हाल ही में बगदाद में एक अमेरिकी हवाई हमले में ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी मारे गए थे. इसके बाद बुधवार को इराक ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी एयरबेस पर बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया. ईरान के नेशनल मीडिया में दावा किया गया कि इस हमले में अमेरिका के 80 “आतंकी” मारे गए हैं. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि “सब ठीक है” और ईरान के इस हमले में किसी अमेरिकी को कोई नुकसान नहीं हुआ है.
दोनों देशों में इस तनाव के बीच सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं जिसमें कुछ सेना के जवान अमेरिकी झंडे में लिपटे ताबूत के साथ दिख रहे हैं. इन तस्वीरों के साथ दावा किया जा रहा है कि ईरान ने जनरल कासिम सुलेमानी की मौत का बदला ले लिया है. पोस्ट इस ओर इशारा कर रही है कि उसमें दिख रहे ताबूत अमेरिकी सैनिकों के हैं जो कथित तौर पर ईरानी हमले में मारे गए हैं.
वायरल पोस्ट में तस्वीरों के साथ कैप्शन में लिखा है, “ईरान ने जनरल सुलेमानी का बदला ले लिया, धर्म देखकर सपोर्ट करने वाले भक्त सदमे में हैं, जो कल सुलेमानी की मौत पर खुशियां मना रहे थे.”
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल हो रही पोस्ट में किया जा रहा दावा झूठा है. अमेरिकी झंडे में लिपटे ताबूत की ये तस्वीरें कई साल पुरानी हैं और इनका इराक में अमेरिकी सेना पर हुए हमले से कोई लेना- देना नहीं है.
झूठे दावे के साथ यह पोस्ट फेसबुक और व्हाट्सएप पर वायरल हो रही है.
पहली तस्वीर
रिवर्स सर्च की मदद से हमने पाया कि यह तस्वीर कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों की वेबसाइट पर मौजूद है. 2005 में प्रकाशित बीबीसी के एक लेख में एक तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा है, “एक अनुरोध पर इराक से लौटने वाले अमेरिकी सैनिकों के ताबूतों की तस्वीरें सामने आईं.” इससे साबित होता है कि यह तस्वीर कम से कम 15 साल पुरानी है.
न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में इस फोटो के साथ तारीख नहीं दी है लेकिन तस्वीर यह दिखाती है कि ये ताबूत इराक में मारे गए अमेरिकी सैनिकों के हैं जो डेलावेयर में डोवर एयर बेस पर मौजूद हैं. इस लेख में फोटो क्रेडिट एएफपी एजेंसी को दिया गया है.
दूसरी तस्वीर
इंटरनेट पर सर्च करने पर यह तस्वीर हमें एक पाकिस्तानी वेबसाट Nation.com.pk. के एक लेख के साथ मिली. यह लेख 26 जून, 2011 को छपा है. इससे भी साबित होता है कि यह तस्वीर काफी पुरानी है और अमेरिका- ईरान के बीच चल रहे मौजूदा तनाव से इसका कोई लेना- देना नहीं है.
हमें यही तस्वीर 2014 में प्रकाशित एक लेख में मिली, जहां यह बिना क्रॉप किए इस्तेमाल की गई है.
हम यह पता नहीं कर सके कि यह तस्वीर वास्तव में कब और किस जगह खींची गई है, लेकिन इन खबरों के आधार पर इतना साफ है कि तस्वीरें पुरानी हैं और इनका मौजूदा अमेरिका- ईरान तनाव से कोई वास्ता नहीं है.