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फैक्ट चेक: दिल्ली दंगों से संबंधित बीबीसी की एक साल पुरानी रिपोर्ट त्रिपुरा हिंसा से जोड़कर वायरल

सोशल मीडिया पर कुछ लोग कह रहे हैं कि बीबीसी ऐसा इकलौता संस्थान है जिसने त्रिपुरा हिंसा और वहां की पुलिस की कारस्तानी का कच्चा-चिट्ठा खोलकर सामने रख दिया. वरना, बाकी मीडिया ने इस बारे में कुछ नहीं दिखाया.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
ये हालिया त्रिपुरा हिंसा पर बीबीसी की रिपोर्ट है जिसमें बताया गया है कि पुलिस ने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा में हिंदुओं का साथ दिया.
सच्चाई
ये रिपोर्ट एक साल पुरानी है और दिल्ली दंगों से संबंधित है.
ज्योति द्विवेदी
  • नई दिल्ली,
  • 02 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:54 PM IST

सोशल मीडिया पर कुछ लोग कह रहे हैं कि बीबीसी ऐसा इकलौता संस्थान है जिसने त्रिपुरा हिंसा और वहां की पुलिस की कारस्तानी का कच्चा-चिट्ठा खोलकर सामने रख दिया. वरना, बाकी मीडिया ने इस बारे में कुछ नहीं दिखाया.

बीबीसी के लोगो वाला एक वीडियो वायरल है. इसमें कुछ लोग कह रहे हैं कि पुलिस ने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा में हिंदुओं की पूरी मदद की. इस वीडियो में एक व्यक्ति रिपोर्टर को बताता है कि उसे पत्थरबाजी के लिए पत्थर भी पुलिस ने ही लाकर दिए.  

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एक फेसबुक यूजर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “त्रिपुरा दंगे पर दलाल मीडिया ने कुछ नहीं बताया मगर बीबीसी न्यूज़ ने सारी पोल खोल कर रख दी #BBC news”.

दरअसल त्रिपुरा के पानीसागर इलाके में 26 अक्टूबर को विश्व हिंदू परिषद ने बांग्लादेश दंगों के विरोध में एक रैली निकाली थी. इस रैली के दौरान मुसलमानों की कुछ दुकानों और एक मस्जिद में तोड़फोड़ की गई थी.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर बीबीसी न्यूज का जो वीडियो त्रिपुरा का बताते हुए शेयर किया जा रहा है वो पिछले साल हुए दिल्ली दंगों से संबंधित है.

क्या है सच्चाई

वायरल न्यूज रिपोर्ट में ऐसी कई चीजें हैं जिन्हें देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये वीडियो दिल्ली के बारे में है.  इस वीडियो में 2 मिनट 26 सेकंड पर एक जगह कहा जाता है, ‘द डेल्ही पुलिस डिंट रेस्पॉन्ड टू द एलीगेशंस’ यानी ‘दिल्ली पुलिस ने इन आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया’. इसी तरह, 2 मिनट 46 सेकंड पर कहा जाता है ‘योगिता लिमाए बीबीसी न्यूज डेल्ही’.

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वीडियो में एक जगह एक बाइक दिखती है जिसकी नंबर प्लेट पर दिल्ली का नंबर लिखा है. इसी फ्रेम में पीछे कुछ दुकानों के शटर पर अंग्रेजी में ‘NO NRC-CAA’ लिखा है. 

इस वीडियो में एक जगह खजूरी खास पुलिस का एक सहायता केंद्र भी दिखाई देता है. खजूरी खास उत्तर पूर्वी दिल्ली का एक इलाका है.

 

वीडियो को रिवर्स सर्च करने पर हमने पाया कि इसे करीब एक साल पहले वीमियो स्ट्रीमिंग वेबसाइट पर शेयर किया गया था. यहां इसके साथ कैप्शन में लिखा है, ‘योगिता लिमाए डेल्ही वायलेंस’. इससे ये बात साबित हो जाती है कि ये वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं है.

कीवर्ड सर्च के जरिये हमें बीबीसी न्यूज की वो रिपोर्ट मिल गई जिसके एक हिस्से को त्रिपुरा हिंसा संबंधी रिपोर्ट बता कर शेयर किया जा रहा है. ‘बीबीसी न्यूज इंडिया’ ने 3 मार्च 2020 को ये रिपोर्ट अपने फेसबुक पेज पर शेयर की थी.

इस रिपोर्ट में बताया गया है दिल्ली दंगों में पुलिस ने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा में हिंदुओं का साथ दिया था.

‘इंडिया टुडे’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल हुए दिल्ली दंगों में करीब 53 लोगों की जान गई थी.

साफ है कि बीबीसी की एक साल पुरानी दिल्ली दंगों से संबंधित रिपोर्ट को त्रिपुरा हिंसा से जोड़ कर शेयर किया जा रहा है.

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