सोशल मीडिया पर कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि डब्लूएचओ ने यू-टर्न लेते हुए कोरोना वायरस को एक सामान्य मौसमी वायरस घोषित कर दिया है. ऐसा कहने वाले लोग सबूत के तौर पर एक इवेंट के वीडियो को डब्लूएचओ की प्रेस कॉन्फ्रेंस बताते हुए शेयर कर रहे हैं. इस वीडियो में एक महिला इम्यूनोलॉजी की प्रोफेसर डोलोसर कहिल के तौर पर अपना परिचय देती है. साथ ही, ये भी बताती है कि वो ‘वर्ल्ड डॉक्टर्स एलाएंस’ संगठन की प्रेसिडेंट भी है. आगे वो कहती हैं, “एक अच्छी खबर है. कोरोना वायरस एक मौसमी वायरस है जो दिसंबर से अप्रैल तक लोगों को संक्रमित करता है.”
इस वीडियो को शेयर करते हुए एक फेसबुक यूजर ने कैप्शन लिखा, “डबल्यू.एच.ओ ने अपनी गलती मानी. पूरी तरह से यू-टर्न लेते हुए कहा है कि कोरोना एक सीजननल वायरस है यह मौसम बदलाव के दौरान होने वाला खांसी जुकाम गला दर्द है इससे घबराने की जरूरत नहीं. डब्ल्यू.एच.ओ अब कहता है कि कोरोना रोगी को न तो अलग रहने की जरूरत है और न ही जनता को सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत है. यह एक मरीज से दुसरे व्यक्ति में भी संचारित नहीं होता. देखिये WHO की प्रैस कांफ्रेंस.”
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ‘वर्ल्ड डॉक्टर्स एलाएंस’ संगठन के इवेंट का है, न कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस का. कोविड-19 महामारी फैलने का कारण बने कोरोना वायरस के मौसमी वायरस होने का फिलहाल कोई प्रमाण नहीं है.
फेसबुक और ट्विटर दोनों जगह ये वीडियो खूब शेयर हो रहा है.
क्या है सच्चाई
इनविड टूल की मदद से वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर ये वीडियो हमें कुछ वेबसाइट्स पर मिले. हमने पाया कि बहुत सारी जगहों पर इसे ‘वर्ल्ड डॉक्टर्स एलाएंस’ संगठन के आयोजन का बताकर प्रकाशित किया गया है. वायरल वीडियो में माइक पर बोल रही महिला भी इसी संगठन का नाम ले रही थी.
‘वर्ल्ड डॉक्टर्स एलाएंस’ संस्था की वेबसाइट के मुताबिक, ये दुनिया भर के डॉक्टरों और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स का एक ऐसा समूह है जो कोविड महामारी के बाद लगाए गए लॉकडाउन से होने वाले नुकसान पर चर्चा के लिए बना था. फेसबुक पर किए गए इस संस्था के वीडियोज को कई फैक्ट चेक संस्थाएं भ्रामक बता चुकी हैं.
इस संस्था ने अपने फेसबुक पेज पर 4 नवंबर 2020 को एक वीडियो पोस्ट किया था. वायरल हो रहा 30 सेकंड का वीडियो इसी वीडियो का अंश है.
अब बात करते हैं वीडियो के साथ उठाए जा रहे सवालों की. पहला सवाल ये है कि क्या विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 से बचने के लिए अब सोशल डिस्टेंसिंग को गैर-जरूरी बता दिया है?
जवाब है, नहीं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अगर आप कोविड-19 बीमारी से पीड़ित किसी व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो ये वायरस आपको भी संक्रमित कर सकता है. भीड़भाड़ वाली जगहों पर ये सबसे आसानी से फैलता है. आप घर के अंदर हों या बाहर, दूसरों से हमेशा कम से कम एक मीटर की दूरी बनाकर रखनी चाहिए. डब्लूएचओ ने 2 जून 2021 को एक बेहद दिलचस्प एनिमेशन वीडियो के जरिये ये बातें समझाईं. ये वीडियो नीचे देखा जा सकता है.
दूसरा सवाल ये कि क्या कोविड-19 बीमारी फैलाने वाला कोरोना वायरस मौसमी वायरस है?
वर्तमान में इसका भी जवाब है, नहीं. इस सवाल का जवाब देते हुए पिछले साल डब्लूएचओ ने कहा था कि कोविड-19 बीमारी फैलाने वाले कोरोना वायरस को मौसम प्रभावित नहीं करता है.
लेकिन कोरोना वायरस कई तरह के होते हैं. अंतरराष्ट्रीय साइंस जर्नल ‘नेचर’ के मुताबिक चार तरह के कोरोना वायरस ऐसे भी हैं जो मौसमी होते हैं.
कोविड-19 बीमारी ‘SARS-CoV-2’ नाम के कोरोना वायरस से होती है. इसे अभी तक मौसमी नहीं पाया गया है. लेकिन, कुछ रिसर्चर्स का अनुमान है कि कुछ सालों बाद जब दुनिया के ज्यादातर लोगों में इस वायरस के प्रति इम्यूनिटी विकसित हो जाएगी, उसके बाद ऐसा हो सकता है कि ये वायरस भी मौसमी हो जाए. इस तरह के अनुमानों से जुड़ी एक रिपोर्ट हाल ही में ‘इंडिया टुडे’ ने छापी थी.
इससे पहले ‘रॉयर्टर्स’ वेबसाइट भी इस वायरल वीडियो की जांच कर चुकी है.
हमारी पड़ताल से ये बात साफ हो जाती है कि ‘वर्ल्ड डॉक्टर्स एलाएंस’ नाम की संस्था के एक वीडियो को विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रेस कॉन्फ्रेंस बताया जा रहा है. खबर लिखे जाने तक डब्लूएचओ ने न तो कोविड-19 बीमारी फैलाने वाले कोरोना वायरस को मौसमी वायरस बताया है और न ही इससे बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को गैर-जरूरी ठहराया है. (श्रेय बनर्जी के इनपुट के आधार पर)