क्या गुजरात के एक मंदिर में लॉकडाउन का फायदा उठाकर नोट छापने का धंधा चल रहा था? एक फेसबुक पोस्ट में तो ऐसा ही दावा किया गया है. हाल ही में वायरल इस पोस्ट में कहा गया है कि जब पूरा देश कोरोना वायरस से जूझ रहा है, गुजरात के एक मंदिर में नकली नोट छापने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है.
फेसबुक पेज “Newsidol” ने “Zee Bihar Jharkhand” चैनल की एक न्यूज क्लिपिंग शेयर करते हुए लिखा है, “इधर पूरा देश लड़ रहा है कोरोना वायरस से. उधर गुजरात के मंदिर में चल रहा है नकली नोट छापने का धंधा. लॉकडाउन का भर पूर फायदा उठाया”. इसके साथ ही इस पोस्ट में एक इंस्टाग्राम अकाउंट का लिंक देकर लोगों से उसे फॉलो करने को भी कहा गया है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि यह पोस्ट भ्रामक है. गुजरात के एक मंदिर में नकली नोट पकड़े जाने का मामला पिछले साल का है और इस घटना का लॉकडाउन के कोई संबंध नहीं है.
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
स्टोरी लिखे जाने तक इस पोस्ट को 28000 से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है. इसके अलावा इसी न्यूज क्लिप को इसी दावे के कई अन्य फेसबुक यूजर्स ने भी पोस्ट किया है.
'जी बिहार झारखंड' की यह न्यूज क्लिप कहती है कि यह घटना गुजरात के सूरत में एक निर्माणाधीन स्वामी नारायण मंदिर में हुई थी. एक पुजारी को पांच अन्य लोगों के साथ नकली नोट बनाने और उन्हें चलाने के लिए गिरफ्तार किया गया है. एंकर की ओर से या न्यूज रिपोर्ट में लॉकडाउन का कोई जिक्र नहीं किया गया है.
'जी बिहार झारखंड' की यही न्यूज क्लिप हमें फेसबुक पर मिली, जिसे एक यूजर ने 26 नवंबर, 2019 को पोस्ट किया है.
कीवर्ड्स सर्च की मदद से हमने पाया कि गुजरात की इस घटना के बारे में नवंबर, 2019 में कई मीडिया संस्थानों ने खबरें प्रकाशित की थीं.
टीवी9 गुजराती ने यूट्यूब पर यह खबर 24 नवंबर, 2019 को अपलोड की है. इसके कैप्शन में लिखा है, “खेड़ा में स्वामीनारायण साधु प्रसाद बॉक्स में सप्लाई करता था नकली नोट, सूरत क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया.”
इस घटना के बारे में विभिन्न अखबारों जैसे “इंडियन एक्सप्रेस” ने भी खबरें प्रकाशित की थीं. ये खबरें भी नवंबर, 2019 में प्रकाशित हुई हैं.
इन खबरों के मुताबिक, सूरत में खेड़ा के अंबाव गांव में एक निर्माणाधीन स्वामी नारायण मंदिर से एक करोड़ रुपये के नकली नोट जब्त किए गए. एक पुजारी के साथ पांच लोगों को गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया.
इस तरह से पड़ताल से स्पष्ट है कि नकली नोट जब्त किए जाने की यह घटना पिछले साल की है और इसका कोरोना वायरस महामारी या लॉकडाउन से कोई संबंध नहीं है.
ऐसा लग रहा है कि गलत सूचना वाली यह वायरल फेसबुक पोस्ट जानबूझकर सनसनी पैदा करने के लिए लिखी गई है और फॉलोवर्स बढ़ाने के लिए पोस्ट में एक इंस्टाग्राम अकाउंट का लिंक दिया गया है जिसका इस घटना से कोई संबंध नहीं है.