क्या ममता बनर्जी ने मुस्लिमों के तुष्टिकरण और हिन्दुओं को कमतर दिखाने की कोशिश की? सोशल मीडिया पर ममता बनर्जी के नाम से यह संदेश वायरल हो रहा है-‘ईमान का नाम है मुसलमान.’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को निशाना बनाते हुए कई इंटरनेट यूजर्स ने तंज किए. ये दावा करते हुए कि ममता बनर्जी हिन्दुओं की छवि हल्का करके दिखाना चाहती हैं.
इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि ये दावा भ्रामक है. दरअसल ये अधूरा वाक्य है जिसे ममता बनर्जी के भाषण से जानबूझकर निकाल कर गलत रंग देने की कोशिश की गई.
ट्विटर यूजर्स में गौरव प्रधान ने टीवी न्यूज़ का एक ग्रैब देकर दावा किया कि ममता बनर्जी ने अपने भाषण में कहा है- ‘ईमान का नाम मुसलमान है.’ गौरव प्रधान को ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी भी फॉलो करते हैं. ये स्टोरी लिखे जाने तक प्रधान की पोस्ट को करीब हज़ार लोग लाइक कर चुके थे.
ट्विटर पर कई यूजर्स ने ममता बनर्जी को ट्रोल करना शुरू कर दिया.
कुछ फेसबुक यूजर्स ने भी ऐसा ही दावा किया.
इंडिया टुडे की पड़ताल से सामने आया कि ये अंश ममता बनर्जी के उस भाषण से लिया गया जो उन्होंने 19 जनवरी को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में विपक्ष की ‘यूनाइटेड इंडिया रैली’ के दौरान दिया.
इस रैली में मौजूद 25 विपक्षी नेताओं में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, फारूक़ अब्दुल्ला, एमके स्टालिन और एचडी कुमारास्वामी अहम थे. चार घंटे के इस कार्यक्रम को इस लिंक पर देखा जा सकता है.
3 घंटे 55 मिनट 24 सेकंड के इस वीडियो में ममता के भाषण के अंत वाले हिस्से में सुना जा सकता है...”त्याग का नाम है हिन्दू, ईमान का नाम है मुसलमान, प्यार का नाम है ईसाई, सिखों का नाम है बलिदान, ये है हमारा प्यारा हिन्दुस्तान.”
इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि वायरल पोस्ट में ममता बनर्जी के अधूरे वाक्य को दिया गया है. उन्होंने असल में कहा था- ‘ईमान का नाम है मुसलमान’ लेकिन उसी कथन में अन्य धर्मों का नाम भी उनकी विशेषता को गिनाते हुए लिया था.