फैक्ट चेक: आधा सच ही दिखाती है किसानों पर पुलिस बर्बरता की ये वायरल तस्वीर

गांधी जयंती के दिन दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर किसानों के साथ पुलिस की बर्बरता की एक तस्वीर ने सोशल मीडिया में हलचल मचा दिया. हालांकि यह वायरल तस्वीर सब कुछ सही नहीं बता रही.

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सोशल मीडिया में यही तस्वीर वायरल हुई (फोटो-पीटीआई) सोशल मीडिया में यही तस्वीर वायरल हुई (फोटो-पीटीआई)

दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर 2 अक्टूबर को किसानों के पुलिस से टकराव के बाद किसानों का प्रदर्शन हिंसक हो उठा था. सोशल मीडिया पर प्रदर्शन के दौरान हिंसा की गवाही देती तस्वीरों को खूब शेयर किया गया.

किसानों के प्रदर्शन की ऐसी ही एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसमें एक बुजुर्ग किसान को लाठी लेकर 8 पुलिसकर्मियों का सामना करते हुए देखा जा सकता है. इस तस्वीर को कई लोगों ने सोशल मीडिया पर ये कह कर शेयर किया कि किस तरह एक बुजुर्ग किसान के खिलाफ पुलिस बेरहमी से पेश आई.

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राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य शमीना शफीक ने ट्विटर पर तस्वीर को शेयर किया. साथ ही इसे 'दिन की सबसे अधिक परेशान करने वाली तस्वीर' बताया. शमीना ने यूपी पुलिस की निंदा करते हुए उसके लिए 'कायर' शब्द तक का इस्तेमाल किया.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस तस्वीर को अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया. साथ ही लिखा कि 'विश्व अहिंसा दिवस पर BJP का दो-वर्षीय गांधी जयंती समारोह शांतिपूर्वक दिल्ली आ रहे किसानों की बर्बर पिटाई से शुरू हुआ. अब किसान देश की राजधानी आकर अपना दर्द भी नहीं सुना सकते.'

सोशल मीडिया पर ही नहीं कई अखबारों ने भी इस तस्वीर को 'किसानों के प्रदर्शन के चेहरे' के तौर पर इस्तेमाल किया.

इंडिया टुडे फैक्ट चेक टीम ने अपनी खोजबीन में पाया कि खूब शेयर की जा रही इस तस्वीर को देखने से ही इसके पीछे का पूरा सच समझ नहीं आता.

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तस्वीर को बारीकी से देखें तो पता चलता है कि बुजुर्ग किसान अकेले नहीं है. तस्वीर के बाईं तरफ देखें तो किसी और शख्स के हाथ का हिस्सा दिखाई दे रहा है. (फोटो- PTI)

मूल रूप से इस तस्वीर को न्यूज एजेंसी पीटीआई के फोटोग्राफर ने खींचा था. फोटो गैलरी को देखें तो वहां कई तस्वीरें इसी घटना के अलग-अलग पहलुओं को दिखाती हैं. अन्य तस्वीरों में बुजुर्ग किसान के पीछे कई और प्रदर्शनकारी भी खड़े देखे जा सकते हैं.

हालांकि कई तस्वीरें मौजूद होने के बावजूद यही तस्वीर वायरल हुई जिसमें बुजुर्ग शख्स को पुलिसकर्मियों के खिलाफ खड़े देखा जा सकता है.  (फोटो- PTI)

इंडिया टुडे फैक्ट चेक टीम ने इन तस्वीरों को खींचने वाले PTI फोटोग्राफर, रवि चौधरी से बात की.

क्या कहते हैं रवि चौधरी

चौधरी के मुताबिक ये घटना 2 अक्टूबर को दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर फ्लाईओवर के पास हुई. तभी ये तस्वीरें खींची गई. टॉप एंगल तस्वीरें फ्लाईओवर से तब ली गईं जब प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली की ओर बढ़ने के लिए बैरीकेडिंग तोड़ने की कोशिश कर रहे थे.  

चौधरी ने कहा, 'ये बुजुर्ग शख्स वहां अकेले मौजूद नहीं थे, वो किसानों के समूह का एक हिस्सा थे.'

जब चौधरी से पूछा गया कि पीटीआई ने यही तस्वीर क्यों मुहैया कराई जिसमें पुलिस के सामने अकेला शख्स खड़ा दिखाई दे रहा है, तो उन्होंने कहा, 'एक ही घटना के कई रूप होते हैं, ये तस्वीर असरदार दिखी, इसलिए पहले वर्शन (संस्करण) में इसे इस्तेमाल किया गया. बाद में हमने तस्वीर में मौजूद अन्य प्रदर्शनकारियों को भी दिखाया.'

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सोशल मीडिया पर शमीना शफीक समेत कई लोगों को तस्वीर ने गलतफहमी में डाला और उन्होंने पुलिसकर्मियों को यूपी पुलिस से जुड़ा समझा. हालांकि एक चश्मदीद और फोटोग्राफर रवि चौधरी ने पुलिसकर्मियों के दिल्ली पुलिस से होने की पुष्टि की.

इंडिया फैक्ट चेक टीम ने अपनी पड़ताल में पाया कि जो तस्वीर बुजुर्ग किसान पर पुलिस की बर्बरता का चेहरा बता कर वायरल हुई, दरअसल वो पूरा सच नहीं दिखाती है.

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