कोरोना के खतरे के चलते केंद्र सरकार और राज्यों को 10वीं और 12वीं की परीक्षा को रद्द करना पड़ा और विद्यार्थियों को उनके पुराने रिकॉर्ड के आधार पर प्रमोट कर दिया गया. अब इसी को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया पर ये दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में 10वीं एवं 12वीं में उत्तीर्ण हुए सभी छात्र-छात्राओं को सरकारी नौकरी के लिए एक स्पेशल एग्जाम देना होगा. वायरल हो रहे "न्यूज 18" के इस स्क्रीनशॉट में लिखा है कि आदेश के अनुसार कोविड के दौरान बिना परीक्षा दिए अगली क्लास में प्रमोट होने वाले 10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स की मार्कशीट सरकारी नौकरियों के लिए मान्य नहीं होगी.
स्क्रीनशॉट को उत्तर प्रदेश या योगी आदित्यनाथ से जोड़कर फेसबुक पर कई यूजर्स शेयर कर चुके हैं. फेसबुक पर स्क्रीनशॉट साझा करते हुए एक व्यक्ति ने लिखा है, "उत्तर प्रदेश के 10वीं एवं 12वीं में उत्तीर्ण हुए सभी छात्र छात्राओं को समर्पित योगी जी का यह तोहफा बधाई".
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल पोस्ट में गलत जानकारी दी गई है. ये फैसला उत्तर प्रदेश सरकार ने नहीं बल्कि असम सरकार ने कुछ दिनों पहले लिया था जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था.
कीवर्ड्स की मदद से खोजने पर हमें "न्यूज 18" की ये खबर मिली, जिसे 7 जुलाई को प्रकाशित किया गया था. इस रिपोर्ट में साफ तौर पर ये लिखा है कि ये आदेश असम सरकार ने जारी किया था. वायरल स्क्रीनशॉट में इसी जानकारी को क्रॉप कर दिया गया है और अब यूपी का नाम देकर वायरल किया जा रहा है. "न्यूज 18" की इस खबर के मुताबिक, स्पेशल एग्जाम में शामिल हुए बिना छात्र असम सरकार के शिक्षा विभाग या किसी अन्य विभाग के कर्मचारी के पद के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे.
इस बारे में "टीवी 9" ने भी खबर छापी थी. दरअसल, स्पेशल एग्जाम वाली ये बात असम सरकार द्वारा 10वीं एवं 12वीं के विद्यार्थियों के लिए निर्धारित की गई मूल्यांकन नीति में कही गई थी. हालांकि, जब असम के तमाम छात्र-छात्राओं और छात्र संघ ने इस नियम का विरोध किया तो सरकार ने इस वापस ले लिया.
ये नियम उन विद्यार्थियों के लिए परेशानी पैदा करता जो किसी कोर्स की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे थे और इस नियम के बाद उन्हें 10वीं और 12वीं के लिए दोबारा पढ़ना पड़ता. वहीं सरकार का कहना था कि ये फैसला उन सरकारी परीक्षाओं को देखते हुए लिया गया था जिनमें चयन 10वीं और 12वीं के परिणाम पर निर्भर होता है. अगर बात करें उत्तर प्रदेश की तो हमें ऐसी कोई न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली जिसमें योगी सरकार के इस तरह के फैसले का जिक्र हो. अगर यूपी सरकार ये नियम बनाती तो इसकी चर्चा खबरों में जरूर होती. उत्तर प्रदेश में जिस मूल्यांकन नीति से 10वीं और 12वीं के परिणाम घोषित किया गए हैं उसमें ऐसी कोई बात नहीं कही गई है.
(सौरभ भटनागर के इनपुट के साथ)