देश में 11 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया गया. इसी से जोड़कर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद फारूक अब्दुल्ला एक धार्मिक स्थल पर दूध चढ़ाते हुए नजर आ रहे हैं. तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि फारूक अब्दुल्ला ने महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर दूध चढ़ाया.
वायरल पोस्ट में तंज करते हुए कहा गया है, "महाशिवरात्रि" के महापर्व पर शिवलिंग पर दूध चढ़ाते फारूख मियाँ... धारा 370 हटने के साईड इफेक्ट हैं या BJP की वैक्सीन का ....?".
फारूक अब्दुल्ला ने कुछ दिनों पहले ही श्रीनगर में कोरोना वायरस वैक्सीन का पहला डोज लगवाया था.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा गलत है. ये तस्वीर महाशिवरात्रि की नहीं बल्कि जून 2019 की है जब फारूक अब्दुल्ला ने श्रीनगर के पास स्थित खीर भवानी मंदिर में दूध चढ़ाया था. हालांकि, फारूक ने 28 फरवरी को जम्मू में आयोजित हुए शिवरात्रि मिलन कार्यक्रम में जरूर हिस्सा लिया था.
फेसबुक और ट्विटर पर इस तस्वीर को भ्रामक दावे के साथ काफी शेयर किया जा चुका है. वायरल पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
कैसे पता की सच्चाई?
तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें ये तस्वीर "Getty Images" की वेबसाइट पर मिली. यहां दी गई जानकरी के मुताबिक, श्रीनगर से लगभग 20 किलोमीटर दूर माता खीर भवानी मंदिर में फारूक अब्दुल्ला ने 10 जून 2019 को एक वार्षिक त्यौहार के दौरान दूध चढ़ाया था. ये त्यौहार माता खीर भवानी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है जिसमें पूजा के लिए बड़ी संख्या में कश्मीरी हिंदू शामिल होते हैं. उस समय ये तस्वीर कुछ खबरों में भी इस्तेमाल की गई थी.
यहां ये दावा भी खारिज हो जाता है कि तस्वीर का जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने से कोई संबंध है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को हटाया था और वायरल तस्वीर इस घटना से पहले की है.
हालांकि 'जागरण' की खबर के अनुसार, 28 फरवरी को जम्मू में कश्मीरी पंडितों की ओर से आयोजित शिवरात्रि मिलन कार्यक्रम में फारूक अब्दुल्ला शामिल हुए थे. कश्मीरी पंडितों के लिए शिवरात्रि का पर्व इसी दिन से आरंभ हुआ था. इस दौरान फारूक ने भावुक होते हुए कहा था कि वह अपने जीते-जी कश्मीरी पंडितों को सम्मान के साथ घाटी में वापस होते देखना चाहते हैं. इस कार्यक्रम का वीडियो भी फेसबुक पर मौजूद है.
यहां इस बात की पुष्टि हो जाती है कि फारूक अब्दुल्ला की लगभग दो साल पुरानी तस्वीर को महाशिवरात्रि से जोड़कर शेयर किया जा रहा है. वायरल तस्वीर का महाशिवरात्रि के पर्व या अनुच्छेद 370 से कोई लेना-देना नहीं है.