प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 नवंबर को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) कैंपस में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण किया. उसके बाद से ही बीजेपी के कुछ नेता ये मांग कर रहे हैं कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद के नाम पर कर दिया जाना चाहिए.
इस मामले पर छिड़ी बहस के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है जिसमें लोग भगवा झंडा लहराते हुए पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के खिलाफ ये प्रदर्शन जेएनयू में हुआ.
वीडियो के साथ कैप्शन लिखा है, “JNU में लहराया भगवा. खून उबाल देने वाला वीडियो. नीम का पत्ता कड़वा है पाकिस्तान *** हैं. जिसको चाहिए अफजल खान उसको भेजो पाकिस्तान. JNU भी गूंज रहा है जय श्री राम के नारों से. आज जेएनयू में जब जय श्री राम का उद्घोष हुआ तो टुकड़े टुकड़े गैंग की आवाज़ अपने आप बन्द हो गई!”
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल वीडियो न तो हाल-फिलहाल का है और न ही इसका जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से कोई लेना-देना है. ये वीडियो कम से कम दो साल पुराना है और महाराष्ट्र स्थित ठाणे का है.
फेसबुक पर ये दावा काफी वायरल है.
क्या है सच्चाई
वायरल वीडियो में कोई भी व्यक्ति मास्क पहने नहीं नजर आ रहा, जो इस बात का पहला सबूत है कि ये वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं हो सकता.
वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर ये हमें ‘Viral Duniya Network’ नाम के एक यूट्यूब चैनल पर मिला, जहां इसे 5 अक्टूबर 2019 को अपलोड किया गया था. यहां, इसके साथ कैप्शन लिखा है, “नीम का पत्ता कड़वा है...पाकिस्तान *** है. Bajrangdal rally in Thane!”
‘Say "No" To Sold Media’ नाम के फेसबुक पेज पर भी ये वीडियो 2 अक्टूबर 2018 को ठाणे का बताते हुए शेयर किया गया था.
कीवर्ड के जरिये सर्च करने पर हमें ‘हिंदू जागृति मंडल’ नामक संस्था के यूट्यूब चैनल पर साल 2018 के गणेश विसर्जन के ऐसे कई वीडियो मिले जिनमें पाकिस्तानी विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं. इन वीडियोज में नारे लगाने वाले मुख्य व्यक्ति की आवाज भी वायरल वीडियो से काफी मेल खाती है. साथ ही, लोगों के कपड़े, झंडों का आकार और लोकेशन भी काफी हद तक मेल खा रही है. साथ ही, वायरल वीडियो की ही तरह, इनमें भी लोग गुलाल से रंगे हुए हैं और ये रात के वक्त शूट किए गए हैं.
‘बूमलाइव’ वेबसाइट से बातचीत करते हुए ‘हिंदू जागृति मंडल’ के पदाधिकारी ने स्वीकार किया कि ये वीडियो उनकी संस्था के गणपति विसर्जन कार्यक्रम का है. उन्होंने ये भी बताया कि उनकी संस्था के गणपति विसर्जन में अकसर पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए जाते हैं क्योंकि इससे लोगों का उत्साह बढ़ता है.
हमें वायरल वीडियो को रिकॉर्ड किए जाने का एकदम सटीक दिन तो नहीं पता लगा लेकिन हमने पाया कि ज्यादातर जगहों पर इसे सितंबर 2018 में शेयर किया गया था. इस बात की पूरी संभावना है कि ये वीडियो 2018 में गणेश विसर्जन का हो सकता है.
वीडियो में जिस तरह लोग गुस्से में पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगा रहे हैं, उससे भी यही लगता है कि ये वीडियो सितंबर 2018 का होगा. गौरतलब है कि सितंबर 2018 में पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत के एक बीएसएफ जवान का गला काट दिया था जिसको लेकर पूरे देश में गुस्से की लहर फैल गई थी. इसी दौरान जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवादियों ने तीन पुलिसवालों का अपहरण करके उन्हें गोली मार दी थी. इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव अचानक चरम पर पहुंच गया था. हालात यहां तक आ पहुंचे थे कि भारत ने पहले से तय भारत-पाक विदेश मंत्रियों की बैठक को रद्द कर दिया था. ‘द वीक’ की इस रिपोर्ट में इन घटनाओं के बारे में पढ़ा जा सकता है. ऐसा हो सकता है कि वीडियो में पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी इसी संदर्भ में की जा रही हो.
ये बात स्पष्ट है कि वायरल वीडियो कम से कम दो साल पुराना है और जेएनयू, दिल्ली का नहीं बल्कि महाराष्ट्र के ठाणे शहर का है.