बांग्लादेश में आई बाढ़ से अब तक 71 लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोग इससे प्रभावित हैं. इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब शेयर किया जा रहा है, जिसमें मुस्लिम टोपी पहना एक शख्स पानी के अंदर खड़े एक बच्चे के गले में डली माला को अपने मुंह से काटकर निकालता हुआ नजर आ रहा है. सोशल मीडिया यूजर्स की मानें तो ये वीडियो बांग्लादेश का है, जहां इस हिंदू बच्चे को राहत सामग्री देने के बदले एक मौलवी ने उसके गले से धार्मिक माला निकाल ली.
एक यूजर ने वायरल वीडियो को थ्रेड्स पर शेयर करते हुए लिखा, “बांग्लादेश में एक मौलवी ने एक हिंदू बच्चे को राहत सामग्री दी और बदले में सुभान अल्लाह, अल्लाह हू अकबर कहते हुए उसकी "माला" काट दी. जब बच्चे ने "माला" मांगी, तो उन्होंने उससे कहा कि वह राहत सामग्री लेकर चला जाए और माले की चिंता न करे.” वायरल वीडियो को इन्हीं दावों के साथ फेसबुक पर भी शेयर किया गया है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये मामला बांग्लादेश का ही है लेकिन ये बच्चा हिन्दू नहीं, बल्कि मुस्लिम ही है. बच्चे के गले से देवी की माला नहीं, बल्कि एक तावीज निकाला गया था.
कैसे पता चली सच्चाई?
हमने देखा कि वीडियो पर बांग्ला में कुछ शब्द लिखे हैं. इसका अनुवाद है- “नोआखाली राहत सामग्री के वितरण के साथ, लड़के को शिर्क से मुक्त कर दिया गया”.
कीवर्ड सर्च के जरिये खोजने पर हमें एक वीडियो तौहीद एकेडमी एंड इस्लामिक सेंटर नाम के फेसबुक पेज पर मिला. इसमें वायरल वीडियो वाला हिस्सा भी देखा जा सकता है. बांग्ला में लिखे इस पोस्ट का अनुवाद है, “तौहीद एकेडमी एंड इस्लामिक सेंटर नोआखाली में 200 से ज्यादा बाढ़ पीड़ित परिवारों को राहत सामग्री पहुंचाई.”
इसके बाद हमने तौहीद एकेडमी एंड इस्लामिक सेंटर से संपर्क किया. एकेडमी द्वारा संचालित जामिया दरूत तौहीद मदरसा के असिस्टेंट प्रिंसिपल मलिक मियाजी ने आजतक को बताया कि वीडियो में दिख रहे शख्स वो खुद हैं और उन्होंने ही बच्चे के गले से तावीज निकाला था.
पूरा मामला समझाते हुए उन्होंने कहा, “वीडियो में दिख रहा बच्चा हिन्दू नहीं है. वो मुस्लिम है और उसका नाम सुहेल हक है. उसके पिता का नाम अब्दुल हक है. ये लोग बांग्लादेश के नोआखाली जिले के चार अल्गी गांव में रहते हैं. बच्चे के गले से हिन्दू देवी-देवता की माला नहीं निकाली गई थी. बल्कि, बच्चे के गले से मुस्लिमों द्वारा पहनी जाने वाली तावीज निकाली गई थी.”
मियाजी ने बताया, तावीज पर अक्सर कुरान या अन्य धार्मिक ग्रंथों की आयतें लिखी होती हैं, जिसे मुसलमान सुरक्षा या शिफा के लिए पहनते हैं. हालांकि, इस्लाम में ये मान्यता है कि सुरक्षा के लिए तावीज पर निर्भर होना अल्लाह पर भरोसे को कम करता है, जिसे शिर्क कहा जाता है. इसीलिए, राहत सामग्री बांटते वक्त अगर हमें कोई मुसलमान तावीज पहने नजर आता है तो हम उसे निकालकर उस व्यक्ति को शिर्क से आजाद कर देते हैं.
जब ये बच्चा हमारे पास आया था, हमने देखा कि इसने गले में तावीज पहनी हुई थी. मैंने उसे अपने दांत से काटकर निकाल दिया. यहां कोई हिन्दू-मुस्लिम का मसला नहीं है, क्योंकि उस इलाके में हिन्दू समुदाय के लोग नहीं रहते हैं. यहां सिर्फ मुस्लिम रहते हैं.”
मियाजी ने हमें बच्चे के मुस्लिम होने का सबूत देते हुए एक वीडियो भी भेजा. इस वीडियो में बच्चा अपना नाम बताते हुए कुरान की आयत पढ़ रहा है. वो कहता है, “मेरा नाम सुहेल है. मेरे पिता का नाम अब्दुल हक है. मेरा घर चार अल्गी गांव, नोआखाली जिले में है. मैं मदरसे में तीसरी जमात में पढ़ता हूँ.”
हमारी पड़ताल से साफ है कि वायरल वीडियो में मौलवी हिन्दू बच्चे के गले से माला नहीं निकाल रहा है. ये बच्चा मुस्लिम है, जिसके गले से तावीज निकाली जा रही है.
(रिपोर्ट- सुराज उद्दीन मोंडाल)