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फैक्ट चेक: मनगढ़ंत है कोरोना वैक्सीन से प्रति डर पैदा करने वाला ये पर्चा

भारत में कोरोना टीकाकारण शुरू हो चुका है. एक बड़े वर्ग को जहां टीकाकरण से उम्मीद बंधी है, वहीं कई लोग वैक्सीन को लेकर सशंकित भी हैं. कई देशों की तरह भारत में भी ऐसी खबरें आई ​हैं जिसमें स्वास्थ्यकर्मियों ने कोरोना का टीका लगवाने से मना कर दिया.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
कुंवारी लड़कियों, डायबिटीज के मरीजों और शराब-सिगरेट पीने वालों को कोरोना की वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए.
सच्चाई
स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस में ऐसा कहीं नहीं लिखा कि कुंवारी लड़कियों, डायबिटीज के मरीजों और शराब-सिगरेट पीने वाले लोगों को कोरोना वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए.
ज्योति द्विवेदी
  • नई दिल्ली,
  • 22 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 10:09 PM IST

भारत में कोरोना टीकाकारण शुरू हो चुका है. एक बड़े वर्ग को जहां टीकाकरण से उम्मीद बंधी है, वहीं कई लोग वैक्सीन को लेकर सशंकित भी हैं. कई देशों की तरह भारत में भी ऐसी खबरें आई ​हैं, जिसमें स्वास्थ्यकर्मियों ने कोरोना का टीका लगवाने से मना कर दिया.

आपात स्थितियों में तैयार की गई कोरोना की वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स की बहस सारी दुनिया में छिड़ी हुई है. ऊहापोह के इस माहौल में सोशल मीडिया पर एक पर्चा शेयर किया रहा है जिसमें हिदायत दी गई है कि किन-किन स्थितियों में कोरोना वैक्सीन ‘नहीं’लगवानी चाहिए. इसमें लिखा है-

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“(1) अविवाहित युवतियाँ टीके से दूर रहें, (विवाह बाद संतानहीनता)
(2) बच्चों को इससे दूर रखें, (भविष्य में अनेक बीमारियाँ संभव)
(3) जिन्हें कभी निमोनिया, अस्थमा, या ब्रोंकाईटीज जैसे श्वसन तंत्र सम्बन्धी बीमारियाँ थीं, (साइड इफ़ेक्ट में मौत संभव)
(4) शराब, सिगरेट, तम्बाकू का सेवन करने वाले, (कैंसर की संभावना)
(5) मानसिक व न्यूरल समस्याओं के मरीज, (बीमारी बढ़ सकती है)
(6) डायबिटीज के मरीज भूल कर भी न लगवाएं. (हल्के साइड इफ़ेक्ट में भी मौत संभव)”

इस पर्चे में नीचे की तरफ कुछ डॉक्टरों के नाम ​भी लिखे हैं. इसमें साफ तौर पर वैक्सीन से दूर रहने की हिदायत दी गई है और दावा किया गया है कि वैक्सीन कंपनियों ने सरकार को मोटी रिश्वत दी है जिस वजह से वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स की बात ​छुपाई जा रही है. पर्चे में ये भी कहा गया है कि किसान आंदोलन और नेताओं की रैलियों से ये बात साबित हो गई है ​कि महामारी जैसी कोई चीज नहीं है.

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इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि पर्चे में लिखी ज्यादातर बातें भ्रामक हैं जिनका कोई प्रमाण नहीं है. भारत सरकार और वैक्सीन कंपनियां- दोनों ने ही वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स और किसे नहीं लगवानी चाहिए, इसे लेकर गाइडलाइंस जारी की हैं. हालांकि, ये सच है कि वैक्सीन के दूरगामी परिणामों को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है.  

फेसबुक पर ये दावा काफी वायरल है.

एक-एक कर इस पर्चे में किए जा रहे दावों की सच्चाई जानते हैं.

दावा 1: अविवाहित युवतियों को वैक्सीन लगवाने पर शादी के बाद उन्हें संतानहीनता की समस्या हो सकती है.  

सच्चाई: वैक्सीन किसे नहीं लगवानी चाहिए, इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा ‘सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया’ और ‘भारत बायोटेक’ ने भी बाकायदा फैक्ट शीट जारी की है. इनमें कहीं भी ऐसा नहीं लिखा कि अविवाहित युवतियों को वैक्सीन से बचना चाहिए या इससे प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है.

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के निदेशक वीजी सोमानी ने हाल ही में बयान दिया था कि कोविड वैक्सीन लगवाने के बाद हल्के बुखार, दर्द और एलर्जी जैसे छोटे-मोटे साइड इफेक्ट तो हो सकते हैं, लेकिन इसके प्रजनन क्षमता प्रभावित करने की बात कोरी बकवास है.

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दावा 2: बच्चों को कोरोना वैक्सीन से दूर रखें क्योंकि इससे भविष्य में उन्हें बीमारियां हो सकती हैं.

सच्चाई: वर्तमान में कोरोना वैक्सीन सिर्फ 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही लगाई जा रही है. भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस में ये साफ लिखा है.

एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने हाल ही में बयान दिया है कि भारत बायोटेक कंपनी एक स्प्रे वैक्सीन की अनुमति लेने की कोशिश कर रही है. अगर ये अनुमति मिल जाती है तो बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए उनका टीकाकरण आसानी से किया जा सकेगा. ‘इंडिया टुडे’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैक्सीन कंपनियां बच्चों की वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल कर रही हैं और इस साल के अंत तक ये वैक्सीन आ सकती हैं.

दावा 3: जिन लोगों को कभी निमोनिया, अस्थमा, या ब्रॉन्काइटिस जैसी श्वसन तंत्र संबंधी बीमारियां रह चुकी हों, उन्हें वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए. इससे उनकी मौत भी हो सकती है.

सच्चाई: न तो स्वास्थ्य मंत्रालय ने श्वसन तंत्र संबंधी बीमारियों के मरीजों को वैक्सीन लेने से रोका है, न ही ऐसा कोई शोध सामने आया है. जिन कंपनियों की वैक्सीन वर्तमान में लगाई जा रही है, उन्होंने भी ऐसी कोई बात नहीं कही है.

हमें ब्रिटिश लंग फाउंडेशन की एक रिपोर्ट मिली जिसमें बताया गया है कि फेफड़े की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए कोरोना वैक्सीन सुरक्षित है.

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दावा 4: शराब, सिगरेट, तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों को कोरोना की वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए. इससे उन्हें कैंसर हो सकता है.

सच्चाई: रूस और ब्रिटेन में विशेषज्ञों ने हाल ही में ऐसा बयान दिया था कि कोरोना वैक्सीन लेने से कुछ वक्त पहले और कुछ वक्त बाद तक शराब नहीं पीनी चाहिए. लेकिन ऐसा अब तक किसी शोध में नहीं कहा गया है कि जो लोग शराब, सिगरेट या तंबाकू का सेवन करते हैं, उन्हें कोरोना वैक्सीन लगवानी ही नहीं चाहिए.

अमेरिका में तो धूम्रपान करने वालों को वैक्सि‍नेशन में प्राथमिकता दी जा रही है.

दावा 5: मानसिक समस्याओं के मरीजों को वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए क्योंकि इससे उनकी समस्या बढ़ सकती है.

सच्चाई: सितंबर माह में ब्रिटिश-स्वीडिश वैक्सीन कंपनी एस्ट्राजेनेका को अपना ट्रायल रोकना पड़ा था, जब एक महिला के शरीर में न्यूरल यानी तंत्रिका तंत्र से जुड़े कुछ लक्षण नजर आए थे.

दुनिया भर में वैक्सिनेशन शुरू होने के बाद ऐसे और भी मामले सामने आए हैं जिनमें वैक्सीन लेने के बाद लोगों ने मानसिक समस्या होने का आरोप लगाया है.

हालांकि, भारत या किसी अन्य देश में मानसिक समस्या से पीड़ित लोगों को कोरोना वैक्सीन लेने से मना किए जाने की कोई रिपोर्ट हमें नहीं मिली.

दावा 6: डायबिटीज के मरीजों को कोरोना वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए क्योंकि इससे उनकी मौत तक हो सकती है.

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सच्चाई: हमें किसी भी सरकारी वेबसाइट या विश्वसनीय न्यूज रिपोर्ट में ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों को कोरोना वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए. इसके ठीक उलट, हमें एक ऐसी रिपोर्ट मिली जिसमें कहा गया है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों को कोरोना वायरस की वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए.

पर्चे में इस्तेमाल लोगो का राज

एक वेबसाइट पर हमें ठीक वैसा ही लोगो मिल गया, जो वायरल पर्चे   में नजर आ रहा है. हमने पाया कि वायरल पर्चे में www.coronakaal.tv नाम की जिस वेबसाइट का जिक्र है, उसमें ऐसे कई वीडियो हैं जिनमें कोरोना बीमारी को षडयंत्र करार दिया गया है.

ये दोनों ही वेबसाइट डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी की हैं. आजतक से बातचीत में उनकी टीम के एक सदस्य ने हमें बताया कि वायरल पर्चा उनकी संस्था ने नहीं जारी किया है. इसमें बिना डॉ चौधरी की अनुमति लिए उनके नाम, लोगो और वेबसाइट का इस्तेमाल किया गया है.

हमें डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी की वेबसाइट कोरोनाकाल टीवी के ट्विटर हैंडल पर एक बयान भी मिला जिसमें कोरोना बीमारी और इसकी वैक्सीन को षडयंत्र बताया गया है.

भारत में कोरोना टीकाकरण के पहले चरण के तहत अभी ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ की वैक्सीन कोविशील्ड और ‘भारत बायोटेक’कंपनी की वैक्सीन कोवैक्सीन लगाई जा रही है. कोरोना वैक्सीन किसे नहीं लगवानी चाहिए और इसके साइड इफेक्ट क्या-क्या हैं, इससे जुड़ी एक रिपोर्ट हाल ही में इंडिया टुडे वेबसाइट में छपी थी.  

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अमूमन एक वैक्सीन को बनाने में कई साल लगते हैं, पर कोरोना की वैक्सीन आपात स्थिति में बनाई गई है. इसके दूरगामी साइड इफेक्ट क्या होंगे, इस पर अभी शोध चल रहा है.

लेकिन ये स्पष्ट है कि वायरल पर्चे में लिखी ज्यादातर बातें मनगढ़ंत हैं और इनका वर्तमान में कोई प्रमाण नहीं है. इसे कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में डर पैदा करने के मकसद से शेयर किया जा रहा है.

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