सोशल मीडिया पर एक युवक की पिटाई का विचलित कर देने वाला वीडियो खूब शेयर किया जा रहा है. वीडियो में कुछ लोग युवक को पीटते और उससे जूता चटवाते दिख रहे हैं. सोशल मीडिया यूजर्स का दावा है कि जिसकी पिटाई हो रही है वो शख्स दलित समुदाय से है.
एक एक्स यूजर ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “उत्तर प्रदेश के रायबरेली में दलित युवक अमन से जूता चटवाया गया. यही नहीं युवक को जानवर की तरह पीटा भी गया। पुलिस ने अखिलेश सिंह, योगेश सिंह, दीपक सोनी, उदित सिंह, विपिन सिंह, सचिन सोनी, मनी सोनी, रूपचंद अग्रहरि, आयुष और तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।” वायरल वीडियो को फेसबुक पर भी इन्हीं दावों के साथ शेयर किया गया है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि वीडियो में जिस युवक की पिटाई हो रही है वो दलित नहीं बल्कि सामान्य जाति का है. ये घटना 21 अगस्त 2024 की है.
कैसे पता चली सच्चाई?
वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च के जरिये खोजने पर हमें कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें वीडियो के स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल किया गया है. जागरण की खबर के अनुसार, मामला उत्तर प्रदेश के रायबरेली में ऊंचाहार इलाके का है, जिसमें दबंगों ने एक युवक को अगवा करके पीटा और उससे जूते भी चटवाए. मीडिया खबरों के अनुसार, पीड़ित का नाम अमन सिंह है.
खबरों में ये भी बताया गया है कि ये घटना दरअसल 21 अगस्त 2024 को हुई थी. लेकिन वीडियो 18 सितंबर को सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया. गौर करने वाली बात ये है कि इस खबर में पीड़ित को दलित समुदाय का नहीं बताया गया है.
हमने आजतक के रायबरेली संवाददाता शैलेन्द्र सिंह से इस मामले में बात की. शैलेन्द्र ने आजतक को बताया कि इस मामला में कोई जातिवादी एंगल नहीं है. पीड़ित और अपराधी दोनों ही सामान्य जाति के हैं. शैलेन्द्र ने बताया कि मारपीट और जूते चटवाने के मामले में पुलिस ने 12 नामजद और 3 अज्ञातों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
हमने रायबरेली पुलिस सीओ डलमऊ अरुण नौहार से संपर्क किया. उन्होंने आजतक को बताया कि दोनों गुट आपराधिक गतिविधियों से जुड़े हुए हैं. नौहार के अनुसार, आरोपियों के खिलाफ एसी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज नहीं हुआ है क्योंकि दोनों गुट सामान्य जाति के ही हैं.
रायबरेली पुलिस ने अपने आधिकारिक एक्स हैन्डल से भी मामले में जातिवादी एंगल होने से इनकार किया है.
साफ है, एक युवक की पिटाई के एक महीने पुराने वीडियो को झूठा जातिवादी एंगल दिया जा रहा है.