हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल जिले में गांव गुमसानी (थाना क्षेत्र असमोली) के एक शिव मंदिर के महंत की हत्या से सनसनी फैल गई थी. इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए संभल पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था. अब सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर के साथ एक पोस्ट वायरल है.
इस पोस्ट के मुताबिक, संभल में 35 साल से बंद पड़े एक शिव मंदिर का ताला खुलवाकर जल चढ़ाया गया. ये भी दावा किया जा रहा है कि इस मंदिर को सालों पहले मुसलमानों ने बंद करवाया था.
तस्वीर को पोस्ट करते हुए एक फेसबुक यूजर ने लिखा, "संभल में 35 साल बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाया गया। 18 जिहादी गिरफ़्तार। मुस्लिमो ने बंद करवाया हुआ था मंदिर। CM योगी ने 20 जिलों से भेजी पुलिस, खुला मंदिर। सोचिए हम हिंदू लोग, अपना देश और पूजा नहीं कर सकते हैं, इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है। 35 साल से मंदिर को बंद कर दिया था मुस्लिमों ने। योगी जी ने रातों रात 20 जिलों से पुलिस संभल में भेजी और 18 जिहादियों को गिरफ्तार किया गया, और 450 से अधिक जिहादी फरार है। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के रूप में नहीं बल्कि ईश्वर के दूत के रूप में पहुंचे है। योगी आदित्यनाथ जी की जय."
यह पोस्ट फेसबुक और ट्विटर पर काफी वायरल है. कुछ पोस्ट के आर्काइव यहां और यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा पूरी तरह गलत है. उत्तर प्रदेश के संभल जिले में ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है जहां 35 साल से बंद पड़े किसी शिव मंदिर का ताला खुलवाया गया हो. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लेकर 2017 में भी ऐसी ही पोस्ट वायरल की जा चुकी है. अब एक बार फिर से कुछ लोग ऐसी पोस्ट डालकर अफवाहें फैला रहे हैं.
कैसे की पड़ताल?
वायरल पोस्ट में मौजूद सूचनाओं के आधार पर हमने कुछ कीवर्ड्स सर्च किए तो हमें 9 जुलाई 2021 को संभल के एक शिव मंदिर के महंत की हत्या की ख़बर मिली, लेकिन पोस्ट में किए गए दावे के बारे में कोई खबर नहीं मिली.
वायरल पोस्ट का सच जानने के लिए हमने संभल का रुख किया और वहां के सबसे प्राचीन सिद्धपीठ श्री पातालेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी जुगल किशोर से बात की. उन्होंने बताया, "मुझे संभल और इस मंदिर में रहते हुए 17 साल से ज्यादा समय हो चुका है और अब तक मैंने इस तरह की किसी घटना के बारे में नहीं सुना है, न ही ऐसा कोई मंदिर देखा है जो सालों से बंद पड़ा हो. यहां ऐसी कोई बात नहीं हुई है, ये कोई अफवाह उड़ा रहा है."
हमने स्थानीय सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क से भी बात की तो उन्होंने कहा, "यहां हमने कभी इस तरह की घटना के बारे में नहीं सुना, न मेरे संज्ञान में कभी आया है. इस तरह की पोस्ट कुछ लोग माहौल खराब करने के लिए डालते हैं. ऐसे लोगों पर कार्यवाही होनी चाहिए."
पड़ताल करते हुए हमें इस घटना के बारे में 'ABP न्यूज़' की एक रिपोर्ट मिली जो 06 अप्रैल, 2017 को छपी थी. इस रिपोर्ट में सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट को गलत बताया गया था जिसमें बिल्कुल ऐसा ही दावा किया गया था. इससे ये साफ होता है कि यही पोस्ट चार साल पहले भी वायरल हो चुकी है और इसमें कही जा रही बातें पूरी तरह मनगढ़ंत हैं.
इस जानकारी को पुख़्ता करने के लिए हमने संभल जिले के पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा से संपर्क किया. हमारी बात उनके जन संपर्क अधिकारी पुष्कर मेहरा से हुई. उन्होंने बताया, "पोस्ट में किया गया दावा पूरी तरह अफवाह है. हमारे जिले की पुलिस या किन्हीं दूसरे जिलों की पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया है. इससे पहले भी कई बार इस दावे को लेकर हमारे पास कई फोन आए हैं और हम लोगों ने इसका खंडन भी किया है. यहां किसी भी मंदिर में किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है और न ही कोई मंदिर बंद हुआ है. उन्होंने इस तरह की पोस्ट डालकर सौहार्द बिगाड़ने और अफवाह फैलाने वालों के जल्द ही कार्रवाई करने की भी बात कही.
पड़ताल से साफ है कि वायरल पोस्ट पूरी तरह से फर्जी है. सीएम योगी की ओर से 20 जिले की पुलिस बुलाकर 35 साल से बंद मंदिर खुलवाने के दावे में कोई सच्चाई नहीं है. सोशल मीडिया पर यही दावा चार साल पहले भी किया जा चुका है.