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फैक्ट चेक: बंगाल हिंसा से जोड़कर शेयर हो रही यूपी की तीन साल पुरानी तस्वीर

पश्चिम बंगाल बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं की हत्या के विरोध में 8 अक्टूबर को ममता सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इसी दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं की बंगाल पुलिस से झड़प हुई, जिसके बाद कोलकाता और हावड़ा के कुछ हिस्सों में हिंसा देखने को मिली. हिंसा में बीजेपी कार्यकर्ताओं और पुलिस के जवानों के घायल होने की खबर आई.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
बंगाल में बीजेपी के एक गुंडे ने एक बुजुर्ग पुलिसकर्मी की पिटाई की.
सच्चाई
ये तस्वीर जून 2017 की है और उत्तर प्रदेश के कानपुर की है.
अर्जुन डियोडिया
  • नई दिल्ली,
  • 13 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 10:54 PM IST

पश्चिम बंगाल बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं की हत्या के विरोध में 8 अक्टूबर को ममता सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इसी दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं की बंगाल पुलिस से झड़प हुई, जिसके बाद कोलकाता और हावड़ा के कुछ हिस्सों में हिंसा देखने को मिली. हिंसा में बीजेपी कार्यकर्ताओं और पुलिस के जवानों के घायल होने की खबर आई.

इधर, सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल होने लगी जिसमें सड़क पर एक आदमी एक पुलिसकर्मी की गर्दन को दबोचे हुए दिख रहा है. तस्वीर के साथ तंज करते हुए दावा किया जा रहा है कि बंगाल में बीजेपी का एक गुंडा एक बुजुर्ग पुलिसकर्मी की सहायता कर रहा है.  

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वायरल तस्वीर

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट भ्रामक है. ये तस्वीर जून 2017 की है और उत्तर प्रदेश के कानपुर की है.

इस भ्रामक पोस्ट को फेसबुक और ट्विटर पर कई लोगों ने शेयर किया है. पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.

तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर इसकी सच्चाई सामने आ गई. हमने पाया कि ये तस्वीर जून, 2017 में "Daily Mail" के एक न्यूज आर्टिकल में इस्तेमाल हुई थी. रिपोर्ट के अनुसार, ये तस्वीरें तब ली गई थीं जब उत्तर प्रदेश में कानपुर के एक अस्पताल में एक किशोरी से कथित रेप के बाद गुस्साई भीड़ ने हंगामा किया था. भीड़ ने उस दौरान पुलिस अधिकारियों पर हमला भी किया था. हमें इस मामले से जुड़ी "नई दुनिया" की भी एक रिपोर्ट मिली जिसमें बताया गया है कि ये घटना कानपुर के न्यू जागृति हॉस्पिटल के बाहर हुई थी. इस झड़प में कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे. भीड़ ने अस्पताल में भी तोड़-फोड़ की थी.

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ये तस्वीर मार्च में भी गलत दावे के साथ वायरल हुई थी. उस समय भी इंडिया टुडे ने इसका खंडन किया था. यहां पर ये साफ है कि वायरल तस्वीर तीन साल से ज्यादा पुरानी है और इसका पश्चिम बंगाल हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है.

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