सोशल मीडिया पर राजस्थान के अलवर का बताकर एक वीडियो खूब शेयर किया जा रहा है. वीडियो में दिखता है कि एक मंदिर के ऊपर कई लोग चढ़े हुए हैं और उसके चोटी पर अंबेडकर की फोटो वाले नीले झंडे फहरा रहे हैं. वीडियो को शेयर करने वाले नाराजगी जताते हुए लिख रहे हैं कि ये घटना हाल ही में अलवर में हुई है.
वीडियो को शेयर करते हुए यूजर्स अलवर पुलिस को टैग कर रहे हैं और मंदिर पर झंडा फहराने वालों पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं. एक एक्स यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “अलवर में मंदिर पर दलितों ने लहराया नीला झंडा नीले कबूतरों यही तुम मस्जिद के ऊपर करके दिखाओ 2 मिनट में औकात पता चल जाएगी..” इन्हीं कैप्शन्स के साथ वीडियो फेसबुक पर भी शेयर किया जा रहा है. ऐसे एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये घटना है तो अलवर की ही, मगर हाल-फिलहाल की नहीं है. ये अप्रैल 2024 की घटना है जब भीम आर्मी की एक रैली के दौरान कुछ लोगों ने शिव मंदिर पर नीले झंडे लगा दिए थे.
कैसे पता चली सच्चाई?
वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर ये हमें अप्रैल और मई 2024 में इंटरनेट पर अपलोड हुआ मिला. यूट्यूब पर 18 अप्रैल 2024 को अपलोड किये गए इस वीडियो में इसे अलवर का बताया गया है. यहां इतनी बात तो साफ हो गई कि ये वीडियो पुराना है.
हमने वीडियो पर और जानकारी लेने के लिए आजतक के अलवर संवाददाता हिमांशु शर्मा से संपर्क किया. उन्होंने भी हमें यही बताया कि ये वीडियो अभी का नहीं, बल्कि 14 अप्रैल 2024 का है. हिमांशु ने बताया कि ये मंदिर अलवर के होप सर्कस में है, इस जगह पर 14 अप्रैल 2024 को आंबेडकर जयंती के मौके पर शोभायात्रा निकाली गई थी. इस दौरान कुछ युवाओं ने मंदिर पर चढ़ कर गुंबद पर नीले झंडे लगा दिए थे. होप सर्कस के गूगल मैप्स स्ट्रीट व्यू से भी इस बात की पुष्टि होती है कि वीडियो अलवर का ही है.
आजतक ने मंदिर के पुजारी राजेंद्र शर्मा से भी बात की. उन्होंने बताया कि इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी. पुलिस-प्रशासन ने मौके पर पहुंच कर झंडों को हटा दिया था.
पुलिस ने वायरल वीडियो पर क्या कहा?
हिमांशु शर्मा ने अलवर के कोतवाली थाना अधिकारी नरेश शर्मा से बात की. उन्होंने आजतक को बताया कि यह मामला दस महीने पुराना है. इस तरह की अभी कोई घटना नहीं हुई है. उस समय जैसे ही मामले की जानकारी मिली थी, तुरंत पुलिस-प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर झंडों को हटवा कर मामला शांत करवाया था. नरेश ने बताया कि इस मामले में मंदिर प्रशासन की तरफ से कोई लिखित शिकायत नहीं की गई थी, इसलिए कोई रिपोर्ट भी दर्ज नहीं हुई थी.
साफ है, अलवर के मंदिर पर नीले झंडे लगाए जाने के महीनों पुराने वीडियो को हाल-फिलहाल का बताकर भ्रम फैलाया जा रहा है.
(इनपुट्स : हिमांशु शर्मा, आजतक अलवर संवाददाता)