इन दिनों सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक रंग में रंगी, मॉब लिंचिंग से जुड़ी पोस्ट ज्यादा देखने को मिल रही हैं. ताजा वायरल एक वीडियो में एक वृद्ध को बिना शर्ट के भीड़ के बीच कभी हाथ जोड़ते तो कभी नाचते हुए देखा जा सकता है. महज 10 सेकेंड के इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि भीड़ ने पहले इस वृद्ध ब्राह्मण के कपड़े उतरवाए, जनेऊ काटा फिर नाचने पर मजबूर किया.
ट्विटर यूजर Dev Oza ने इस वीडियो को पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा, 'एक वृद्ध ब्राह्मण की पहले यग्योपवित (जनेऊ) काटी फिर कपड़े उतार कर भीड़ ने डांस करने के लिए मजबूर किया. यह स्थिति है दक्षिण के @INCIndia शासित राज्यों की, @RahulGandhi जी क्या यह अल्पसंख्यक ब्राह्मणों के साथ मोब लिंचिंग नहीं है?' उसने इस पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को भी टैग किया है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल हो रहा दावा भ्रामक है. ना ही इस बुजुर्ग को प्रताड़ित किया गया और ना ही इसे पीटा गया. वह स्वेच्छा से भीड़ के बीच डांस कर रहा था.
यह पोस्ट फेसबुक पर भी वायरल है.
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि डांस कर रहे बुजुर्ग के आसपास खड़े कुछ लोग काले कपड़े पहने हुए हैं और उनके हाथ में काले रंग के झंडे हैं जिस पर मशहूर तमिल समाज सुधारक ईवी रामासामी की तस्वीर छपी हुई है. रामासामी पेरियार के नाम से मशहूर हैं.
इंटरनेट पर तमिल में अलग अलग कीवर्ड्स के साथ सर्च करने पर हमने पाया कि 26 जून को तमिल वेबसाइट YouTurn ने इस वीडियो का फैक्ट-चेक किया था.
वेबसाइट ने यूट्यूब चैनल ‘Karuppar Koottam’ से इस वीडियो का करीब 1.37 मिनट लंबा वर्जन खोजा था जिसे 24 जून को अपलोड किया गया था. इस पूरे वीडियो में देखा जा सकता है कि इस बुजुर्ग को एक बार भी परेशान नहीं किया गया और न ही भीड़ ने उन्हें पीटा. यह आदमी खुद ही उनके साथ डांस कर रहा था. पूरी वीडियो में उनका जनेऊ उनके गले में ही दिखाई दिया.
इतना ही नहीं, वीडियो के अंत में यह बुजुर्ग ड्रमर से हाथ मिलाता और मुस्काता हुआ भी दिखाई दिया. वहीं, फैक्ट चेक वेबसाइट BoomLive ने भी पुष्टि की, कि मे डे के अवसर पर कांचीपुरम में पेरियार स्टेच्यू के पास यह आयोजन किया गया था.
पेरियार 'फादर ऑफ द्रविड़ियन मूवमेंट' कहलाते हैं. उन्होंने 20वीं शताब्दी में तमिलनाडु में ब्राह्मणों के प्रभुत्व, जाति-पाति और महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ सराहनीय कार्य किए थे.
उधर करुप्पर कूट्टम ने भी अपने फेसबुक पेज पर वायरल वीडियो क्लिप के साथ फैलाए जा रहे गलत संदेश की निंदा की. पड़ताल में स्पष्ट हुआ कि बुजुर्ग ब्राह्मण के साथ मारपीट और अभद्रता का यह दावा पूरी तरह गलत है.