फैक्ट चेक: शिक्षक की हत्या के बाद फ्रांस में मुसलमानों पर अत्याचार नहीं दिखाता है यह वीडियो

सोशल मीडिया पर एक दिल दहला देने वाला वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक इमारत के अंदर जमीन पर लेटे कुछ लोगों को पुलिसवाले खींचकर बाहर निकाल रहे हैं. पुलिस की इस हरकत का विरोध करते हुए लोग चिल्ला रहे हैं और दहशत में हैं.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
फ्रांस ने मुसलमानों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है जिस वजह से वहां की पुलिस ने एक मस्जिद से जबरन उन्हें निकाल दिया.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
वायरल वीडियो साल 2017 का है जब पेरिस के क्लिशी में पुलिस ने एक सरकारी प्रार्थना हॉल से मुसलमानों को बाहर निकाला था, क्योंकि वहां लाइब्रेरी बनाने की बात चल रही थी.
ज्योति द्विवेदी
  • नई दिल्ली,
  • 11 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:18 PM IST

सोशल मीडिया पर एक दिल दहला देने वाला वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक इमारत के अंदर जमीन पर लेटे कुछ लोगों को पुलिसवाले खींचकर बाहर निकाल रहे हैं. पुलिस की इस हरकत का विरोध करते हुए लोग चिल्ला रहे हैं और दहशत में हैं. 

वीडियो के साथ कैप्शन लिखा है, “फ्रांस ने मुसलमानों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है. पे​रिस और एन्हालू स्थित ‘द ग्रेट मॉस्क आफ क्लिशी’ पर जबरन कब्जा कर लिया गया है. मुसलमानों से मारपीट की जा रही है. उन्हें अपनी दुआओं में याद रखें.”

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फ्रांस में पिछले दिनों एक शिक्षक का सिर कलम करने के कुछ दिनों बाद वहां के नाइस शहर में एक महिला का सिर काट दिया गया था और दो अन्य लोगों की हत्या कर दी गई थी.

इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि ये दावा भ्रामक है. सोशल मीडिया पर शेयर ​हो रहा वीडियो साल 2017 की एक घटना का है जिसमें पेरिस के क्लिशी इलाके में पुलिस ने एक सरकारी बिल्डिंग में बने प्रार्थना हॉल से मुस्लिमों को बाहर निकाला था.

सोशल मीडिया पर यह वीडियो काफी वायरल है. ट्विटर पर भी लोग इसे शेयर कर रहे हैं.    

बहुत सारे लोग इस वीडियो को असली मान कर शेयर कर रहे हैं. एक यूजर ने इस पर कमेंट करते हुए लिखा, ‘फ्रांस का बहिष्कार करो!’

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क्या है सच्चाई

हमने पाया कि सोशल मीडिया पर शेयर हो रहा वीडियो पेरिस के उत्तरपूर्वी इलाके में ​स्थित क्लिशी नामक जगह में हुई साल 2017 की एक घटना का है. 22 मार्च 2017 को वहां पुलिस ने एक सरकारी इमारत में बने प्रार्थना हॉल से मुसलमानों को जबरन निकाला था.

दरअसल, प्रशासन की योजना इस इमारत में एक लाइब्रेरी बनाने की थी. मुसलमानों के इबादत करने के लिए करीब 1.5 किलोमीटर दूर एक मस्जिद बनवाई गई थी. लेकिन प्रशासन का ये प्रस्ताव कई मुसलमानों ने यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि वहां की जगह छोटी है और वहां तक पहुंचने के लिए पर्याप्त यातायात के साधन नहीं मिलते. इस बात को लेकर मुसलमानों ने विरोध-प्रदर्शन भी किए थे.

इनविड टूल की मदद से हमने वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स निकाले और उन्हें रिवर्स सर्च किया तो ये वीडियो हमें एक यूट्यूब चैनल पर मिला. यहां इसे 23 मार्च 2017 को अपलोड किया गया था. वायरल वीडियो जहां काफी धुंधला है, वहीं यूट्यब पर मौजूद वीडियो स्पष्ट है. यहां वीडियो के साथ फ्रेंच भाषा में कैप्शन लिखा है, जिसका हिंदी अनुवाद है, “दिल दहलाने वाला वीडियो! क्लिशी-ला-गैरेन में मस्जिद को जबरन खाली करवा लिया गया!”

दोनों वीडियोज में हमें कई समानताएं नजर आईं.

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इस घटना के बारे में फ्रेंच मीडिया वेबसाइट ‘20 मिनट्स’ और ‘याहू न्यूज’ में खबरें भी प्रकाशित हुई थीं.

इससे पहले एएफपी की वेबसाइट भी इस वीडियो की सच्चाई बता चुकी है.

ये बात साफ है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि पुराना है. इसमें पुलिस मुस्लिमों को एक प्रार्थना हॉल से इसलिए निकालती नजर आ रही है क्योंकि उसमें प्रशासन एक लाइब्रेरी बनाना चाहता था.

 

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