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फैक्ट चेक: खाप पंचायत के पांच साल पुराने फरमान के लिए योगी सरकार पर हमला

हिंदी अखबार की एक खबर की क्लिपिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. यह खबर उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक स्तब्ध कर देने वाली घटना के बारे में है, जहां खाप पंचायत ने दो दलित बहनों का बलात्कार करने और उन्हें निर्वस्त्र करके गांव में घुमाने का फरमान सुनाया था.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
योगी आदित्यनाथ के शासन में यूपी की खाप पंचायत ने दो दलित बहनों का रेप करने और निर्वस्त्र कर गांव में घुमाने का फरमान सुनाया.
सच्चाई
यह घटना पांच साल पुरानी है जब उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे.
अर्जुन डियोडिया
  • नई दिल्ली,
  • 17 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 9:30 PM IST

हिंदी अखबार की एक खबर की क्लिपिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. यह खबर उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक स्तब्ध कर देने वाली घटना के बारे में है, जहां खाप पंचायत ने दो दलित बहनों का बलात्कार करने और उन्हें निर्वस्त्र करके गांव में घुमाने का फरमान सुनाया था.

सोशल मीडिया पर लोग इस खबर की तस्वीर को शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कि यह घटना योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई है. ​खबर की यह क्लिपिंग कहती है कि दोनों बहनों के भाई का एक जाट युवती से प्रेम प्रसंग चल रहा था. उस युवती की शादी होने के बाद युवक उस विवाहिता के साथ भाग गया, जिसके बाद खाप पंचायत ने यह फरमान सुनाया.

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इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि इस तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा गलत है. वास्तव में यह घटना 2015 की है जब उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार थी.

न्यूजपेपर की यह क्लिपिंग फेसबुक पर खूब शेयर की जा रही है.

कीवर्ड्स सर्च की मदद से हमने पाया कि 2015 में घटी इस घटना के बारे में नेट पर कई खबरें मौजूद हैं. अंग्रेजी अखबार Hindustan Times के मुताबिक, यह घटना अगस्त, 2015 की है.

उस समय खाप पंचायत के इस आदेश के बाद दोनों बहनें अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट गई थीं. कोर्ट ने यूपी पुलिस को इस मामले में नोटिस भी जारी किया था, क्योंकि पुलिस पर मामले में कार्रवाई न करने का आरोप था.

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हालांकि, Hindustan Times की ही एक अन्य रिपोर्ट कहती है कि गांव के जाट नेता ने इन आरोपों से इनकार किया था. उनका कहना था कि इस संबंध में न तो खाप की पंचायत बुलाई गई और न ही आदेश जारी किया गया.

ट्विटर पर सवाल का जवाब देते हुए बागपत पुलिस ने भी स्पष्ट किया कि यह घटना 2015 की है.

AFWA ने इंटरनेट खंगाला लेकिन उत्तर प्रदेश में हाल फिलहाल में ऐसी कोई घटना का कहीं कोई जिक्र नहीं मिला. इस तरह पड़ताल में साफ हुआ कि वायरल हो रही न्यूज क्लिपिंग पांच साल पुरानी है. जब यह घटना घटी थी, उस समय उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी. यह घटना योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में नहीं हुई है.

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