डिजिटल पेमेंट भारत में पहले से ही काफी लोकप्रिय हो रहा था. कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने इसमें और भी तेजी ला दी. डिजिटल पेमेंट का फायदा ये है कि आप बिना संपर्क, बस मोबाइल फोन के एक क्लिक के जरिए किसी के भी अकाउंट में पैसे भेज सकते हैं. डिजिटल पेमेंट के लिए गूगल पे, फोन पे और पेटीएम समेत तमाम एप्स लोकप्रिय हैं. ये सभी एप्स एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने के लिए यूपीआई का इस्तेमाल करते हैं, जिसका नाम है ‘यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस’. यूपीआई को चलाने वाली संस्था का नाम ‘नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया’ (NPCI) है.
ये तरीका लोगों को कितना पसंद है, इसका अंदाज आप इस बात से लगा लीजिए कि भारत में अब हर महीने तकरीबन 200 करोड़ यूपीआई लेन-देन हो रहे हैं.
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया और कुछ वेबसाइट्स पर ये खबर आई है कि 1 जनवरी से यूपीआई के जरिए पैसा भेजने पर अतिरिक्त चार्ज देना होगा.
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि अगले साल से यूपीआई पेमेंट में चार्ज लगने की बात बेबुनियाद है. NPCI ने भी इसका खंडन किया है.
अमर उजाला और जी न्यूज जैसी कई न्यूज वेबसाइट्स ने भी नए साल में यूपीआई महंगा होने की खबर चलाई. हालांकि, अमर उजाला ने बाद में इसे संशोधित कर दिया. इन दोनों खबरों का आर्काइव्ड वर्जन यहां और यहां देखा जा सकता है.
ट्विटर पर भी कई लोग ये दावा कर रहे हैं.
क्या है सच्चाई
‘नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया’ ने एक ट्वीट के जरिए अगले साल से यूपीआई लेनदेन पर चार्ज लगने की खबर को कोरी अफवाह बताया है.
सरकार के सूचना विभाग पीआईबी ने भी नए साल से यूपीआई लेन-देन के महंगे होने की बात को गलत ठहराया है.
‘गूगल पे’ का इनकार
एक ट्विटर यूजर ने यूपीआई संबंधी एप ‘गूगल पे’ से सवाल किया कि क्या वह 1 जनवरी 2021 से पैसों के लेनदेन के एवज में चार्ज वसूलने की तैयारी में है? ‘गूगल पे’ के आधिकारिक हैंडल से इसका जवाब दिया गया, “पैसों के लेन-देन पर शुल्क वसूलने की योजना यूएस से संबंधित है. भारत में चल रहे ‘गूगल पे’ या ‘गूगल पे फॉर बिजनेस’ एप्स से इसका कोई लेना-देना नहीं है.”
सभी यूपीआई एप को बराबर मौका देने की कवायद
वैसे तो यूपीआई के जरिए लेन-देन करने वाले बहुत से एप हैं, लेकिन गूगल पे और फोन पे का इस पर दबदबा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, यूपीआई के जरिए कुल लेन-देन का 82 फीसदी इन्हीं दोनों एप के जरिए होता है. इसलिए NPCI की कोशिश है कि किसी एक यूपीआई प्रोवाइडर के पास एकाधिकार न हो और सबको बराबर मौका मिले. 5 नवंबर को जारी एक प्रेस रिलीज के जरिये NPCI ने कहा है कि 1 जनवरी 2021 से हर यूपीआई सर्विस प्रोवाइडर को कुल यूपीआई लेन-देन के 30 प्रतिशत लेनदेन की ही इजाजत होगी.
क्या होगा 30 प्रतिशत की सीमा पार होने के बाद?
जब किसी एप के लेन-देन में 30 प्रतिशत की सीमा पार हो जाएगी, उस सूरत में क्या होगा? ये जानने के लिए आजतक ने NPCI की पब्लिक रिलेशन टीम से संपर्क किया. टीम के एक सदस्य ने हमें बताया कि 30 प्रतिशत की सीमा पार होने के बाद की स्थित को लेकर अभी मंथन चल रहा है. इस बारे में कोई ठोस निर्णय अभी नहीं लिया गया है. इस तरह पड़ताल से ये साफ है कि इस साल की तरह अगले साल भी यूपीआई लेन-देन मुफ्त ही रहेगा.