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फैक्ट चेक: फाइजर की वैक्सीन लगवाने वालों के शरीर में नहीं लगाई जाएगी माइक्रोसॉफ्ट की चिप

सरकार की इन कोशिशों के बीच सोशल मीडिया पर फाइजर कंपनी की कोरोना वैक्सीन से जुड़ी एक अजीबो-गरीब खबर का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है.

आजतक फैक्ट चेक

दावा
फाइजर की कोरोना वैक्सीन लगवाने वालों के शरीर में अब माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की चिप भी लगाई जाएगी. ये कदम वैक्सीन के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए उठाया जा रहा है.
सच्चाई
फाइजर की वैक्सीन लगवाने वालों के शरीर में माइक्रोसॉफ्ट की चिप लगाने की योजना से जुड़ी खबर महज एक व्यंग्य है. इसका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है.
ज्योति द्विवेदी
  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 4:38 PM IST

भारत में 13 अप्रैल, 2021 को रूसी वैक्सीन ‘स्पुतनिक-V’ को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई. इसी के साथ, कोरोना को मात देने के लिए भारत के पास तीन वैक्सीन हो गई हैं.

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोविड की रफ्तार को देखते हुए जल्द ही मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन और फाइजर जैसी कुछ दूसरी विदेशी वैक्सीन को भी आपात इस्तेमाल की अनुमति मिल सकती है.
 
सरकार की इन कोशिशों के बीच सोशल मीडिया पर फाइजर कंपनी की कोरोना वैक्सीन से जुड़ी एक अजीबो-गरीब खबर का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है. ‘valuewalk’ नामक वेबसाइट से लिए गए इस स्क्रीनशॉट में लिखा है, ‘फाइजर ने अपनी कोरोना वैक्सीन को बेहतर बनाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के साथ एक करार किया है. इस करार के तहत अब फाइजर वैक्सीन लगवाने वालों के शरीर में एक विशेष चिप लगाई जाएगी. ऐसा करने से वैक्सीन लगवाने के बाद होने वाली समस्याओं में कमी आएगी.’

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एक फेसबुक यूजर ने इस स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए अंग्रेजी में कैप्शन लिखा, जिसका हिंदी अनुवाद है, “फाइजर ने हाल ही में एक बयान जारी किया है कि उसने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के साथ एक करार किया है. इस करार के तहत अब फाइजर की वैक्सीन लगवाने वालों के शरीर में एक प्लूटॉन प्रोसेसर चिप लगाई जाएगी. इससे वैक्सीन लगवाने के बाद होने वाली समस्याओं में कमी आएगी.”
 

इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर फाइजर की वैक्सीन लगवाने वालों के शरीर में माइक्रोसॉफ्ट की चिप लगाने से जुड़ी खबर का जो स्क्रीनशॉट शेयर हो रहा है, वो एक व्यंग्य लेख से लिया गया है. ये लेख काल्पनिक है और हकीकत में फाइजर और माइक्रोसॉफ्ट कंपनियों के बीच ऐसा कोई करार नहीं हुआ है.

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फेसबुक पर बहुत सारे लोग फाइजर की कोरोना वैक्सीन से जुड़ी इस खबर को लेकर हैरानी जता रहे हैं. कई लोग चिंता भी जता रहे हैं कि कहीं ये कोई साजिश तो नहीं है.

क्या है सच्चाई

सोशल मीडिया पर वायरल स्क्रीनशॉट में ‘valuewalk’ वेबसाइट का नाम लिखा है. हमने कीवर्ड सर्च के जरिये इस वेबसाइट में फाइजर और माइक्रोसॉफ्ट के बीच हुए करार वाली खबर सर्च की. वायरल स्क्रीनशॉट में सिर्फ खबर की हेडलाइन दिख रही थी, वहीं इस वेबसाइट में पूरी खबर देखी जा सकती है. खबर में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के सीईओ सत्या नडेला का एक बयान भी दिया गया है जिसमें वो कह रहे हैं, “औ​षधि के क्षेत्र में ये एक बड़ी क्रांति है. माइक्रोसॉफ्ट की शक्तिशाली प्लूटॉन चिप की मदद से वैक्सीन लगवाने वालों के डाटा को ट्रैक करना (निगरानी रखना) आसान होगा. इस चिप की मदद से शरीर के तापमान को नियंत्रित किया जा सकेगा. इससे लोगों को कोविड-19 बीमारी कम होगी और वो एप्पल की तुलना में माइक्रोसॉफ्ट को तरजीह देंगे.”

साथ ही ये भी लिखा है कि फाइजर-माइक्रोसॉफ्ट की तरह एप्पल-मॉडर्ना कंपनियों के बीच भी इसी तरह का करार होने की बात सुनने में आ रही है.

अगर सत्या नडेला ने सचमुच इस किस्म का कोई बयान दिया होता या फाइजर-मॉडर्ना जैसी कंपनियों ने माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल जैसी बड़ी टेक कंपनियों के साथ कोई करार किया होता तो इस बारे में सभी प्रमुख मीडिया वेबसाइट्स में खबरें छपी होतीं. लेकिन हमें कहीं भी ऐसी कोई खबर नहीं मिली.  
 
valuewalk’ वेबसाइट की खबर के अंत में एक जगह लिखा है कि ये लेख सबसे पहले ‘The Stonk Market’ नाम की वेबसाइट पर छपा था. हमने ‘The Stonk Market’ वेबसाइट पर इस लेख को तलाशा. इस वेबसाइट में हूबहू वही लेख छपा है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

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इस वेबसाइट में नीचे दाहिनी तरफ लिखा है, ‘thestonkmarket.com आर्थिक मसलों से जुड़े व्यंग की वेबसाइट है. इसका मकसद लोगों को हास्य की दैनिक खुराक देना है.’ यानी, स्पष्ट तौर पर इस वेबसाइट के सभी लेख सिर्फ लोगों को हंसाने के लिए लिखे गए हैं और उनका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है.

इससे पहले ‘स्नोप्स’ वेबसाइट भी इस खबर की सच्चाई बता चुकी है.

हमारी पड़ताल से साफ है कि फाइजर की कोरोना वैक्सीन लगवाने वालों के शरीर में माइक्रोसॉफ्ट की चिप लगवाने की खबर सिर्फ एक काल्पनिक व्यंग्य  के तौर पर लिखी गई थी. इसका हकीकत से कोई वास्ता नहीं है.

क्या आपको लगता है कोई मैसैज झूठा ?
सच जानने के लिए उसे हमारे नंबर 73 7000 7000 पर भेजें.
आप हमें factcheck@intoday.com पर ईमेल भी कर सकते हैं
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