया था.

वायरल हो रहा वीडियो इसी रैली के दौरान का है और इसका उत्तर प्रदेश में सीएए के विरोध में हुए उग्र प्रदर्शन से कोई लेना देना नहीं है.

उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल

उत्तर प्रदेश में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस के बर्ताव को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं. इसके चलते नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन (NHRC) को शिकायतें मिलीं हैं जिनके मद्देनजर एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश पुलिस चीफ को नोटिस जारी किया है.

वहीं यूपी पुलिस की हाल ही में शांति भंग के खिलाफ कार्रवाई में 200 लोगों को नोटिस जारी करने पर भी काफी किरकिरी हो रही है. पुलिस ने इनमें एक ऐसे व्यक्ति को भी नोटिस जारी कर दिया है जिसकी मृत्यु छह साल पहले हो चुकी है, व दो बुजुर्ग जिनकी उम्र 90 साल से ज्यादा है उन्हें भी इस सूची में शामिल किया है.

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पड़ताल में साफ हुआ कि वायरल हो रहा वीडियो उत्तर प्रदेश का नहीं, पाक अधिकृत कशमीर का है और सीएए कानून के संसद में पारित होने से पहले का है.

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