किसान आंदोलन को अब 50 दिन से ऊपर हो चुके हैं. 20 जनवरी को किसानों और सरकार के बीच दसवें दौर की बातचीत होगी. इस बीच सोशल मीडिया पर एक चौंकाने वाला वीडियो शेयर हो रहा है जिसमें अनाज की सैकड़ों बोरियों से घिरा एक आदमी पाइप से धार मारते हुए उन पर पानी डाल रहा है.
इस वीडियो के साथ कहा जा रहा है कि जिस अनाज पर सरकार सब्सिडी दे रही है, वो जानबूझकर सड़ाया जा रहा है ताकि उसे सस्ते दामों पर शराब बनाने वाली फैक्ट्रियों को बेचा जा सके.
एक ट्विटर यूजर ने ये वीडियो शेयर करते हुए अंग्रेजी में कैप्शन लिखा, जिसका हिंदी अनुवाद है, “ये नजारा है पंजाब का, जहां एमएसपी पर गेहूं खरीदने के बाद उसकी बोरियों पर जानबूझकर पानी छिड़का जाता है, ताकि गेहूं सड़ जाए. इसके बाद ये सड़ा हुआ गेहूं शराब फैक्ट्रियों को बेच दिया जाता है. यही फाइव स्टार किसान दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं. सब पैसे का खेल है.”
भारतीय जनता पार्टी के यूथ विंग के नेता सौरभ चौधरी ने इस वीडियो को रीट्वीट करते हुए लिखा, “ये आंदोलन की एक बड़ी वजह है. रणदीप सुरजेवाला जी, क्या आप इसे समझा सकते हैं?”
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर अनाज की बोरियों पर पानी डालते आदमी का जो वीडियो वायरल है, वो दो साल पुराना है और हरियाणा का है. हालांकि, ये बात सच है कि पंजाब में ऐसे वाकये हो चुके हैं जब सरकारी गोदामों में गेहूं के सड़ जाने की वजह से उसे शराब फैक्ट्रियों में बेचना पड़ा था.
फेसबुक पर भी ये दावा काफी वायरल है. वीडियो पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा, “तभी इन अमीर किसानों को एमएसपी से इतना प्यार है!”. एक अन्य यूजर ने लिखा, “डबल फायदा चाहिए इन्हें. पहला एमएसपी और दूसरा शराब फैक्ट्रियों से मिलने वाला मुनाफा.”
क्या है सच्चाई
हमने इनविड टूल की मदद से वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स निकाले और उन्हें रिवर्स सर्च किया. हमने पाया कि साल 2018 में ये वीडियो कई लोगों ने फेसबुक पर शेयर किया था. इससे ये बात साफ हो जाती है कि ये वीडियो वर्तमान किसान आंदोलन से जुड़ा नहीं है बल्कि बहुत पहले से इंटरनेट पर मौजूद है.
कीवर्ड सर्च के जरिये तलाशने पर हमें ‘एबीपी सांझा’ की 8 मई 2018 की एक वीडियो रिपोर्ट मिली, जिसमें इस वीडियो के बारे में विस्तार से बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, वीडियो हरियाणा के फतेहाबाद का है. ये मामला फतेहाबाद अनाज मंडी की जिस दुकान से संबंधित था, वो इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) पार्टी के नेता कुलजीत कुलड़िया की थी. ऐसा आरोप है कि गेहूं की बोरियों का वजन बढ़ाकर ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए ऐसा किया जा रहा था.
हमें ऐसी कई मीडिया रिपोर्ट मिलीं जिनमें पंजाब के सरकारी गोदामों में गेहूं सड़ने के चलते उसके शराब फैक्ट्रियों को बेचे जाने की बात है. 28 फरवरी 2020 को छपी ‘पंजाब केसरी’ की एक रिपोर्ट में लिखा है कि पंजाब एग्रो फूडग्रेन्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएएफसीएल) और पंजाब स्टेट वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन (पीएसडब्लूसी) के कुप्रबंधन और लापरवाही की वजह से पिछले चार सालों में 607 करोड़ कीमत का गेहूं सड़ गया. ये खुलासा पंजाब विधानसभा में पेश एक कैग रिपोर्ट में किया गया था. रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि सड़े हुए गेहूं को नीलाम कर दिया जाता है जिसे ज्यादातर मामलों में शराब बनाने वाली कंपनियां खरीद लेती हैं. ‘द ट्रिब्यून’ ने भी इससे संबंधित एक रिपोर्ट छापी थी.
‘एनडीटीवी इंडिया’ की 2016 की एक रिपोर्ट में एक ऐसी घटना का जिक्र है जब पंजाब के खाद्य भंडारण अधिकारियों पर जानबूझकर अनाज सड़ाने का आरोप लगा था. इसमें सरकारी अधिकारियों के चारे की कंपनियों और शराब की कंपनियों से साठगांठ की बात थी.
‘द ट्रिब्यून’ की फरवरी 2020 में छपी एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब के मुख्यमंत्री ने बीते साल बंद अनाज गोदामों के निर्माण के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी थी.
पड़ताल से साफ है कि दो साल पुराने वीडियो को किसान आंदोलन से जोड़कर भ्रम फैलाया जा रहा है.