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फैक्ट चैक: BJP CM पर जूते फेंके जाने से जुड़ी वायरल पोस्ट पुरानी और भ्रामक

फेसबुक पर वायरल एक पोस्ट में दावा किया गया है कि हाल में बीजेपी के एक मुख्यमंत्री पर जूते फेंके गए. वायरल इन इंडिया वेबसाइट की इस पोस्ट में एक लेख का हवाला दिया गया है जिसका शीर्षक है, बीजेपी के मुख्यमंत्री को मारे गए जूते, सभी 500 लोगों पर केस दर्ज.

रघुवर दास रघुवर दास
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 3:44 PM IST

फेसबुक पर वायरल एक पोस्ट में दावा किया गया है कि हाल में बीजेपी के एक मुख्यमंत्री पर जूते फेंके गए. "वायरल इन इंडिया" वेबसाइट की इस पोस्ट में एक लेख का हवाला दिया गया है जिसका शीर्षक है-"बीजेपी के मुख्यमंत्री को मारे गए जूते, सभी 500 लोगों पर केस दर्ज."

इंडिया टुडे फैक्ट चैक ने पाया कि यह खबर पुरानी और भ्रामक है. दो साल पुरानी घटना को वेबसाइट ने इस तरह प्रकाशित किया है जैसे कि वो कोई ताजा घटना हो.   

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इस पोस्ट को यहां आर्काइव्ड "वायरल इन इंडिया" ने यह लेख  9 जनवरी 2019 को  इस कैप्शन के साथ शेयर किया- "हरकतें ही इनकी ऐसी हैं".  इस फेसबुक पेज के 10 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. ये स्टोरी लिखे जाने तक इस पोस्ट को 1450 से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका था.

"वायरल इन इंडिया" के लेख में यह दावा किया गया है कि झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास हाल में जब एक शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे, तो लोगों ने उन पर जूते फेंके.

पोस्ट पढ़ने वाले कई पाठकों ने घटना को ताजा मानते रघुबर दास और बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए कमेंट किए.

हमने पड़ताल में हमने पाया कि यह घटना 1 जनवरी 2017 की है. मुख्यमंत्री रघुबर दास तब खरसावा स्थित शहीद पार्क में आदिवासी शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे थे. इन आदिवासियों ने1 जनवरी 1948 को हुई पुलिस फायरिंग में अपनी जान गंवाई थी. जब मुख्यमंत्री दास स्मारक पर पहुंचे तो करीब 100 प्रदर्शनकारियों ने उन्हें काले झंडे दिखाए और कुछ ने उनकी दिशा में जूते भी फेंके.

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इंडिया टुडे सहित कई प्रमुख मीडिया संस्थानों ने इस घटना को रिपोर्ट किया था.

‘वायरल इन इंडिया’ ने अपने लेख में ‘वनइंडिया हिंदी’  का एक वीडियो भी एम्बेड किया है. ये भी रिपोर्ट किया गया है कि ‘500 लोगों के खिलाफ दास पर हमला करने के लिए मामला दर्ज किया गया’. हमें इसको लेकर किसी भी साख वाले मीडिया संस्थान की कोई रिपोर्ट देखने को नहीं मिली.   

इंडिया टुडे इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि ये पुरानी खबर है जिसे लोगों को भ्रमित करने के लिए ताजा घटना बनाकर प्रकाशित किया गया.

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